बिना नोटिस जांच के बहाने घर में घुसने वाले दो कर्मियों को जेल
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : मॉडर्न हाउसिंग काप्लेक्स के मकान नंबर 5146/1 में बिना नोटिस घर मे
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : मॉडर्न हाउसिंग काप्लेक्स के मकान नंबर 5146/1 में बिना नोटिस घर में जांच के बहाने घुसने के मामले में शुक्रवार को लगभग साढे़ 6 साल बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया। याचिकाकर्ता विनोद कुमार बंसल ने इंसाफ की गुहार लगाई थी। कोर्ट ने चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड के दो कर्मचारियों को एक-एक साल की सजा व एक-एक हजार रुपये जुर्माने का फैसला सुनाया है। विनोद कुमार बंसल की वकील ममता मलिक ने बताया कि 28 फरवरी 2012 को हाउसिंग बोर्ड के दो कर्मचारी कैलाश गर्ग और किरपाल सिंह उनके घर में आए और जाच का बहाना करने लगे। उनके पास न तो कोई नोटिस था और न ही कोई शिकायत। लिहाजा, इसकी शिकायत कोर्ट में 15 जून 2012 को दर्ज कराई गई थी। इसके चलते ज्यूडीशियल मजिस्ट्रेट फर्स्ट क्लास जसप्रीत सिंह ने इन दोनों कर्मचारियों को एक-एक साल की सजा और एक-एक हजार रुपये जुर्माने का फैसला सुना दिया। कोई भी नोटिस नहीं कर सके पेश
ममता मलिक का कहना है कि हाउसिंग बोर्ड कोई भी नोटिस कोर्ट में पेश नहीं कर पाया। जिसमें दिखाया गया हो कि दोनों कर्मचारी मकान की जाच करने आए थे। हाउसिंग बोर्ड को नियमों के अनुसार किसी भी मकान की जाच करने से पहले 24 घटे का नोटिस देना होता है। इन कर्मचारियों के पास ऐसा नोटिस नहीं था। लिहाजा, इनके खिलाफ ट्रेस पास की शिकायत कोर्ट में दर्ज कराई गई थी। बचने के लिए कर दिया मकान कैंसल
ममता मलिक ने बताया कि हाउसिंग बोर्ड द्वारा केस वापस लेने के लिए दबाव बनाया गया था। जब केस वापस नहीं लिया गया, तो उनका मकान कैंसल कर दिया गया। बाद में चेयरमैन ने 42 लाख रुपये की पेनल्टी भी लगाई। फिलहाल दोनों कर्मचारियों कैलाश व किरपाल सिंह को कोर्ट ने अपील करने के लिए जमानत दी है। बताया गया कि किरपाल सिंह बीते 30 अगस्त को रिटायर भी हो गया है। साढे़ 6 साल करना पड़ा इंतजार
विनोद कुमार बंसल का कहना है कि उन्होंने इस लड़ाई को लड़ने के लिए साढे़ 6 साल काफी संघर्ष किया है। हाउसिंग बोर्ड किस तरह लोगों के साथ ज्यादती करता है, इसका यह प्रमाण है।