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हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, कहा- गृहिणी का योगदान अमूल्य, house maid से नहीं कर स‍कते तुलना

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने कहा कि गृहिणियों की तुलना घरेलू सहायिका (House maid) से तुलना नही कर सकते। बीमा क्‍लेम में गृहिणी की लना maid की आय से तुलना नहीं की जा सकती है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sat, 11 Apr 2020 11:08 AM (IST)Updated: Sat, 11 Apr 2020 11:47 AM (IST)
हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, कहा- गृहिणी का योगदान अमूल्य, house maid से नहीं कर स‍कते तुलना
हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, कहा- गृहिणी का योगदान अमूल्य, house maid से नहीं कर स‍कते तुलना

चंडीगढ़, [दयानंद शर्मा]। पंजाब एंव हरियाणा हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि गृहिणी का योगदान अमूल्‍य होता है और उसकी आय के मामले में घरेलू सहायिका (House maid)  से तुलना नहीं की जा सकती है। हाई कोर्ट ने फैसला किया कि एक गृहिणी, जिसकी कोई आय नहीं है, उसकी मौत पर House maid की आय के मुताबिक पीडि़त परिवार के लिए मुआवजा तय नहीं किया जा सकता।

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ट्रिब्यूनल की तरफ से निर्धारित मुआवजे 1,17,500 रुपये को हाई कोर्ट ने बढ़ाकर 5,56000 रुपये किया

हाइ्र कोर्ट ने कहा कि किसी भी गृहिणी का अपने परिवार के लिए योगदान अमूल्य होता है। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने सड़क हादसे में जान गंवाने वाली महिला की मौत पर मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल द्वारा तय मुआवजे की राशि 1,17,500 को बढ़ाकर 5,56, 000 रुपये कर दिया। ट्रिब्यूनल ने मुआवजे की राशि House maid  की आय से तुलना करते हुए तय किया था।

हादसा लुधियाना में हुआ था। स्कूटर को ट्रक द्वारा टक्‍कर मारने से महिला की मौत हो गई थी और उसका पति घायल हो गया था। बाद में पति ने मोटर व्हीकल्स एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल में मुआवजे के लिए अर्जी लगाई। याची अपनी पत्‍नी के साथ जा रहा था, तभी एक ट्रक ने उसके स्कूटर को टक्कर मार दी। टक्कर से वह दूर जाकर गिरा और पीछे बैठी उसकी पत्‍नी ट्रक के नीचे आ गई ।

ट्रिब्यूनल ने घरेलू सहायिका की आय को आधार मानते हुए तय किया था पीडि़त परिवार के लिए मुआवजा

उसकी अर्जी पर ट्रिब्यूनल ने महिला की मौत के पर मुआवजे की गणना के लिए घरेलू सहायिका को होने आय दो हजार रुपये मासिक के आधार पर 1,17,500 रुपये मुआवजा तय किया। इसके खिलाफ याची ने हाईकोर्ट की शरण ली। उसकी याचिका का विरोध करते हुए बीमा कंपनी ने कहा कि ट्रिब्यूनल ने आय का आकलन सही किया है। इससे ज्यादा होने पर यह न्यूनतम मजदूरी से ज्यादा हो जाता है। महिला गृहिणी थी और सिलाई का काम करती थी उसकी आय दो हजार रुपये मानना उचित है।

हाईकोर्ट ने ट्रिब्यूनल द्वारा अपनाए गए फार्मूले और बीमा कंपनी की दलील से असहमति जताते हुए कहा कि यह गृहिणी और पीडि़त परिवार के साथ भद्दा मजाक है। गहिणी अपने पति, बच्चे और पूरे परिवार का ध्यान रखती है और 24 घंटे घर के लिए समर्पित रहती है। अपनी सेवाओं के दौरान वह स्वयं अपना भी ध्यान नहीं रख पाती। 


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