घाटे से उबरने के लिए ऑफिस स्पेस रेंट पर देगा होटल शिवालिक व्यू
फर्स्ट फ्लोर पर सात हजार स्क्वेयर फीट एरिया तीन करोड़ में दिया जाएगा रेंट पर।
बलवान करिवाल, चंडीगढ़ : घाटा कम करने के लिए चंडीगढ़ इंडस्ट्रियल एंड टूरिज्म डेवलपमेंट कारपोरेशन (सिटको) पहले से ही अपने आउटलेट्स और प्रॉपर्टी को रेंट आउट करता रहा है। अब हॉस्पिटेलिटी बिजनेस का घाटा कम करने के लिए सेक्टर-17 स्थित होटल शिवालिक व्यू के फ्र्स्ट फ्लोर को सिटको रेंट पर देगा। 11 अलग-अलग बे शॉप के लिए करीब 7263 स्क्वेयर फीट एरिया रेंट पर दिया जाएगा। इसके लिए सिटको ने तीन करोड़ रुपये का टेंडर जारी किया है। जिसमें टेक्निकल और फाइनेंशियल बिड के जरिये यह स्पेस अलॉट किया जाएगा। यह स्पेस नामी निजी व्यक्ति, फर्म, कंपनी, बैंक, मल्टी नेशनल कंपनी और फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन को ही आवंटित किया जाएगा। 80 रुपये प्रति स्क्वेयर फीट मिलेगी जगह
शिवालिक व्यू में फर्स्ट फ्लोर पर 7263 स्क्वेयर फीट स्पेस को 11 अलग-अलग साइज की बे शॉप में बांटा गया है। जिसकी रिजर्व लाइसेंस फीस सिटको ने 80 रुपये प्रति स्क्वेयर फिट निर्धारित की है। जीएसटी इससे अलग होगा। एसी और इलेक्ट्रिसिटी चार्जेस भी अलग से इसमें जुड़ेंगे। बिडर को फाइनेंशियल बिड में रिजर्व लाइसेंस फीस से अधिक रेट कोट करना होगा। जिसकी बिड सबसे अधिक होगी उसे अलॉटमेंट लेटर जारी होगा। शुरुआत में लाइसेंस पांच साल के लिए जारी होगा। उसके बाद इसे तीन साल एक्सटेंड किया जा सकेगा। अलॉटी को छह महीने की लाइसेंस फीस एडवांस में जमा करानी होगी। अपने खर्च पर रेनोवेशन बदलाव
अलॉटी साइट अलॉट होने के बाद कोई भी बदलाव, रेनोवेशन या ऑल्ट्रेशन कराना चाहता है तो वह इसे अपने खर्च पर करा सकता है। होटल यह खर्च नहीं देगा। साथ ही इसके लिए 30 दिन का समय दिया जाएगा। अतिरिक्त 30 दिन का समय वाजिब कारण होने पर सिटको एमडी की स्पेशल मंजूरी के बाद ही मिलेगा। बे शॉप का अलग से सब मीटर होगा एसी की व्यवस्था खुद करनी होगी। बे शॉप अलॉटी को शॉप साइज के हिसाब से ही कार और टू व्हीलर पार्किग का स्पेस दिया जाएगा। एफडी तोड़कर दी जा रही सैलरी
सिटको की माली हालत पहले ही खराब रही है। लॉकडाउन ने भी कम नुकसान नहीं पहुंचाया। हॉस्पिटेलिटी बिजनेस को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा। अभी भी होटलों के रूम खाली हैं। नौबत यह आ गई कि इंप्लाइज की सैलरी देने तक सिटको के पास पैसे नहीं बचे। फिक्सड डिपोजिट तुड़वाकर या इस पर लोन लेकर सैलरी दी जा रही है। लेकिन इससे भी एक या दो महीने तक ही सैलरी दी जा सकती है। यही कारण है कि अब होटलों का स्पेस भी रेंट आउट किया जाने लगा है। इसके बाद नौबत प्राइवेटाइजेशन की ही आनी है।