महाराष्ट्र का असर पंजाब में, फडणवीस सरकार के कदम से भड़के सिख संगठन
महराष्ट्र की देवेंद्र फडणवीस सरकार द्वारा महाराष्ट्र सिख गुरुद्वारा बोर्ड को लेकर उठाए गए कदम से पंजाब के सिखों में रोष है। सिख संगठनों ने इस संबंध में मोर्चा खोल दिया है।
चंडीगढ़, [इन्द्रप्रीत सिंह]। महाराष्ट्र में वहां की सरकार द्वारा उठाए गए कदम का पंजाब में असर हुआ है और यहां हंगामा मच गया है। देवेंद्र फडणवीस सरकार द्वारा महाराष्ट्र सिख गुरुद्वारा बोर्ड में प्रधान लगाने के लिए कानून में किए गए संशोधन से सिखों में रोष फैल गया है। सिख संगठनों ने इसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इसका राजनीतिक असर भी दिखने लगा है और शिअद-भाजपा में दूरी पैदा हो गई है। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने कहा है कि सिखों के मामलों में सरकारी हस्तक्षेप किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
एसजीपीसी अध्यक्ष ने कहा, बोर्ड में महाराष्ट्र सरकार का हस्तक्षेप सहन नहीं किया जाएगा
यह संशोधन 18 फरवरी 2015 को तब पास किया गया था जब विधायक तारा सिंह को बोर्ड का प्रधान लगाया गया था। उनका कार्यकाल पूरी होने पर नए सिरे से चुनाव करवाए गए हैं। अब फिर से प्रधान का चयन करने के लिए सरकार की ओर से की जा रही कोशिशों का सिखों ने विरोध करना शुरू कर दिया है।
नांदेड़ का श्री हजूर साहिब गुरुद्वारा।
तख्त श्री हजूर साहिब पर पांच प्यारों ने पारित किया प्रस्ताव, सरकार को सिखों के मसलों से दूर रहने की सलाह
एसजीपीसी के प्रधान जत्थेदार गोबिंद सिंह लोंगोवाल ने सरकार की दखलअंदाजी का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि यदि सरकार ने बोर्ड पर कब्जा करने की कोशिश की तो एसजीपीसी इसे सहन नहीं करेगी और मोर्चा खोल देगी। महाराष्ट्र सिख गुरुद्वारा बोर्ड के पूर्व प्रधान लड्डू सिंह महाजन ने कहा कि यदि सरकार अपना प्रधान लगाने की कोशिशों से पीछे नहीं हटी तो आने वाले लोकसभा चुनाव में इसके नफे-नुकसान की जिम्मेवार वह खुद होगी। पांच प्यारों ने भी महाराष्ट्र के नांदेड़ के श्री हजूर साहिब गुरुद्वारा पर प्रस्ताव पारित किया है और कहा है कि श्री गुरुद्वारा साहिब व सिखों के मसलों से सरकार दूर ही रहे।
लडडू सिंह महाजन ने बताया कि महाराष्ट्र में भाजपा सरकार बनी तो 2015 में एक्ट में संशोधन करके प्रधान लगाने का अधिकार उसने अपने हाथ में ले लिया गया। यह सिखों के धार्मिक मसलों में दखल है। बीते 21 जनवरी को इसके खिलाफ तख्त हजूर साहिब पर सिख संगत का आम इजलास बुलाया गया। वहां पांच प्यारों ने प्रस्ताव पास करके कहा कि प्रधान चुने जाने का पुराना सिस्टम ही बहाल किया जाए, सरकार सिख मसलों से दूर रहे। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को सभी जिलों में डिप्टी कमिश्नरों के माध्यम से इस संबंध में ज्ञापन दिए गए हैं।
गुरुधामों पर कब्जा करना चाहता है आरएसएस : पूर्व एसजीपीसी सदस्य अमरिंदर
एसजीपीसी के पूर्व सदस्य अमरिंदर सिंह ने महाराष्ट्र सरकार के हस्तक्षेप को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) द्वारा तख्तों (गुरुधामों) पर कब्जे की साजिश बताया है। उन्होंने कहा कि निवर्तमान प्रधान तारा सिंह के बारे में सभी जानते हैं कि उनका सिख व सिखी से कोई वास्ता नहीं है। यदि सरकार ने अपना कोई प्रतिनिधि प्रधान बनाना है तो चुने हुए नुमाइंदों के होने का क्या मतलब है? उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से अपील की कि सिखों के धार्मिक मामलों में दखल देना बंद किया जाए।
नांदेड़ का श्री हजूर साहिब गुरुद्वारा।
1956 में हुई थी 17 सदस्यीय बोर्ड की स्थापना
बता दें कि 17 सदस्यीय बोर्ड की स्थापना द नांदेड़ सिख गुरुद्वारा साहिब अबचल नगर एक्ट 1956 के तहत की गई थी। महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में गुरुद्वारों की देखभाल के लिए यह एक्ट लाकर बोर्ड बनाया गया। दो सिख मेंबर महाराष्ट्र सरकार, एक आंध्र प्रदेश सरकार, तीन मराठवाड़ा, एक एसजीपीसी द्वारा मध्य प्रदेश से, तीन एसजीपीसी, दो सिख सांसद, एक चीफ खालसा दीवान से, एक सचखंड श्री हजूर साहिब खालसा दीवान से और तीन चुने हुए सदस्य बोर्ड के सदस्य बनाए गए। इनमें से ही प्रधान चुना जाता था।
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एसजीपीसी अध्यक्ष ने लिखा प्रधानमंत्री को पत्र
उधर, एसजीपीसी के अध्यक्ष गोबिंद सिंह लोंगोवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर तख्त के प्रबंधों में सरकारी हस्तक्षेप का विरोध किया है। पत्र की प्रतियां केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को भी भेजी है। उन्होंने मांग की है कि केंद्र की सराकर महाराष्ट्र सरकार को इस तरह का हस्तक्षेप करने से रोके। सरकार तख्त नादेड़ साहिब बोर्ड एक्ट 1956 की धारा 11 को अपने मूल स्वरूप के अनुसार ही लागू करवा कर बोर्ड सदस्यों को अपना प्रधान चुनने का अधिकार दे। हस्तक्षेप बंद न होने पर दुनिया भर के सिख महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ आंदोलन करेंगे।