डेराबस्सी में हादसों को न्यौता दे रहे गलियों में घूम रहे बेसहारा पशु, लोगों का घरों से निकलना हुआ मुश्किल
शहर की बाहरी आवासीय कॉलोनियों में दिन ढलते ही पशुओं को जमावड़ा हो जाता है और बच्चों का गलियों में खेलना भी बंद हो गया है।
डेराबस्सी(मोहाली), जेएनएन। डेराबस्सी में आवारा पशु हादसों का कारण बन रहे हैं। नगर परिषद के अधिकारी आवारा पशुओं को पकड़ने के नाम पर केवल लीपापोती कर रहे हैं। आलम यह है कि शहर की बाहरी आवासीय कॉलोनियों में दिन ढलते ही पशुओं को जमावड़ा हो जाता है और लोगों का घरों से बाहर निकलना मुश्किल हो रहा है। नगर परिषद के पास शहर में सैकड़ों की संख्या में घूम रहे आवारा पशुओं को लेकर कोई नीति नहीं है।
शहरवासियों की इस समस्या के समाधान के लिए ज्वांइट एक्शन कमेटी के प्रधान सुखदेव चौधरी के नेतृत्व में गुलशन सैनी, एडवोकेट सुशील भारद्वाज, एडवोकेट विनय कुमार, रविंदर पाल, खुशहाल राम, तरसेम चंद समेत कई प्रतिनिधि नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी बरजिंदर सिंह से मिले। कोरोना के कारण फिजिकल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए केवल सुखदेव चौधरी ने कार्यकारी अधिकारी से मुलाकात करके उनके सामने फोटो तथा वीडियो प्रमाण पेश करते हुए बताया कि शहर की कॉलेज कॉलोनी, बालाजी नगर, गुलाबगढ़, प्रीत नगर, भगत सिंह नगर, साधु नगर आदि इलाकों में हर समय पशुओं का जमावड़ा रहता है। यहां की गलियों में पैदल लोगों का निकलना मुश्किल हो चुका है।
यही नहीं आवारा पशुओं के कारण क्षेत्र के किसान भी बेहद परेशान हैं। यह पशु किसानों की फसलों को खराब कर रहे हैं। कार्यकारी अधिकारियों को दिए ज्ञापन में उन्होंने कहा कि आवारा पशुओं के कारण यहां कई बार हादसे हो चुके हैं। हालात इतनी दयनीय हो चुकी हैं कि लोग सैर के लिए घरों से बाहर नहीं आ सकते हैं और छोटे-छोटे बच्चे गलियों में भी नहीं खेल पाते हैं।
सुखदेव चौधरी के अनुसार कुछेक संगठनों की मदद से परिषद द्वारा गायों को पकडक़र लालडू के निकट मगरा की गोशला में पहुुंचाया गया है लेकिन इस गोशाला में पहले से सैकड़ों गाय मर चुकी हैं। ऐसे में शहर में घूमने वाली गायों व अन्य लावारिस जानवरों को लेकर परिषद के पास कोई ठोस नीति नहीं है।
नगर परिषद आजतक नहीं बना सकी पशु फाटक
नगर परिषद अधिकारियों के साथ बैठक के बाद सुखदेव चौधरी ने बताया कि डेराबस्सी नगर परिषद द्वारा आवारा पशुओं को पकडऩे के लिए आजतक किसी भी पशु फाटक का निर्माण नहीं किया गया है। परिषद के पास पशु लिफ्टर गाड़ी तक नहीं है। उन्होंने बताया कि शहर में घूमने वाले नंदी अथवा सांड को लेकर परिषद ने भी अपनी लाचारी दिखा दी है। क्योंकि इन्हें न तो गोशाला में भेजा जा सकता है और न ही इनका खेतों में इस्तेमाल हो रहा है।