कालका के डंपिंग ग्राउंड पर यथास्थिति के आदेश, कोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी कर मांगा जवाब
साल 2012 में इस स्थान पर डंपिंग ग्राउंड बनाने का प्रस्ताव लाया गया था। स्थानीय लोगों ने इस पर आपत्ति जताते हुए हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर दी थी।
चंडीगढ़, जेएनएन। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने कालका में हरियाणा सरकार द्वारा बनाए जा डंपिंग ग्राउंड के खिलाफ एक याचिका पर यथास्थिति के आदेश जारी किए है। हाई कोर्ट के जस्टिस राजीव शर्मा पर आधारित बेंच ने इस मामले में सरकार को नोटिस जारी कर जवाब भी तलब किया है। स्थानीय निवासी हेम चंद व अन्य ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर डंपिंग ग्राउंड पर तुरंत रोक की मांग की।
बहस के दौरान याचिकाकर्ता के वकील एसएस सल्लार ने बेंच को बताया कि जहां डंपिंग ग्राउंड बनाया जा रहा है, वह गांव बिटना व वासुदेव आबादी वाले इलाके हैं। 2012 में इस स्थान पर डंपिंग ग्राउंड बनाने का प्रस्ताव लाया गया था। स्थानीय लोगों ने इस पर आपत्ति जताते हुए हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर दी थी। नोटिस के जवाब में हरियाणा सरकार ने बताया था कि अब उन्होंने झूरी वाला गांव की कुछ जमीन ले ली है और डंपिंग ग्राउंड अब वहां बनेगा। समय बीतने के साथ-साथ सरकार का इरादा बदल गया और दोबारा इस स्थान पर सेनिटेशन पार्क का नाम देते हुए डंपिंग ग्राउंड बनाने की तैयारी कर ली है।
याचिकाकर्ताओं ने बताया कि जिस स्थान को डंपिंग ग्राउंड के लिए चुना गया है। वहां से 200 मीटर की दूरी पर अस्पताल, 200 मीटर दूरी पर स्कूल, 20 मीटर दूरी पर रिहायशी कॉलोनी और 100 मीटर दूरी पर गोशाला मौजूद है। भारत सरकार के दिशा निर्देशों अनुसार जंगल, पानी के स्त्रोत व आबादी के नजदीक डंपिंग ग्राउंड नहीं बनाया जा सकता और ऐसा करना सीधे तौर पर दिशा निर्देशों की अवहेलना है। इस बारे में सात जुलाई को अधिकारियों को मांग पत्र भी दिया गया था, जिसका कोई फायदा नहीं हुआ। 23 जुलाई को नगर परिषद के अधिकारी व कर्मचारी मौके पर पहुंचे और उन्होंने डंपिंग ग्राउंड तैयार करने के लिए गड्ढा खुदवाने शुरू कर दिया। गांव के तथा आसपास के लोग एकत्रित हुए और उन्होंने इसका विरोध किया तब जाकर उन्होंने अपना काम रोका। याचिका में डंपिंग ग्राउंड को आबादी क्षेत्र दूर बनाने की मांग की गई है।