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निजी स्कूल बैलेंस शीट अपलोड नहीं करते तो शिकायत अथॉरिटी को करें

बैलेंस शीट अपलोड नहीं कर रहे हैं तो इसकी शिकायत अथॉरिटी को की जा सकती है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 18 May 2020 09:54 PM (IST)Updated: Tue, 19 May 2020 06:06 AM (IST)
निजी स्कूल बैलेंस शीट अपलोड नहीं करते तो शिकायत अथॉरिटी को करें
निजी स्कूल बैलेंस शीट अपलोड नहीं करते तो शिकायत अथॉरिटी को करें

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़ : शहर के निजी स्कूल अगर फीस रेगुलेटरी अथॉरिटी की वेबसाइट पर अपनी वित्तीय स्थिति की जानकारी देते हुए बैलेंस शीट अपलोड नहीं कर रहे हैं तो इसकी शिकायत अथॉरिटी को की जा सकती है। हाई कोर्ट ने इस मामले में दायर एक जनहित याचिका का निपटारा करते हुए यह आदेश दिए हैं। चीफ जस्टिस रवि शंकर झा एवं जस्टिस अरुण पल्ली की खंडपीठ ने यह आदेश एडवोकेट नितिन गोयल द्वारा शहर के निजी स्कूलों द्वारा अपनी वार्षिक बैलेंस शीट जिसमें स्कूल के सालभर की आय और खर्च का पूरा ब्योरा हो, उसे फीस रेगुलेटरी अथॉरिटी की आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड नहीं किए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका का निपटारा करते हुए दिए हैं। याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट को बताया था कि फीस रेगुलेटरी एक्ट के तहत सभी निजी स्कूलों को अपनी वार्षिक बैलेंस शीट फीस रेगुलेटरी अथॉरिटी की वेबसाइट पर अपलोड करनी होती है। लेकिन शहर का कोई भी निजी स्कूल ऐसा नहीं कर रहा है क्योंकि इसके जरिये ही स्कूल की वित्तीय स्थिति का ब्योरा मिल सकता है और इसी आधार पर स्कूल अपनी फीस बढ़ा सकते हैं। प्रशासन ने दिए थे तिथि को बढ़ाने के आदेश

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याचिकाकर्ता नितिन गोयल ने बताया कि 25 मार्च को शहर में लॉकडाउन घोषित कर दिया गया था। 30 मार्च को प्रशासन ने सभी निजी स्कूलों को फीस जमा करवाने की आखिरी तारीख को बढ़ाए जाने के आदेश दे दिए। याचिकाकर्ता की मांग पर प्रशासन ने 24 अप्रैल को सभी निजी स्कूलों को 30 अप्रैल तक अपनी बैलेंस शीट अपलोड करने के निर्देश दिए। एक मई तक किसी भी स्कूल ने अपनी बैलेंस शीट अपलोड ही नहीं की थी। स्कूलों ने प्रशासन पर बनाया था दबाव

बैलेंस शीट अपलोड करने के बजाय तीन मई को सभी स्कूलों ने प्रशासन पर दबाव बनाना शुरू कर दिया कि उन्हें फीस वसूली की इजाजत दी जाए ताकि वह अपने स्टाफ का वेतन दे सके। याचिकाकर्ता ने कहा कि कई स्कूल ऐसे हैं जिनके खाते में इतनी राशि है कि वह बिना फीस लिए अगले 20 महीने का वेतन अपने स्टाफ को दे सकते हैं। सिर्फ उन्हीं स्कूलों को फीस बढ़ाए जाने की इजाजत दी जानी चाहिए जिनकी वित्तीय स्थिति ठीक नहीं है।


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