कैसे बेहतर होगा बचपन, क्रेच में 66 फीसद स्टाफ की कमी
कामकाजी महिलाओं के आफिस जाने के बाद उनके छोटे बच्चों की देखभाल करने और उन्हें बेहतर बचपन देने के लिए सोशल वेलफेयर विभाग की ओर से संचालित 53 क्रेच में 66 फीसद स्टाफ की कमी है।
सुमेश ठाकुर, चंडीगढ़ : कामकाजी महिलाओं के आफिस जाने के बाद उनके छोटे बच्चों की देखभाल करने और उन्हें बेहतर बचपन देने के लिए सोशल वेलफेयर विभाग की ओर से संचालित 53 क्रेच में 66 फीसद स्टाफ की कमी है। स्टाफ की कमी होने का मुख्य कारण क्रेच को संचालित करने वाली एग्जीक्यूटिव कमेटी का सात वर्ष से गठन न होना है। सोशल वेलफेयर क्रेच में बच्चों को बेहतर सुविधाएं देने के लिए एग्जीक्यूटिव कमेटी का गठन करता था, जिसमें प्रशासनिक अधिकारियों के साथ समाजसेवियों को शामिल किया जाता था। कमेटी समय-समय पर बैठक कर सोशल वेलफेयर विभाग और प्रशासन के आगे प्रस्ताव रखकर बच्चों को बेहतर बचपन देने की दिशा में काम करती थी, लेकिन वर्ष 2015 के बाद से एग्जीक्यूटिव कमेटी का गठन ही नहीं हुआ। इसके चलते कभी स्टाफ को पूरा करने की दिशा में भी काम नहीं हुआ। 53 क्रेच को चलाने के लिए ब्रांच के पास 318 कर्मचारियों की जरूरत है, लेकिन विभाग के पास सिर्फ वर्तमान में सिर्फ 106 कर्मचारी हैं। स्टाफ की कमी बच्चों की बेहतर देखभाल पर सवाल खड़ा करती है। 53 क्रेच के लिए कुल 61 सहायक
क्रेच ब्रांच निर्माण के समय एक सेंटर पर दो सहायक रखने का प्रस्ताव पास हुआ था। ताकि एक की अनुपस्थिति में दूसरा काम को संभाल सके। अभी शहर में 53 क्रेच में कुल 106 सहायक होने चाहिए, जबकि इस समय क्रेच ब्रांच के पास सिर्फ 61 ही सहायक हैं। वहीं प्रत्येक क्रेच में एक इंचार्ज की जरूरत है, लेकिन इस समय ब्रांच के 53 क्रेच को 45 इंचार्ज संभाल रहे हैं। चौकीदार, स्वीपर नहीं तीन मालियों के सहारे सभी क्रेच
क्रेच का समय सुबह सवा आठ से शाम छह बजे तक का है। क्रेच को चलाने के लिए इंचार्ज, सहायक के साथ फोर्थ क्लास स्टाफ जैसे चौकीदार, स्वीपर और माली की जरूरत है। क्रेच ब्रांच निर्माण के समय हर क्रेच में एक माली, स्वीपर और चौकीदार की नियुक्ति हुई थी, लेकिन इस समय 53 क्रेच में साफ सफाई के लिए सिर्फ तीन ही माली हैं और क्रेच की इमारत का संरक्षण करने के लिए कोई चौकीदार तक नहीं है। क्रेच ब्रांच पर स्टडी करने के बाद काम होगा। बच्चों को बेहतर बचपन देने के लिए स्टाफ की नियुक्ति से लेकर दूसरे प्रयास भी किए जाएंगे। ताकि कामकाजी महिलाएं काम के समय बच्चों को बेहतर माहौल दें सकें।
- नितिका पवार, सचिव सोशल वेलफेयर