संकट आया ताे बेटे-बेटियाें ने संभाला मोर्चा, धान रोपाईं कर रहीं उच्च शिक्षित लड़कियां, छात्र भी जुटे
पंजाब में किसान संकट में हैं और उनको खेती के लिए श्रमिक नहीं मिल रहे हैं। ऐसे में उच्च शिक्षित बेटियाें ने मोर्चा संभाला है व धान की रोपाई कर रही हैं। छात्र भी इसके लिए आगे आए हैं।
चंडीगढ़, जेएनएन। पंजाब के खेतों में आजकल उच्च शिक्षित युवतियां धान की रोपाई करती नजर आ रही हैं। इसी तरह विद्यार्थी भी खेतों में जुटे नजर आते हैं। दरअसल कोराेना के कारण दूसरे राज्यों के श्रमिक वापस चले गए और धान की रोपाई के लिए मजदूर नहीं मिल रहे हैं। ऐसे में उच्च शिक्षा प्राप्त लड़कियां बिना हिचक माता-पिता की मदद के लिए आगे आईं और खेतों में जुट गईं। किसानों को इस पहल के लिए अपनी बेटियों पर नाज है। इसक साथ ही स्कूल और कॉलेज बंद होने के कारण विद्यार्थी भी खेतों में जुट हुए हैं।
बता दें कि कोरोना महामारी के पंजाब से प्रवासी मजदूर पलायन कर गए। इससे किसानों के लिए धान के सीजन में मुश्किल पैदा हो गई और धान की रोपाई करने में भारी दिक्कत हो रही है। अपने परिवार की मुश्किल को देखा तो उच्च शिक्षा हासिल करने वाली युवतियां व युवकों ने कमान संभाली। इसके साथ ही उन्होंने संदेश दिया कि कोई काम छोटा नहीं होता और शिक्षा का असली मतलब हर चुनौतियों का सामना करना है।
गांव अकबरपुर खुड़ाल में परिवार के साथ धान रोपाई करतीं कुलदीप कौर व रिंपी कौर।
लाखों रुपये खर्च कर उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाली किसान परिवार की बेटियाें को पढ़ाई-लिखाई के बाद नौकरी नहीं मिलने का मलाल तो है, लेकिन संकट की घड़ी में परिवार की मदद करने पर संतोष है। वे कहती हैं कि किसानी और खेतों में काम करना काेई छोटा कार्य नहीं है। पंजाब का असली आधार खेती-बाड़ी है और ऐसा कर उन्हें काफी सुकून मिल रहा है।
मानसा के गांव अकबरपुर खुडाल में उच्च शिक्षा प्राप्त युवतियां अपने खेतों में धान रोपाई करती नजर आईं। गांव की रिम्पी कौर खेतों में अन्य लोगों के साथ धान की रोपाई कर रही थीं। 23 साल की रिम्पी एमए पंजाबी और बीएड टेट पास हैं। वह अब स्क्रीनिंग टेस्ट की तैयारी कर रही है और नौकरी की तलाश है।
रिम्पी बताती हैं कि कोरोना वायरस के कारण पंजाब से प्रवासी मजदूर अपने घर चले गए। इससे मुश्किल खड़ी हो गई। ऐसे में उन्होंने परिवार की मदद करने की सोची और खेतों धान की रोपाई करने लगी। इसके बाद अपनी शिक्षा जारी रखेगी और स्क्रीनिंग टेस्ट की तैयारी करेगी।
गांव अकबरपुर खुड़ाल में अपने परिवार समेत धान की रोपाई करतीं युवतियां।
इसी गांव की कुलदीप कौर भी खेतों में काम कर रही हैं। 24 साल की कुलदीप बीकॉम, ईटीटी टेट पास हैं और अभी बीएड कर रही हैं। संकट के समय वह पिता के साथ खेतों में पहुंचकर धान की रोपाई कर रही हैं। कुलदीप का कहना है कि खेतों में काम करने में शर्म कैसी। परिवार की मदद कर अच्छा लग रहा है। इसके साथ ही उन्होंने सरकार से मांग की कि जब तक युवाओं को रोजगार नहीं मिलता, उनको बेरोजगारी भत्ता देने का वायदा पूरा करे।
वहीं गांव चक्क अलीशेर के शिक्षित बेरोजगार बग्गा सिंह ने बताया कि वह बीएड, दो बार नेट, एक एक बार पीटेट व सीटेट पास है और उसकी एमफिल की स्टडी पटियाला की पंजाबी यूनिवर्सिटी से चल रही है। अब संकट की घड़ी वह धान की रोपाई कर रहे हैं। उनका कहना है, इसमें कोई हिचक नहीं है, लेकिन इतनी शिक्षा के बावजूद समुचित नौकरी नहीं मिलना निराश करता है।
अपने परिवार के लिए खेतों में धान लगाता सरबजीत सिंह व अन्य।
अमरगढ़ के नजदीक गांव न्यामतपुर के निवासी सरबजीत सिंह वाटर सप्लाई और सेनिटेशन विभाग में मोटिवेटर के पद पर कार्यरत हैं। वह भी खेतों में धान की रोपाई कर रहे हैं। टेट पास अमनदीप सिंह भी खेतों में धान की रोपाई कर रहे हैं।
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विद्यार्थियों ने संभाला धान की रोपाई का काम
उधर गुरदासपुर के कलानौर क्षेत्र में विद्यार्थी भी खेतों में धान की रोपाई कर रहे हैं। स्कूली विद्यार्थी अपने स्वजनों के साथ खेतों में काम संभाल ले रहे हैं। जागरण के प्रतिनिधि ने गांव मस्तकोट, वडाला बांगर, खुशीपुर, कोट मियां साहब, दोस्तपुर, अठवाल आदि गांवों में दौरा किया तो देखा कि स्कूल के बच्चे धान की रोपाई करने में डटे हुए थे।
खेत में काम करते जयदीप सिंह भंगू व नवराज सिंह भंगू। जागरण
इस दौरान आइसीआइसी बोर्ड व सीबीएसई बोर्ड के विद्यार्थी जयदीप सिंह भंगू व नवराज सिंह भंगू ने बताया कि वह कैंब्रिज इंटरनेशनल स्कूल में पढ़ते हैं। लेबर की कमी के चलते वह रोपाई करने में योगदान दे रहे हैं। 11वीं कक्षा के कॉमर्स ग्रुप के छात्र जयदीप सिंह भंगू ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान स्कूल बंद होने के चलते धान की रोपाई के दौरान ट्रैक्टर चालकों व लेबर की कमी होने से वह पूरा दिन ट्रैक्टर को चला रहा है। वह एक दिन में 12 एकड़ तक खेत की रोजाना जुताई कर रहा है।
उसने कहा कि मेहनत करने में कोई शर्म नहीं है। यदि पंजाब को खुशहाल बनाना है तो नौजवानों को चाहिए कि वे किसी पर निर्भर होने की बजाय खुद ही मेहनत करें। नवराज सिंह भंगू ने बताया कि वह भी धान की रोपाई के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है। भंगू फार्म के मालिक मनदीप सिंह भंगू ने बताया कि इस बार धान की 65 एकड़ रोपाई की जा रही है। ट्रैक्टर चालक व मजदूर की कमी को उनके बेटे पूरी कर रहे है। उन्हें अपने बेटों पर नाज है।
( इनपुट - मानसा से नानक सिंह खुरमी व एसके शर्मा गुरदासपुर के कलानौर से महिंदर सिंह अर्लीभन्न)