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छात्र संघ चुनाव : रिसर्च स्कॉलर्स के मुद्दों की अनदेखी पड़ सकती है भारी

पंजाब यूनिवर्सिटी में करीब 2500 पीएचडी स्कॉलर्स पढ़ाई कर रहे हैें। ऐसे में रिसर्च स्कॉलर्स की अनदेखी छात्र संगठनों को भारी पड़ सकती है। स्कॉलर्स को लगातार परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 01 Sep 2018 12:02 PM (IST)Updated: Sat, 01 Sep 2018 12:02 PM (IST)
छात्र संघ चुनाव : रिसर्च स्कॉलर्स के मुद्दों की अनदेखी पड़ सकती है भारी
छात्र संघ चुनाव : रिसर्च स्कॉलर्स के मुद्दों की अनदेखी पड़ सकती है भारी

डॉ रविंद्र मलिक, चंडीगढ़ : रिसर्च स्कॉलर्स किसी भी शैक्षणिक संस्थान की रीढ़ की हड्डी होते हैं। अगर रिसर्च स्कोलर्स को समस्या का सामना करना पड़ रहा है तो उनसे उच्च गुणवत्ता वाले शोध की उम्मीद करना बेमानी होगी। पीयू छात्र संघ के चुनाव में भी रिसर्च स्कोलर्स के मुद्दों को लेकर आवाज उठने लगी है। पंजाब यूनिवर्सिटी में करीब 2500 पीएचडी स्कॉलर्स पढ़ाई कर रहे हैें। ऐसे में रिसर्च स्कॉलर्स की अनदेखी छात्र संगठनों को भारी पड़ सकती है। स्कॉलर्स को लगातार परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। पिछले तीन महीने से स्कोलर्स को स्कॉलर्सशिप नहीं आने की दिक्कत लगातार आ रही है। रिसर्च स्कॉलर्स को पिछले तीन महीने से कई समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। इसमें स्कॉलर्सशिप लेट आने से लेकर सिंगल रुम नहीं मिलना और लाइब्रेरी संबंधी दिक्कतें मुख्य रूप से शामिल हैें। स्कोलर्स को लगातार आ रही दिक्कतों को लेकर उनसे बात की गई जिसमें उन्होंने खुलकर अपनी बात रखी।

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रिसर्च स्कॉलर्स ने बताए अपने मुद्दे

पर्यावरण विज्ञान में पीएचडी कर रहे हरमन ने बताया रिसर्च ग्र्राट को बढ़ाने जाने की जरुरत है। छात्र संगठनों को इस दिशा में काम किए जाने की जरुरत है। इसके अलावा रजिस्ट्रेशन में बेहद ज्यादा समय लगता है। कैंडिडेट को प्रताडऩा के भारी दौर से गुजरना पड़ता है। डेढ से ढाई साल तक लगा दिए जाते हैें। इसके अलावा लैब में उपकरण तक नहीं होते हैं। एक विभाग से दूसरे विभाग के उपकरण इस्तेमाल करने के लिए इतनी औपचारिकताएं पूरी करनी पड़ती हैं। वाई फाई, कंप्यूटर की सुविधा मिले

इतिहास में पीएचडी कर रहे रविंद्र छाछिया ने बताया कि जो भी छात्र संगठन स्कोलर्स के मुद्दों की लड़ाई लड़ेगा, वोट उसी डलेगी। विभागों में वाई फाई को लेकर लगातार दिक्कत आ रही है लेकिन प्रशासन कुछ नहीं कर रहा है। इसके अलावा कंप्यूटर सिस्टम तक नहीं उपलब्ध करवाए जा रहे हैें। ऐसे में कैसे रिसर्च कर पाएंगे। विभागीय स्तर भी सुविधाओं का ध्यान रखा चाहिए।

फैलोशिप नहीं आ रही तो कैसे रिसर्च करें

पिछले चार महीने से फैलोशिप नहीं आ रही है, कैसे करें रिसर्च। इतना खर्च होता है और कई तरह के उपकरण खरीदने पड़ते हैें, बिना पैसे के रिसर्च कैसे कर पाएंगे। यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्यूटिकल साइंस के अंकित जैन ने अपना दर्द बया करते हुए आगे कहा कि जीएंडपी सेक्शन में वेरिफिकेशन प्रक्रिया बेहद थकाऊ और हौंसला तोड़ देने वाली है। रिसर्च स्कॉलर्स के लिए अलग रुम होना चाहिए। छात्र संगठनों को इन मुद्दों पर काम करने की जरुरत है। चार महीने से स्कॉलरशिप नहीं मिली

पिछले चार महीने से स्कॉलर्सशिप नहीं आई है। एजुकेशन विषय में पीएचडी कर रहे सुलतान सिंह ने कहा कि रिसर्च के काम के अलावा रोजमर्रा की जरुरतों के लिए भी पैसे चाहिए होते हैें। छात्र नेताओं को चाहिए कि वो रिसर्च को समय पर मिलने की दिशा में प्रयास करें । रिसर्च स्कॉलर्स को सिंगल रुम की सुविधा मिलनी चाहिए क्योंकि रिसर्च के लिए एकात और बेहतर माहौल चाहिए होता है।

लाइब्रेरी में न पंखे और न स्पेस

सोशोलॉजी में पीएचडी कर रही रुबी ने बताया कि विभागों में लाइब्रेरी में बैठने की जगह तक उपलब्ध नहीं है। जेआरएफ स्टूडेंट्स को हाजिरी को लेकर परेशान किया जाता है। रिसर्च ग्र्राट में भी दिक्कत आ रही है। कमरों में पंखे और एसी की सुविधा को लेकर भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

फैलोशिप, लाइब्रेरी और वाई फाई की सुविधा जरुर मिले

रिसर्च स्कॉलर्स के लिए सुविधाओं को होना बेहद अहम है। क्योंकि इनके बिना रिसर्च संभव नहीं है। हिंदी में पीएचडी कर रहे जितेंद्र ने आगे कहा कि फैलोशिप समय पर आनी चाहिए ताकि वित्तीय दिक्कतों का सामना ना करना पड़े। इसके अलावा विभागीय स्तर भी लाइब्रेरी की सुविधा सही होनी चाहिए। मेन लाइब्रेरी में स्कॉलर्स के लिए कैरल की सुविधा होनी चाहिए ताकि पढ़ाई में बाधा नहीं आए। वाई फाई को लेकर आ रही दिक्कत को भी दूर किया जाना चाहिए।


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