हमशक्ल के मरने पर इंश्योंरेंस कैसे लें
नटवर लाल के घर में किसी अजनबी की मौत हो जाती है।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : नटवर लाल के घर में किसी अजनबी की मौत हो जाती है। मरने वाला व्यक्ति नटवर लाल का हमशक्ल है। अब नटवर लाल और उसकी पत्नी चंपाकली परेशान है कि कैसे मरे हुए व्यक्ति को नटवर लाल साबित करें और उसकी मौत से मिलने वाले क्लेम को हासिल करें। इसको दिखाया नाटक चंपाकली की रामरूपैया में। नाटक का मंचन टैगोर थिएटर सेक्टर सेक्टर-8 में हास्य नाट्य महोत्सव के दौरान किया गया। नाटक को पीपुल्य मीडिया एंड थिएटर, जयपुर के अभिनेताओं ने पेश किया। हास्य नाट्य महोत्सव का आयोजन 7 से 21 सितंबर तक उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (एनजेडसीसी), पटियाला द्वारा कराया जा रहा है। यह कार्यक्रम कॉमेडी और कटाक्ष की शैली में प्रमुख थिएटर निर्देशकों और कलाकारों के कामों को प्रदर्शित करने वाला है। नटवर के पास नहीं है पैसे
नाटक का आरंभ ऐसे परिवेश से होता है जहां पर नटवर चंपावती से प्यार करता है और शादी करना चाहता है। चंपावती की मां शादी से खिलाफ है क्योंकि उसे लगता है कि नटवर के पास कोई पैसा नहीं है। किसी भी आपातकाल से निपटने के लिए नटवर सक्षम नहीं है लेकिन चंपा मां की बात को नहीं मानती और नटवर से शादी कर लेती है। शादी के कुछ समय बाद एक अजनबी उनके घर में आकर मर जाता है। जिसके बाद नटवर और चंपावती को युक्ति सूझती है कि इसे मरे हुए इंसान को नटवर लाल साबित करें और इंश्योरेंस का पैसा ले लें। इस सारे प्रकरण में उनके साथ कई ऐसे वाक्य होते हैं जोकि खुद ही हंसी पैदा कर देते हैं। अशोक राही ने किया निर्देशन
नाटक का लेखन और निर्देशन अशोक राही ने किया था। अशोक ने कहा कि बहुत बार ऐसा होता है जब इंसान मजबूर होता है और उसकी मजबूरी का फायदा कोई दूसरा उठा रहा होता है। उस समय कोई कॉमेडी नहीं हो रही होती लेकिन हंसी खुद ही आ जाती है। इसको दिखाने के लिए नाटक का मंचन किया गया है।