हाई कोर्ट ने कहा- विवाह वैध हो या अवैध Lover couple's को सुरक्षा का पूरा अधिकार
हाई कोर्ट ने कहा कि विवाह की वैधता पर प्रश्न चिन्ह होने पर भी सुरक्षा युगलों का अधिकार है। एक मामले में हाई कोर्ट ने अमृतसर के प्रेमी जोड़े को सुरक्षा देने के निर्देश दिए।
जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने कहा है कि परिवार की मर्जी के खिलाफ विवाह रचाने वाले युगल सुरक्षा के हकदार हैैं। सुरक्षा की मांग को युगल के विवाह के वैध या अवैध होने से जोड़कर नहीं देखा जा सकता। नाबालिग विवाहित युगल भी सुरक्षा के हकदार हैं।
अमृतसर में अपने से लगभग पांच साल बड़ी युवती से विवाह रचाने वाले बीस वर्षीय युवक की सुरक्षा की याचिका पर कोर्ट ने अमृतसर पुलिस के उपाधीक्षक को युगल की सुरक्षा संबंधी कार्रवाई के आदेश दिए। जस्टिस अरुण मोंगा ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 में दिए गए मूलभूत अधिकारों में किसी भी बालिग या नाबालिग व्यक्ति की सुरक्षा को सुनिश्चित किए जाने को सर्वोच्चता दिया जाना जरूरी है।
युवक की उम्र 20 वर्ष 8 महीने और युवती की 26 वर्ष होने के कारण दोनों के परिवारों को विवाह पर आपत्ति थी। दोनों ने परिवारों की रजामंदी के विपरीत दो जुलाई को गुरुद्वारा साहिब में जाकर विवाह रचा लिया। जस्टिस मोंगा ने कहा कि संविधान के तहत हर नागरिक के जीवन और स्वाधीनता की सुरक्षा करना सरकार का संवैधानिक दायित्व है। इस मामले में दूल्हे की उम्र विवाह के योग्य आयु से कम होने के कारण उसे उसके मूलभूत अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता।
बता दें, पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में सुरक्षा को लेकर अक्सर प्रेमी जोड़ों के मामले पहुंचते हैं। यहां तक कि COVID19 महामारी की वजह से लगे लॉकडाउन में भी रोजाना लगभग दो दर्जन से अधिक प्रेमी जोड़े सुरक्षा की मांंग को लेकर पहुंचेे। लॉकडाउन के कारण हाई कोर्ट सीमित संख्या में वीडियो कांफ्रेंसिंग से केस की सुनवाई की गई। लॉकडाउन में भी हाई कोर्ट में रोजाना 100 से 120 के बीच नए केस आए, जिसमें से करीब एक चौथाई प्रेमी जोड़ों के केस थे जो अपने परिजनों से जान को खतरा बताकर हाई कोर्ट से सुरक्षा की मांग कर रहे थे।