अवैध रेत खनन पर घिरी पंजाब सरकार, बढ़ सकती हैैं चुनौतियां
बीते दो दशक से पंजाब में जो भी सरकार रही है उसके ऊपर अवैध रेत खनन का कारोबार करवाने का आरोप लगता रहा है।
चंडीगढ़ [मनोज त्रिपाठी]। अवैध खनन के खेल में पंजाब के सभी सियासी दल डूब चुके हैं। बीते दो दशक से पंजाब में जो भी सरकार रही है उसके ऊपर अवैध रेत खनन का कारोबार करवाने का आरोप लगता रहा है। पिछली अकाली-भाजपा सरकार ने रेत खनन के कारोबार से अंतिम साल में 40 करोड़ की कमाई की थी तो इस बार कांग्रेस ने सत्ता में आने के बाद तस्वीर बदलने की कोशिश की और 1000 करोड़ रुपये तक कारोबार को ले जाने की उम्मीद जताई, लेकिन अपने ही मंत्री के फंसने के बाद से कांग्रेस की शुरू हुई किरकिरी थमने का नाम नहीं ले रही है। अवैध खनन के मुद्दे पर घिरी कांग्रेस सरकार की चुनौतियां बढ़ सकती हैैं।
चार माह पहले मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने हेलीकॉप्टर से अवैध रेत खनन के कारोबार को देखा और फोटो भी जारी की। इसके बाद मामले की जांच शुरू करवाई गई और कुछ ट्रालियां व टिप्परों को जब्त किया गया। सरकार में बड़े पद लेने की मांग को लेकर उछल रहे दो मंत्रियों को जांच के नाम पर ठंडा करवा दिया गया। आधा दर्जन से ज्यादा विधायकों व करीब एक दर्जन बड़े कांग्रेस नेताओं के नाम अवैध रेत खनन के कारोबार में आने के बाद सरकार ने कूटनीतिक तरीके से इस विवाद को ठंडे बस्ते में डाल दिया था।
सरकार को पता था कि कार्रवाई का मतलब अपने ही हाथ को जलाना है, लेकिन धीरे-धीरे अवैध रेत के कारोबार मेें पर्दे के पीछे से अकाली व अन्य दलों के नेताओं की मिलीभगत होती गई और सब कुछ शांत हो गया। शाहकोट उप चुनाव सरकार ने अवैध रेत खनन के कारोबार में कांग्रेसी उम्मीदवार का नाम आने के बाद उठे विवाद में ही सभी को उलझा कर जीत लिया। अकाली दल इसी में खुश रहा कि उसका वोट बैंक बचा रहा और आम आदमी पार्टी का वोट बैंक गायब हो गया। कठघरे में खड़े कांग्रेस उम्मीदवार विधायक बन गए और उनके ऊपर दर्ज केस भी रद कर दिया गया।
रूपनगर से आम आदमी पार्टी के विधायक अमरजीत सिंह संदोआ पर खनन माफिया के कारिंदों द्वारा हमले के बाद में आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू हुआ। विधायक पर आरोप लगा कि वे लाखों रुपये की मांग कर रहे थे। इससे पहले आप के दो और विधायकों को अवैध रेत खनन के कारोबारियों के साथ सांठगांठ के मामले को लेकर कठघरे में खड़ा किया जा चुका है।
लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बन सकता है बड़ा मुद्दा
आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस के खिलाफ यह बड़ा चुनावी मुद्दा बन सकता है। यही वजह है कि मौके ही नजाकत को भांपते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी पहले ही जनहित से जुड़े मुद्दों को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ जिला स्तर पर धरने व प्रदर्शन कर सियासी बैलेंस बनाने में जुटी हुई है। वहीं आम आदमी पार्टी इसे सरकार के खिलाफ प्रदेश स्तर पर बड़ा मुद्दा बनाने की रणनीति तय कर चुकी है। आप की कोशिश है कि अवैध रेत के कारोबार को लेकर सरकार को बेनकाब करके एक तीर से दो निशाने साधे जाएं, आप नेता इन आरोपों से बरी हो जाएं और सरकार की फजीहत हो।
सिद्धू की रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं
अवैध रेत खनन के कारोबार पर लगाम लगाने के लिए विधानसभा द्वारा कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू की प्रधानगी में गठित कमेटी ने सरकार को अपनी रिपोर्ट बीते माह सौंप दी है। इसके बाद भी सरकार ने अभी तक रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं की है।
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