मुझे तो एथलेटिक्स की स्पेलिंग तक नहीं आती थी : मिल्खा सिंह
मिल्खा सिंह ने कहा कि रोम ओलंपिक जाने से पहले मैंने दुनियाभर में 80 दौड़ों में भाग लिया था उसमें मैंने 77 दौड़ें जीतीं जिससे मेरा एक रिकॉर्ड बन गया था।
चंडीगढ़, [विकास शर्मा]। वक्त के साथ खेलों में काफी सुधरा हुआ है। एथलेटिक्स के प्रति नजरिया भी बदला है और लोग अब बच्चों को खुद एथलेटिक्स के लिए प्रमोट करते हैं। एथलेटिक्स की दृष्टि से यह बदलाव अच्छे हैं। हम पहले से काफी बेहतर कर रहे हैं, लेकिन अभी भी बड़े टूर्नामेंटों में हमारे खिलाड़ी खेल प्रेमियों को निराश ही करते हैं। यह कहना है उड़न सिख पद्मश्री मिल्खा सिंह का। उन्होंने कहा कि मुङो तो एथलेटिक्स की स्पेलिंग तक नहीं आती थी, आर्मी ने तराशा तो मेरे नाम के आगे उड़न सिख लग गया। विश्व एथलेटिक दिवस पर दैनिक जागरण से बातचीत करते हुए मिल्खा सिंह ने खेल से जुड़े कई सवालों पर अपनी बेबाक राय रखी।
खिलाड़ियों में नहीं दिखता वो जीत का जज्बा
मिल्खा सिंह ने कहा कि रोम ओलंपिक जाने से पहले मैंने दुनियाभर में 80 दौड़ों में भाग लिया था, उसमें मैंने 77 दौड़ें जीतीं, जिससे मेरा एक रिकॉर्ड बन गया था। सारी दुनिया ये उम्मीद लगा रही थी कि रोम ओलंपिक में कोई अगर 400 मीटर की दौड़ जीतेगा तो वो भारत के मिल्खा सिंह होंगे। मैं इतने सालों से इंतजार कर रहा हूं कि कोई दूसरा भारतीय वो कारनामा कर दिखाए, जिसे करते-करते मैं चूक गया था, लेकिन हम एक भी पदक नहीं जीत पाए। हमारे जमाने में न तो ग्राउंड थे और न ही अनुभवी कोच थे। हम नंगे पांव दौड़े, बावजूद इसके हमने अपनी मेहनत से शानदार प्रदर्शन किया, लेकिन अब देश में तमाम तरह की सुविधाएं हैं, फिर भी खिलाड़ियों में जीत का वो जज्बा देखने को नहीं मिलता है।
हिमा में दिखता है जुनून
मिल्खा सिंह को टोक्यो ओलंपिक 2021 में एथलीट हिमा दास से पदक की उम्मीद है। हिमा में वह जीत का जुनून देखते हैं। उन्होंने कहा कि मैं खुद 400 मीटर का धावक रहा हूं, इसलिए कुछ महीने पहले मैंने हिमा के कोच को फोन कर टिप्स दिए थे कि कैसे वह ओलंपिक के लिए अपनी तैयारी करे। उन्होंने कहा कि खिलाड़ी का प्रदर्शन काफी हद तक कोचिंग पर भी निर्भर करता है। पीटी ऊषा में ओलंपिक पदक जीतने की क्षमता थी, लेकिन उन्हें बेहतर कोच नहीं मिले।
रोज 10 मिनट जरूर दौड़े
मिल्खा सिंह बताते हैं कि वह अब 90 साल के हो गए हैं, लेकिन सामान्य दिनों में रोज गोल्फ खेलते हैं। उन्होंने कहा कि अपनी फिटनेस के लिए घर में ही जिम बना रखा है, जहां रोज एक-दो घंटे हल्की एक्सरसाइज करता हूं। दौड़ ही सब खेलों की मां है। अगर आपको दौड़ने की आदत पड़ जाती है तो आपके साथ आपकी आने वाली पीढ़ियां भी सुधर जाती हैं। हम पूरी उम्र दूसरों के लिए दौड़ते हैं, इसलिए रोज 10 मिनट जरूर अपने लिए भी दौड़े।
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