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तीन फीट और पानी बढ़ा तो खोलने पड़ेंगे Sukhna Lake के फ्लडगेट, इस एरिया में होंगे बाढ़ जैसे हालात

ट्राईसिटी में बीते दिन हुई तेज बरसात के कारण जन जीवन अस्त व्यस्त हो गया था। हालांकि आज बारिश से राहत है। वहीं अगर बारिश होती है तो हालात और बिगड़ सकते हैं। क्योंकि सुखना लेक में पानी का लेवल बढ़ने पर फ्लडगेट खोलने पड़ सकते हैं।

By Ankesh ThakurEdited By: Published: Thu, 29 Jul 2021 04:25 PM (IST)Updated: Thu, 29 Jul 2021 04:25 PM (IST)
तीन फीट और पानी बढ़ा तो खोलने पड़ेंगे Sukhna Lake के फ्लडगेट, इस एरिया में होंगे बाढ़ जैसे हालात
चंडीगढ़ की लाइफलाइन कहे जाने वाली सुखना लेक। (फाइल फोटो)

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। शिवालिक की पहाड़ियों में लगातार हो रही बरसात से सुखना लेक का जलस्तर बढ़ रहा है। इसके लगातार बढ़ने से जीरकपुर के काफी हिस्से में जलभराव का खतरा अभी से बढ़ रहा है। खासकर बलटाना एरिया में बाढ़ जैसे हालात हो सकते हैं। यह इसलिए क्योंकि पिछले साल भी लेक से पानी छोड़ने पर यह बलटाना एरिया में सुखना चौ से बाहर बलटाना एरिया में फैल गया था। लगातार हो रही बरसात सुखना लेक के लिए संजीवनी बन रही है। लेक का जलस्तर एकदम से साढ़े चार फीट बढ़ गया है।

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बुधवार शाम को जलस्तर बढ़कर 1160 फीट पर पहुंच गया। इससे पहले शनिवार शाम तक यह 1155.5 फीट था। साथ ही सुखना के कैचमेंट एरिया यानी शिवालिक की पहाड़ियों में तेज बरसात हो रही है। इससे पानी लगातार लेक में पहुंच रहा है। इससे लेक का जलस्तर बढ़ रहा है। अब इसी तरह से बरसात होती रही और पानी आता रहा तो पानी खतरे के निशान तक पहुंच सकता है। 1163 फीट पर जलस्तर पहुंचता है तो रेगुलेटरी एंड पर फ्लड गेट खोलने की नौबत आ जाएगी। इस बरसात के बाद लेक की जो स्थिति है उससे तय माना जा रहा है कि इस साल भी फ्लड गेट खुलेंगे। अभी बरसात का दौर बाकी है। एक दो स्पैल और अच्छी बरसात के हुए तो यह खोलने जरूरी हो जाएंगे। पहले भी लगातार दो साल से फ्लड गेट खोलकर सुखना चौ के रास्ते से घग्गर नदी में पानी भेजा जाता रहा है। इस बार भी ऐसी संभावना लग रही है।

लेक में फैल रहा कबाड़

सुखना लेक में पहाड़ी एरिया से पानी के साथ मिट्टी, पेड़ों की टहनियां और पत्ते सहित कबाड़ पहुंच रहा है। लेक में यह हवा की दिशा में किनारों पर इक्ट्ठा हो रहा है। पहले भी लेक में इस तरह से यह पहुंचता रहा है। इससे लेक में कई जगह कबाड़ जमा हो रहा है। इसका कारण यह भी है कि पानी के साथ आने वाली मिट्ठी को रोकने के लिए कैचमेंट एरिया में जो छोटे डैम बनाए गए थे वह सभी मिट्टी से अंट चुके हैं। अब यह सीधे ही लेक में पहुंच रही है।


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