Dangal Girl Sanya ने जताई इच्छा- रिटायरमेंट के बाद चंडीगढ़ में बसने का करता है दिल
वाह इस शहर के कहने क्या। बस दुख इस बात का है कि आज सिर्फ दो घंटों के लिए ही शहर में हूं।
चंडीगढ़, [शंकर सिंह]। वाह, इस शहर के कहने क्या। बस दुख इस बात का है कि आज सिर्फ दो घंटों के लिए ही शहर में हूं। मुझे याद है इन्हीं दिनों गर्मियों की छुट्टियों में इस शहर में आया करती थीं। मेरे कई रिश्तेदार चंडीगढ़ के विभिन्न सेक्टरों में रहते हैं। ऐसे में इस शहर की गली और सड़कें मुझे याद हैं। बस दुख इस बात का है कि अब यहां आना कम ही हो पाता है। हालांकि, मैंने रियाटरमेंट के बाद यहीं रहने का प्लान जरूर बनाया है। दंगल गर्ल सान्या मल्होत्रा बुधवार को शहर पहुंचीं, तो उन्होंने कुछ इसी अंदाज में इसकी यादों को साझा किया।
सान्या ने यादों को किया साझा
दंगल फिल्म के दाैरान फातिमा सना शेख और सान्या मल्होत्रा
सान्या ने शहर से जुड़ी तमाम यादों को साझा किया। यहां हर घर में आम के पेड़ देखने को मिलते थे सान्या ने कहा कि चंडीगढ़ शहर हरा भरा है। यहां के आर्किटेक्ट की मैं बड़ी फैन हूं। मुझे याद है जब भी यहां गर्मियों में आती थी, तो आम के पेड़ों में बोर उग आते थे। इससे खुशबू भी अलग हो जाती थी। यहां सुखना लेक पर कई बार सैर भी की है। उस दौरान पता नहीं था कि ये शहर पहला प्लांड शहर है। मगर दिल्ली में रहने के दौरान, समझ आता था कि ये शहर तो विदेश की तरह हैं। यहां की सड़कों पर घूमना मुझे काफी भाता था। ऐसा लगता था कि जैसे मैं विदेश में ही टहल रही हूं।
दंगल के दौरान फेवरेट स्टेशन चंडीगढ़ ही रहा
पंजाब में शूट हुई थी दंगल फिल्म
दंगल आपकी पहली फिल्म रही, जो पंजाब में शूट हुई, ऐसे में शहर भी आना होता रहा? पर सान्या ने कहा हां। दरअसल, सारी शू¨टग तो लुधियाना में हुई। ऐसे में चंडीगढ़ ही मिड प्वाइंट होता था। उस दौरान हम इस शहर से गुजरते थे। कुछ दिन ठहरे भी। ऐसे में ये मेरी डेब्यू फिल्म के लिए एक तरह से काफी अच्छा रहा। मुझे खुशी है कि ये शहर मेरे लिए लक्की है। मुझे उम्मीद थी कि वो फिल्म चलेगी ही। मगर इस कदर मुझे उसमें पहचान मिलेगी ये नहीं पता था।सान्या ने कहा कि मुझे भी लगता है कि मुझे मेरे ही मतलब की फिल्म मिली। अब सिनेमा बदल गया है। अब एक्ट्रेस केवल अपनी जान बचाने के लिए हीरो को नहीं बुलाती। अब उस किरदार सच्चे किरदारों की तरह है। जिसमें कई तरह की परेशानियां है, तो साथ ही उन परेशानियों से उबरने की ताकत भी। ये एक बेहतर सिनेमा की और हमारे कदम है।
पुरानी सोच तोड़कर बन रहा है नया सिनेमा
सिनेमा में भी दिखना चाहिए बदलाव
बधाई हो जैसी फिल्म ने रूढ़ीवादी सोच को तोड़ा पर सान्या ने कहा कि हमारा समाज बहुत कुछ नया अपना रहा है। मगर अब इसे सिनेमा में भी दिखाना चाहिए। एक औरत जब प्रेगनेंट होती है, तो हर कोई खुश होता है। ऐसे में बड़ी उम्र की इसमें क्या बाधा। इस तरह के कॉन्सेप्ट हमारे समाज में उन महिलाओं को हिम्मत देते हैं, जो इन सबसे गुजर रही है और लोग उन्हें अलग नजरों से देखने लगते हैं।
बचपन में कह भी नहीं सकती थी कि मुझे एक्टर बनना है
सान्या ने कहा कि फिल्म इंडस्ट्री में शुरु से ही खूबसूरती प्रमुख रही है। मुझे अपनी लुक का अंदाजा है। ऐसे में बचपन से लेकर युवा पन तक कोई किसी को नहीं कहा कि मुझे एक्टर बनना है। डांस इंडिया डांस में जब पहली बार मेरा सिलेक्शन हुआ तो टॉप 100 में बाहर हो गई। उसके बाद तो मेरा आत्मविश्वास टूट गया। मगर फिर खुद को मजबूत करते हुए, मैंने इस इंडस्ट्री में जगह पा ही ली। मैं आज भी बहुत इंट्रोवर्ट हूं, मगर ये मेरे लिए फिल्मों में करने के लिए बेहतर बना।
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