Move to Jagran APP

फ्लैट के लिए कितनी चाहिए जमीन, फाइनेंस डिपार्टमेंट ने चीफ आर्किटेक्ट से मांगी रिपोर्ट

इंप्लाइज हाउ¨सग स्कीम के लिए केंद्र सरकार जमीन के कलेक्टर रेट पर देने को मंजूरी दे चुकी है। अब इस स्कीम का कंस्ट्रक्शन प्लान इसके आधार पर ही तैयार होना है।

By Edited By: Published: Tue, 19 Feb 2019 10:41 PM (IST)Updated: Thu, 21 Feb 2019 11:58 AM (IST)
फ्लैट के लिए कितनी चाहिए जमीन, फाइनेंस डिपार्टमेंट ने चीफ आर्किटेक्ट से मांगी रिपोर्ट
फ्लैट के लिए कितनी चाहिए जमीन, फाइनेंस डिपार्टमेंट ने चीफ आर्किटेक्ट से मांगी रिपोर्ट

चंडीगढ़, [बलवान करिवाल]  : इंप्लाइज हाउसिंग के लिए केंद्र सरकार जमीन के कलेक्टर रेट पर देने को मंजूरी दे चुकी है। अब इस स्कीम का कंस्ट्रक्शन प्लान इसके आधार पर ही तैयार होना है। इसके तहत फाइनेंस डिपार्टमेंट ने सबसे पहले अर्बन प्लाfनग डिपार्टमेंट से यह पूछा है कि इस प्रोजेक्ट के लिए कितनी जमीन की जरूरत होगी। जिस पर स्कीम में चयनित इंप्लाइज के फ्लैट बनाए जा सकें।

loksabha election banner

चीफ आर्किटेक्ट इसका पूरा एस्टीमेट तैयार करेंगे। एस्टीमेट तैयार होने के बाद इसे एस्टेट ऑफिस के पास जमीन का रेट केलकुलेट करने के लिए भेजा जाएगा। हालांकि जमीन का रेट कलेक्टर रेट के हिसाब से ही निर्धारित होना है। फिर इसकी कीमत एस्टेट ऑफिस ही तय करके वापस फाइनेंस डिपार्टमेंट को भेजेगा। इसके बाद फाइनेंस डिपार्टमेंट उसी रेट के आधार पर सभी चयनित इंप्लाइज से 25 प्रतिशत राशि रीवाइज्ड रेट के हिसाब से जमा कराएगा। इससे पहले इंप्लाइज से रीवाइज्ड रेट को लेकर उनकी सहमति भी ली जाएगी। सहमति होने पर ही कंस्ट्रक्शन शुरू होगी।

जनवरी में केंद्र सरकार ने इस स्कीम के लिए जमीन देने को मंजूरी दी थी। एमएचए से हरी झंडी मिलने के बाद प्रशासन ने स्कीम पूरी करने की प्रक्रिया शुरू की थी। 2008 से स्कीम का इंतजार यूटी प्रशासन ने 2008 में यह स्कीम लांच की थी। जिसके लिए सेक्टर-52, 53 और 56 में कुल 73.3 एकड़ जमीन चिह्नित की गई थी। जिसमें से 11.8 एकड़ जमीन पहले से ही सीएचबी को मिल चुकी थी। जिसका फ्लोर एरिया रेशो बढ़ाकर कंस्ट्रक्शन प्लान भी तैयार हो चुका है। मार्च 2020 से इन फ्लैट का निर्माण भी शुरू हो जाएगा। बाकी फ्लैटों के लिए जितनी जमीन की जरूरत होगी, उसी के हिसाब से रेट तय होगा। अब देखना यह होगा कि स्कीम के फ्लैट का निर्माण तीनों साइट पर की जमीन पर होगा या फिर जमीन की कम जरूरत होती है, तो दो साइट से भी काम चल सकता है। इसका फैसला चीफ आर्किटेक्ट करेंगे। तीन साइट की 73.3 एकड़ जमीन में से 11.8 पर प्लान तैयार होने के बाद 61.5 एकड़ जमीन बची है।

सालों से जमा है इंप्लाइज के 57 करोड़ रुपये

यूटी प्रशासन ने इस स्कीम के लिए सीएचबी को नोडल एजेंसी अप्वाइंट किया था। जिसके बाद 2008 में सीएचबी ने सेल्फ फाइनें¨सग हाउसिंग स्कीम टाइटल से इसे विज्ञापित किया। 99 साल की लीज होल्ड बेस पर यह फ्लैट इंप्लाइज को मिलने थे। स्कीम के तहत चंडीगढ़ प्रशासन, बोर्ड, कारपोरेशन, पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट और यूटी में डेपुटेशन पर कार्यरत इंप्लाइज अलग-अलग कैटेगरी में आवेदन कर सकते थे। 4 नवंबर 2010 को इस स्कीम के लिए ड्रॉ निकाला गया था। तीन अलग-अलग कैटेगरी में वन, टू और थ्री बेडरूम के लिए 7811 इंप्लाइज ने आवेदन किया था। जिनमें से 3930 का ड्रॉ में नाम निकला था। ड्रॉ के बाद सफल अलॉटियों से 25 प्रतिशत राशि यानी 57 करोड़ रुपये भी जमा करवा लिए थे। यह रकम अभी तक सीएचबी के पास जमा है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.