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हाईकोर्ट की चेतावनी, 10 दिन में दें स्टेटस रिपोर्ट, अन्यथा मामले की होगी सीबीआइ जांच Chandigarh news

सेक्टर 17 के एससीओ को तरमिंदर सिंह बन्नी के नाम करवाने में एस्टेट ऑफिस के लोगों की भूमिका पर उठे सवाल के बाद हाईकोर्ट ने यूटी प्रशासन को जमकर फटकार लगाई है।

By Sat PaulEdited By: Published: Wed, 19 Feb 2020 01:01 PM (IST)Updated: Wed, 19 Feb 2020 07:24 PM (IST)
हाईकोर्ट की चेतावनी, 10 दिन में दें स्टेटस रिपोर्ट, अन्यथा मामले की होगी सीबीआइ जांच Chandigarh news
हाईकोर्ट की चेतावनी, 10 दिन में दें स्टेटस रिपोर्ट, अन्यथा मामले की होगी सीबीआइ जांच Chandigarh news

चंडीगढ़, जेएनएन। प्रशासन के अधिकारियों द्वारा प्रशासन के अधिकार क्षेत्र में आने वाले एससीओ को निजी लोगों के नाम ट्रांसफर करने पर हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। हाईकोर्ट ने प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा है कि इस मामले में कार्रवाई कर 10 दिन के भीतर हाईकोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दी जाए, अन्यथा हाईकोर्ट मामले की सीबीआइ जांच का आदेश जारी कर सकता है।

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सेक्टर 17 के एससीओ को तरमिंदर सिंह बन्नी के नाम करवाने में एस्टेट ऑफिस के लोगों की भूमिका पर उठे सवाल के बाद हाईकोर्ट ने यूटी प्रशासन को जमकर फटकार लगाई है। एसडीएम की रिपोर्ट के आधार पर अब हाईकोर्ट ने दोषियों पर एक्शन लेने के आदेश जारी करते हुए स्पष्ट कर दिया कि यदि एक्शन नहीं लिया गया तो जांच सीबीआइ को सौंप दी जाएगी।

सेक्टर 17डी के एससीओ 89-91 से जुड़ा है विवाद

मामला सेक्टर 17डी के एससीओ 89-91 से जुड़ा है, जिसे बिलि्ंडग वायलेशन के चलते 1999 में रिज्यूम कर लिया गया था। अचानक तरमिंदर सिंह बन्नी ने इसे अपने नाम करवा कर यहां मौजूद दुकानदारों को बाहर निकालने के लिए एस्टेट ऑफिस से संपर्क किया और सिर्फ चार दिनों में इन्हें निकालने की प्रक्रिया आरंभ कर दी गई। इसके बाद दुकानदारों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए 27 जनवरी 2017 के एस्टेट ऑफिस के आदेश को चुनौती दी थी।

हाईकोर्ट ने उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश पर रोक लगा दी थी। इसी बीच हाईकोर्ट ने इस मामले में जांच के लिए एसडीएम को कहा और एसडीएम ने जांच की। जांच में एसडीएम ने एस्टेट ऑफिस की भूमिका को सवालों के घेरे में लाकर खड़ा कर दिया। एसडीएम ने कहा कि प्रॉपर्टी रिज्यूम करने के बाद अभी तक टाईटल अपने नाम नहीं करवाया। इसके साथ ही प्रॉपर्टी रिज्यूम होने से पहले के मालिक से सेल डीड को कैसे वैध माना गया इसपर भी सवाल उठाए गए। मामले में एसडीएम ने जांच की सिफारिश की और कहा कि प्रॉपर्टी का टाइटल हासिल करने के लिए एस्टेट ऑफिस को कोर्ट में अर्जी दाखिल करनी चाहिए।

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