हाई कोर्ट ने Rent controller के फैसले पर लगाई मुहर, किरायेदार को देनी होगी ये सुविधा
किरायेदार के लिए Bathroom और Toilet को मूलभूत सुविधाओं में शामिल करते हुए हाईकोर्ट ने कहा है कि किरायेदार को यह सुविधाएं उपलब्ध करवाना मकान मालिक का दायित्व है।
चंडीगढ़ [कमल जोशी]। किरायेदार के लिए Bathroom और Toilet को मूलभूत सुविधाओं में शामिल करते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा है कि किरायेदार को यह सुविधाएं उपलब्ध करवाना मकान मालिक का दायित्व है। लुधियाना में एक व्यावसायिक संपत्ति को लेकर किरायेदार और संपत्ति मालिक के बीच जारी विवाद में संपत्ति मालिक की ओर से दायर की गई अपील को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया।
जस्टिस सुदीप आहलूवालिया की पीठ ने कहा कि संपत्ति मालिक किसी किरायेदार को Bathroom या Toilet की सुविधा का लाभ लेने से सिर्फ इसलिए नहीं रोक सकते कि उनके रेंट एग्रीमेंट में Bathroom की सुविधा उपलब्ध करवाने की शर्त नहीं है। हाई कोर्ट में दायर अपील में अपीलकर्ता गुरप्रीत सिंह ने लुधियाना के Rent controller की ओर से दिए उन आदेशों को चुनौती दी थी। Rent controller ने अपीलकर्ता को आदेश दिए थे कि वे किरायेदार को चौथी मंजिल पर स्थित Bathroom का इस्तेमाल करने से न रोकें।
इन आदेशों में Rent controller ने संपत्ति मालिक की ओर से सीढिय़ों पर लगाए गए ताले को खोलने के आदेश देते हुए कहा था कि एक्ट के तहत किसी भी बिल्डिंग में किरायेदार को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाना संपत्ति मालिक का फर्ज है। Rent controller ने कहा था कि Bathroom के बिना मानव का रहना संभव नहीं है।
इस फैसले को सही मानते हुए हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कर्नाटक हाई कोर्ट के एक केस का हवाला देते हुए कहा है कि Bathroom और Toilet आवश्यक सुविधाएं हैं। चाहे ये सुविधाएं किराये पर दी संपत्ति का हिस्सा हों या न हों, संपत्ति के मालिक, किरायेदारों को इनसे वंचित नहीं कर सकते। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी स्पष्ट किया है कि इस मामले में व्यावसायिक बिल्डिंग से संबंधित विवाद होने के चलते संपत्ति मालिक के परिवार की निजता का भी कोई प्रश्न नहीं है।
Rent controller के पास विचाराधीन है याचिका
अपीलकर्ता गुरप्रीत सिंह ने किरायेदार से अपनी संपत्ति खाली करवाने के लिए भी लुधियाना Rent controller के समक्ष केस दायर किया हुआ है। हाई कोर्ट ने Rent controller को अपीलकर्ता की एविक्शन याचिका का शीघ्र निपटारा करने के आदेश देते हुए कहा है कि अपीलकर्ता की याचिका पर तीन महीने में फैसला देने का प्रयास करें।
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