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पंजाब के ड्रेनेज सिस्टम पर अवैध कब्जों का ग्रहण, अनियाेजित विकास बना मुसीबत

पंजाब में अवैध कब्‍जों और अनियोजित विकास ने ड्रेनेज सिस्‍टम का बुरा हाल है। राज्‍य के शहरों और कस्‍बों में थोड़ी सी बारिश में ही जलजमाव की समस्‍या गंभीर हो जाती है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Thu, 03 Sep 2020 11:53 AM (IST)Updated: Thu, 03 Sep 2020 11:53 AM (IST)
पंजाब के ड्रेनेज सिस्टम पर अवैध कब्जों का ग्रहण, अनियाेजित विकास बना मुसीबत
पंजाब के ड्रेनेज सिस्टम पर अवैध कब्जों का ग्रहण, अनियाेजित विकास बना मुसीबत

चंडीगढ़, जेएनएन। पंजाब में अवैध कब्‍जे और अनियोजित विकास ने ड्रेनेज सिस्‍टम का बुरा हाल कर दिया है। दरअसल पंजाब के बड़े शहरों की आबादी लगातार बढ़ रही है। 1950 में लुधियाना की आबादी दो लाख थी, जो अब करीब 32 लाख हो गई है। ऐसे ही जालंधर शहर की आबादी डेढ़ लाख से साढ़े दस लाख पहुंच गई, लेकिन जनसंख्या के लिहाज से जल निकासी प्रणाली का विस्तार नहीं हो पाया। रही कसर अवैध कब्जों ने निकाल दी।

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8200 किलोमीटर का सिस्टम बना हुआ है पंजाब में, ड्रेनों पर कब्जों से शहरों में जलजमाव की समस्या बढ़ी

पंजाब में बारिश का पानी नालियों के जरिए नदियों तक पहुंचाने के लिए 8200 किलोमीटर का सिस्टम बना हुआ है। आबादी बढऩे के साथ-साथ इन नालियों पर भी अवैध कब्जे हो रहे हैं। खासतौर पर जो बड़ी नालियां शहरों के साथ लगती हैं या शहर के बीच से होकर गुजरती हैं, उनकी हालत बहुत दयनीय है।

मोहाली जिले से गुजरती पटियाला की राव (कच्ची नहर) हो या खरड़ की ड्रेन, इनका ज्यादातर हिस्सा अब बिल्डर्स के कब्जे में आ गया है। शहरों के बाहरी इलाकों में बाढ़ को नियंत्रित करने के लिए इन बड़ी नालियों का खास महत्व है। अवैध कब्जों के कारण अब बारिश का पानी नहीं संभल रहा। यही कारण है कि जल जमाव शहरों की बड़ी समस्या हो गई है। पहले बारिश का पानी आसानी से नालियों से होकर शहर से बाहर निकल जाता था।

सिंचाई विभाग के चीफ इंजीनियर संजीव कुमार गुप्ता का कहना है कि काफी ड्रेनों पर अवैध कब्जा हो चुका है। हालांकि, सही आंकड़ा दे पाना मुश्किल है। पूरे पंजाब में ड्रेनेज सिस्टम काफी बेहतर बना हुआ है, इसलिए यहां बाढ़ वाली स्थिति नहीं है, लेकिन बढ़ती आबादी के साथ चुनौती बढ़ रही है।

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गांवों से शहरों की ओर पलायन की रफ्तार बढ़ी

दरअसल, पंजाब में पिछले एक दशक में 37.14 फीसद की रफ्तार से आबादी गांवों से शहरों की ओर पलायन कर रही है। लुधियाना और मोहाली में इसका सबसे ज्यादा असर देखने को मिल रहा है। लुधियाना में एक दशक में 59.14 फीसद की वृद्धि दर से शहरीकरण हुआ है।

इसके बाद मोहाली 55.17 फीसद, अमृतसर 53.64 व जालंधर में 53.18 फीसद शहरीकरण हुआ है। इससे यह साफ हो गया है कि नगर निगमों व नगर काउंसिलों को ढांचागत विकास के लिए अब पहले से ज्यादा प्रयास करने होंगे।

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