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    नशे की लत में मां-बाप ने बेच डाला बच्चा, हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार से कस्टडी पर मांगी रिपोर्ट; कहा- 'नशे ने राज्य को खोखला किया'

    Updated: Fri, 14 Nov 2025 04:20 PM (IST)

    पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने पंजाब सरकार से नशेड़ी माता-पिता द्वारा बेचे गए एक शिशु की कस्टडी पर रिपोर्ट मांगी है। जनहित याचिका में कहा गया है कि नशे की महामारी ने राज्य को खोखला कर दिया है। याचिकाकर्ता ने बच्चे के अधिकारों की रक्षा और माता-पिता के पुनर्वास की मांग की है। कोर्ट ने सरकार से जवाब तलब किया है, अगली सुनवाई 18 नवंबर को होगी।

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    जनहित याचिका में राज्य की नशा मुक्ति नीति पर उठे सवाल (फाइल फोटो)

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने पंजाब सरकार से उस पांच महीने के बच्चे की वर्तमान कस्टडी और कल्याण की विस्तृत रिपोर्ट मांगी है, जिसे कथित रूप से उसके नशे के आदी माता-पिता ने 1.8 लाख रुपये में बेच दिया था।

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    यह मामला प्रदेश में बढ़ते नशे के संकट पर व्यापक न्यायिक जांच का कारण बना है।हाई कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के इस तर्क पर गंभीर चिंता जताई कि यह घटना कोई इत्तफाक नहीं, बल्कि पंजाब को जकड़ चुकी नशे की महामारी का भयावह उदाहरण है, जिसने “राज्य के नैतिक, सामाजिक और आर्थिक ढांचे को खोखला कर दिया है।”

    यह जनहित याचिका सेवानिवृत्त बाक्सिंग कोच और सामाजिक कार्यकर्ता लाभ सिंह द्वारा दायर की गई थी। याचिका में राज्य सरकार को नशा मुक्ति के लिए कठोर और प्रभावी कदम उठाने के निर्देश देने की मांग की गई।

    कोर्ट ने राज्य को निर्देश दिया कि वह बच्चे के स्वास्थ्य, सुरक्षा और देखभाल संबंधी सभी पहलुओं पर विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करे। याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि मानसा जिले के बरेटा थाने में 25 अक्टूबर को दर्ज एफआईआर में स्पष्ट है कि दंपती ने अपने नशे की जरूरत पूरी करने के लिए ही शिशु को बेच दिया।

    याचिका में आग्रह किया गया कि बच्चे को “मां की गोद की और उसके दूध का अधिकार” किसी भी सूरत में छिना न जाए, और उसके साथ-साथ माता-पिता के पुनर्वास की भी ठोस व्यवस्था हो।याचिका में लगातार प्रकाशित मीडिया रिपोर्ट 26 अक्टूबर का हवाला भी दिया गया।

    याचिकाकर्ता ने कहा कि नारेबाजी, विशेष अभियान और सरकार के दावों के बावजूद, प्रशासन नागरिकों के जीवन और गरिमा के संवैधानिक अधिकार (अनुच्छेद 21) की रक्षा करने में विफल रहा है।

    याचिका में यह भी कहा गया कि राज्य की नाकामी के कारण नशाखोरी और तस्करी का ऐसा माहौल बना जिसमें शिशु को बेचने जैसी चरम घटनाएं होने लगी हैं। हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू पर आधारित बेंच ने सरकार से इस मामले में जवाब तलब करते हुए शिशु की कस्टडी व मामले पर स्टेटस रिपोर्ट देने का आदेश दिया है। इस मामले में अगली सुनवाई 18 नवंबर को होगी।