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हाउसिंग स्कीम लटकी, कर्मियों ने शुरू की चुनाव की तैयारी

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : 10 साल में भी मकान नहीं मिलने से आहत यूटी इंप्लाइज सीएचबी हाउसिंग

By JagranEdited By: Published: Fri, 07 Sep 2018 05:46 AM (IST)Updated: Fri, 07 Sep 2018 05:46 AM (IST)
हाउसिंग स्कीम लटकी, कर्मियों ने शुरू की चुनाव की तैयारी
हाउसिंग स्कीम लटकी, कर्मियों ने शुरू की चुनाव की तैयारी

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : 10 साल में भी मकान नहीं मिलने से आहत यूटी इंप्लाइज सीएचबी हाउसिंग वेलफेयर सोसायटी ने लोकसभा चुनाव में अपना कैंडिडेट उतारने की तैयारी तेज कर दी है। इतना ही नहीं, कैंडिडेट को जिताने की रणनीति पर भी काम शुरू कर दिया है। इसके लिए कर्मचारियों को जागरूक करने के लिए 7 सितंबर से कर्मचारी जागरण अभियान चलाने का फैसला लिया गया है। यह फैसला वीरवार को सोसायटी के प्रधान बलविंदर सिंह की अध्यक्षता में आयोजित आमसभा में लिया गया। बलविंदर सिंह ने कहा कि इस अभियान के लिए पूरे चंडीगढ को आठ जोन में बाटा गया है। इसकी शुरुआत जोन-1 में पड़ते सेक्टर-20 से की जाएगी। जोन-1 में अभियान की शुरुआत सोसायटी के प्रधान सरदार बलविंदर सिंह और वरिष्ठ उपप्रधान रामप्रकाश शर्मा करेंगे। अभियान का समापन जोन-8 में पड़ते सेक्टर-27 में किया जाएगा। जनरल सेक्रेटरी डॉ. धर्मेद्र ने बताया कि चंडीगढ़ में पूरा सितंबर महीना जोन अनुसार कर्मचारी जागरण अभियान चलेगा। 2 अक्टूबर को होगी महारैली

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2 अक्टूबर को कर्मचारियों का सत्याग्रह आदोलन एक महारैली के रूप में होगा। जिसमें चंडीगढ़, पंजाब, हरियाणा और केंद्र सरकार के कर्मचारियों को शामिल किया जाएगा। यह आंदोलन लगातार तब तक चलेगा जब तक कि यूटी इंपलाइज हाउसिंग स्कीम सहित कर्मचारियों की मागें हल नहीं होती। 13 सितंबर तक फैसला तो नहीं उतारेंगे कैंडिडेट

डॉ. धर्मेंद्र ने कहा कि बीजेपी द्वारा यूटी इंप्लाइज हाउसिंग स्कीम का काम13 सितंबर तक करवाया जाता है, तो 2019 में कर्मचारी अपना कैंडिडेट उतारने का फैसला वापस ले लेंगे। ऐसा नहीं हुआ तो कर्मचारी अपने फैसले पर अडिग हैं। राजनीतिक दलों के नेता इस भ्रम में न रहें कि कर्मचारी चुनाव में अपना उम्मीदवार नहीं उतार सकते और न जीत सकते। चंडीगढ में कर्मचारियों की संख्या 40 प्रतिशत से भी ज्यादा है। 6 माह का वायदा, 4 साल बाद भी अधूरा

इस स्कीम को हाउसिंग बोर्ड ने 2008 में लांच किया था। 2010 में कर्मचारियों से एडवांस में 57 करोड़ रुपये भी लिए थे। लेकिन मकान आजतक नहीं मिले हैं। डॉ. धर्मेद्र ने बताया कि चंडीगढ़ बीजेपी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में कर्मचारियों से यूटी इंपलाइज हाउसिंग स्कीम के तहत वायदा किया था कि सरकार बनते ही 6 महीने में कर्मचारियों के फ्लैटों का काम करवा दिया जाएगा। लेकिन 4 साल बीतने पर भी कर्मचारियों के फ्लैटों का मसला हल नहीं हुआ। कर्मचारियों के सभी मुद्दे अटके पड़े हैं इसको देखते हुए अबकी बार किसी रिटायर्ड कर्मचारी को ही लोकसभा के चुनाव में उतारने का फैसला लिया गया था। 13 सितंबर को इस मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई है। इसलिए कर्मचारियों ने 13 सितंबर का अल्टीमेटम दे रखा है।


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