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खुशकिस्मत हूं कि चंडीगढ़ में हूं जिसे सजा देनी होती है, उसे दिल्ली भेज देते हैं : डीजीपी बेनीवाल

सर्विस में मैंने देखा है कि पुलिस वालों से आम पब्लिक अकसर दूर भागती है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 12 Jan 2020 08:51 PM (IST)Updated: Sun, 12 Jan 2020 08:51 PM (IST)
खुशकिस्मत हूं कि चंडीगढ़ में हूं जिसे सजा देनी होती है, उसे दिल्ली भेज देते हैं : डीजीपी बेनीवाल
खुशकिस्मत हूं कि चंडीगढ़ में हूं जिसे सजा देनी होती है, उसे दिल्ली भेज देते हैं : डीजीपी बेनीवाल

विशाल पाठक, चंडीगढ़ : अपनी 30 साल की सर्विस में मैंने देखा है कि पुलिस वालों से आम पब्लिक अकसर दूर भागती है। लोग यह तक कह देते हैं कि यह मुसीबत कहां से आ गई। लेकिन पुलिस वालों का काम ही ऐसा है कि उन्हें खुद और लोगों को कानून का पालन कराना ही पड़ता है। जैसे कि नीम कड़वा होता है लेकिन उसके फायदे भी होते हैं। किसी ने एक बार मुझसे कहा कि मैं बहुत खुशकिस्मत हूं कि चंडीगढ़ में हूं। क्योंकि जिसे सजा देनी होती है, उस अफसर का ट्रांसफर दिल्ली कर दिया जाता है। मैंने दिल्ली में रहकर ईमानदारी से काफी काम किया। इसलिए मुझे सरकार ने कुछ दिन के लिए ठंडी छांव का आनंद उठाने के लिए चंडीगढ़ भेज दिया। मेरा मानना है कि चंडीगढ़ जैसा शहर पूरे देश में कहीं नहीं है। इसीलिए एक बार यहां जो आ जाता है, वह शहर से बाहर नहीं जाता। यह कहना है चंडीगढ़ पुलिस के डीजीपी संजय बेनीवाल का। जोकि रविवार को सेक्टर-15 स्थित कम्युनिटी सेंटर में (चंडीगढ़ रेजिडेंट्स एसोसिएशंस वेलफेयर फेडरेशन) क्राफ्ड की ओर से रखी गई एग्जीक्यूटिव मीटिग में बतौर चीफ गेस्ट उपस्थित हुए थे। इस दौरान मीटिग की अध्यक्षता क्राफ्ड के चेयरमैन हितेश पुरी ने की। मीटिग में 83 से अधिक आरडब्ल्यूए के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। क्राइम को कंट्रोल करना है तो लोगों को आना होगा आगे

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डीजीपी संजय बेनीवाल ने रेजिडेंट्स से कहा कि अगर शहर में क्राइम को कंट्रोल करना है तो लोगों को भी इसमें पहल करनी होगी। लोगों को आगे आना होगा। तभी क्राइम पर अंकुश लगाया जा सकता है। चंडीगढ़ पुलिस की ओर से ई-बीट बॉक्स (अटल सहभागिता केंद्र) शहर में जगह-जगह खोले गए हैं। ताकि लोगों को रोजमर्रा की जिदगी में आने वाली समस्याओं का निपटारा उनके घर पर ही कर दिया जाए। ताकि उन्हें अपनी समस्या को लेकर पुलिस स्टेशन न आना पड़े। बेनीवाल ने कहा कि इसके लिए हर ई-बीट बॉक्स पर पुलिस मुलाजिमों की एक टीम तैनात की गई है। जोकि लोगों की छोटी-मोटी समस्याओं और आपराधिक वारदात रोकने की दिशा में काम कर सके। वह अपने नजदीकी ई-बीट बॉक्स पर बैठे पुलिस मुलाजिमों को अपनी रेजिडेंट वेलफेयर की मीटिग में बुलाएं और उनसे अपने एरिया की समस्याएं साझा करें। तभी शहर में क्राइम को कंट्रोल किया जा सकता है। कचरा प्रबंधन की नई दरों पर लोगों से लेनी चाहिए राय

क्राफ्ड के महासचिव रजत मल्होत्रा ने नगर निगम द्वारा लागू किए जाने वाले नए कचरा संग्रहण दरों पर बात की। उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ नगर निगम को दरों में किसी वृद्धि को अंतिम रूप देने से पहले शहर की तमाम आरडब्ल्यूए के प्रतिनिधियों को विश्वास में लेना चाहिए। कचरा उठाने के लिए निवासी पहले से ही अच्छी खासी राशि का भुगतान कर रहे हैं और समान काम के लिए दरों को और बढ़ाने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने सीएचबी फ्लैटों में आवश्यकता-आधारित परिवर्तनों के नियमितीकरण का मुद्दा भी उठाया। कहा कि हाल ही में सांसद किरण खेर के साथ एक बैठक में उन्हें उम्मीद जगी कि आवश्यकता-आधारित परिवर्तनों के नियमितीकरण की लंबे समय से लंबित मांग के लिए कुछ सकारात्मक हो सकता है। उन्होंने निवासियों से अपने आवास में कोई नया निर्माण नहीं करने की अपील की। हर महीने एरिया एसएचओ और आरडब्ल्यूए के बीच होनी चाहिए बैठक

क्राफ्ड के मुख्य प्रवक्ता डॉ. अनीश गर्ग और मेजर डीपी सिंह ने कहा कि हर क्राइम ग्राफ को कंट्रोल करने के लिए हर महीने एरिया एसएचओ और आरडब्ल्यूए के बीच बैठक होनी चाहिए। हितेश पुरी ने रेजिडेंट्स से कहा कि सहयोग करने और अपराध को नियंत्रित करने में पुलिस के कान और आंखें बनने की अपील की। जल टैरिफ और संपत्ति कर की प्रस्तावित वृद्धि को एक बार में लागू नहीं किया जाना चाहिए। बल्कि उपकर व करों में किसी भी भविष्य में वृद्धि को लागू करने से पहले निवासियों, आरडब्ल्यूए और फेडरेशन के साथ परामर्श किया जाना चाहिए। ई-साथी मोबाइल एप से भी पुलिस तक पहुंचा सकते हैं अपनी बात

डीजीपी ने अपील करते हुए कहा कि शहर में क्राइम पर अंकुश लगाने के लिए रेजिडेंट्स अपनी समस्या और गुप्त जानकारी को ई-साथी मोबाइल एप के जरिये भी भेज सकते हैं। इसके अलावा पीजी संचालक, नौकरों और अन्य लोगों की पुलिस वेरिफिकेशन के लिए भी इस मोबाइल एप का इस्तेमाल किया जा सकता है। डीजीपी ने बताया कि अभी तक 60 हजार लोग इस मोबाइल को डाउनलोड कर चुके हैं।


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