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..किताबें पढ़ेंगे तो ही अच्छे गीत लिख पाएंगे आज केगीतकार

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : पंजाबी गीतों में अश्लीलता बढ़ गई है, पंजाबी गीतों में विदेशी ब्रांड क

By JagranEdited By: Published: Tue, 20 Nov 2018 08:06 PM (IST)Updated: Tue, 20 Nov 2018 08:06 PM (IST)
..किताबें पढ़ेंगे तो ही अच्छे गीत लिख पाएंगे आज केगीतकार
..किताबें पढ़ेंगे तो ही अच्छे गीत लिख पाएंगे आज केगीतकार

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : पंजाबी गीतों में अश्लीलता बढ़ गई है, पंजाबी गीतों में विदेशी ब्रांड का नाम ही इस्तेमाल हो रहा है, पंजाबी गीतों में विदेश ही नजर आता है, ये सब सच है। पर ये आज का नहीं, बहुत पुराने से ही चला आ रहा है। आप एक गायक का नाम बताएं, जिन्होंने कभी दोहरे अर्थ से जुड़े गाने नहीं गाए। खुद सु¨रदर कौर ने ऐसे गीत गाए, जिनके अर्थ दो तरह के थे। मगर उस दौरान, हमारा लाइफस्टाइल थोड़ा शांत था, इन बातों पर इतना जोर नहीं दिया जाता था। आज यूट्यूब है, जीवन तेज हो गया तो ये अब हमें चुभ रहा है। मगर वर्तमान गीतकारों से एक शिकायत है कि वो किताबें पढ़े। अगर उन्हें किताबें पकड़ा दी जाएं, तो यकीनन वो ऐसे गाने लिखेंगे, जिसका कोई अर्थ हो। गीतकार शमशेर सिंह संधू ने कुछ इस अंदाज में वर्तमान गायिकी पर अपने विचार रखे। लिटराटी-2018 में आयोजित पंजाबी गीतकारी में उनके साथ गीतकार जानी और चंदर लिखारी भी शामिल हुए। बोले कि इन दिनों गीत भी ऐसे लिखे जा रहे हैं, जिससे की वह पूरे भारत में समझ आए। ऐसे में पंजाबी भाषा के गहरे भाव वाले शब्द गायब हो गए। उसे केवल किताबों तक ही छोड़ दिया गया है। हालांकि मैंने भी कई ऐसे गीत लिखे, जिसमें दिल से ज्यादा चेहरे को अहमियत दी गई, मगर उस दौरान कई बातों का ख्याल भी रखा। जिससे अश्लीलता न फैले। मैं किताबें नहीं पढ़ता, मगर आसपास को देखकर लिखता हूं..

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जानी ने इस दौरान कहा कि वे स्कूल से ही पढ़ाई से इतना नहीं जुड़े थे। दरअसल उन्होंने तो हीर-रांझा का किस्सा भी नहीं पड़ा। मगर आसपास की दुनिया ने उन्हें प्रेरित किया लिखने को। जानी ने कहा कि उन्होंने पहली बार अंग्रेजी ही चंडीगढ़ में आकर सीखी। मैंने जब भी लिखा तो आसपास की जिंदगी से सीखकर लिखा हां, ये जानता हूं कि जो शमशेर संधू साहब ने लिखा, उसकी बराबरी नहीं कर सकता। कुछ दिनों के मोहताज होते हैं आजकल के गीत

चंदर लिखारी, तरनतारन से हैं और एक कॉलेज में हेल्पर के रूप में कार्यरत रहे। बोले कि मुझे इंडस्ट्री में रणजीत बावा लाए, क्योंकि वो भी उसी कॉलेज में पढ़ते थे। वो मेरे गीत गाता था। मगर आज कल इंडस्ट्री देखकर लगता है कि गानों में बस एक ही तरह की लिखावट है, हां, कुछ अच्छे भी हैं, मगर रुह छूने वाले कम है। ऐसे में इसपर ज्यादा नहीं बोलूंगा मगर फिर भी पंजाबी गीतकारों को थोड़ा किताबों से जुड़ना चाहिए।


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