बेटियों की सुरक्षा को लेकर सवाल, कैंपस में मिले हॉस्टल तो क्यों पीजी में जाना पड़े Chandigarh News
शहर के सेक्टर-32 पेइंग गेस्ट हाउस में तीन होनहार छात्राओं की आग में जलने से मौत ने बेटियों की सुरक्षा को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
चंडीगढ़, [डॉ. सुमित सिंह श्योराण]। शहर के सेक्टर-32 पेइंग गेस्ट हाउस में तीन होनहार छात्राओं की आग में जलने से मौत ने बेटियों की सुरक्षा को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। बीते कुछ सालों की बात करें तो चंडीगढ़ एजुकेशन हब के तौर पर उभरा है।
हायर एजुकेशन के साथ ही विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए हजारों की संख्या में युवक और युवतियां देशभर के विभिन्न राज्यों से आते हैं। लेकिन इन स्टूडेंट्स को रहने की दिक्कत का सामना करना पड़ता है। चंडीगढ़ में पंजाब यूनिवर्सिटी के अलावा 12 प्राइवेट और सरकारी कॉलेजों के अलावा 200 से अधिक इंस्टीट्यूट में लाखों स्टूडेंट्स पढ़ाई करते हैं।
शहर में लड़कियों के रहने की सबसे अधिक समस्या है। लेकिन चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा कई साल से शहर में पढ़ने वाली लड़कियों की जरूरत के हिसाब से प्रशासन द्वारा अफोर्डेबल हॉस्टल बनाने के प्रपोजल सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह गए। प्रशासक से लेकर सांसद किरण खेर तक कई बार महिलाओं के लिए यूटी प्रशासन द्वारा सरकारी हॉस्टल बनाने का आश्वासन दिया गया। शनिवार को पीजी में तीन लड़कियों की दर्दनाक मौत के बाद शायद चंडीगढ़ प्रशासन के अधिकारी और नेता लड़कियों की हॉस्टल समस्या पर मंथन करेंगे।
पीयू में हॉस्टल की लंबी वेटिंग
पंजाब यूनिवर्सिटी में गर्ल्स हॉस्टल की सबसे अधिक समस्या है। बीते 10 साल में यहां विभागों की संख्या 50 से बढ़कर 75 से अधिक हो गई है। शोधकर्ताओं की संख्या में भी लगातार इजाफा हो रहा है। कैंपस में लड़कियों के नौ हॉस्टल में हर साल 3500 से अधिक लड़कियों को दाखिला मिलता है। 85 फीसद से अधिक अंक पाने वालों को भी पीयू गर्ल्स हॉस्टल नहीं मिल पाता।
हर साल 500 से अधिक लड़कियों को वेटिंग लिस्ट में
हॉस्टल के लिए इंतजार करना पड़ता है। मजबूरी में छात्राओं को पीयू कैंपस के साथ ही सेक्टर-15, 16 में बने महंगे पीजी में रहना पड़ता है।
कैंपस में हर बार चुनावी मुद्दा बनते हैं गर्ल्स हॉस्टल
पंजाब यूनिवर्सिटी कैंपस में होने वाले हर छात्र काउंसिल चुनाव में गर्ल्स के लिए पर्याप्त हास्टल को सभी छात्र संगठन मुद्दा बनाते हैं। लेकिन चुनाव बीते ही सभी मुद्दे को भूल जाते हैं। पंजाब यूनिवर्सिटी ने साउथ कैंपस में इंटरनेशनल हॉस्टल (150) सीटें और हॉस्टल नंबर-10 का निर्माण करवाया है। लेकिन इन हॉस्टल की महंगी फीस के कारण भी छात्राओं के लिए दाखिला मुश्किल हो जाता है।
पहले दाखिला फिर हॉस्टल की जंग
शहर के सरकारी कॉलेजों में हर साल पहले तो दाखिले के लिए हाई मेरिट और फिर हॉस्टल के लिए उससे भी बड़ी जंग लड़कियों को लड़नी पड़ती है। सीमित सीटें होने के कारण 90 फीसद से कम अंकों पर हॉस्टल तक नहीं मिल पाता। ऐसे में छात्राओं के लिए पीजी ही विकल्प बचता है। पीजी में भी छात्राओं को मालिक की शर्तों पर रहना पड़ता है। शहर के सेक्टर-46 स्थित गवर्नमेंट कॉलेज और सेक्टर-50 स्थित गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड एडमिनिस्ट्रेशन में अभी छात्राओं के लिए कैंपस में कोई हॉस्टल की व्यवस्था नहीं है।