बिजली दर पिछली तिथि से बढ़ाने पर हाई कोर्ट सख्त, सरकार काे फटकार
हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार काे बिजली दरों में पिछली तिथि से वृद्धि पर नोटिस जारी किया है। हाईकोर्ट ने पूछा है कि इस पर क्यों न रोक लगा दी जाए। इससे लोगों को राहत की उम्मीद जगी है।
जेएनएन, चंडीगढ़। हाई कोर्ट ने पंजाब सरकार द्वारा पिछली तिथि से बिजली दरें बढ़ाने के फैसले पर कड़े तेवर दिखाए हैं। हाई कोर्ट ने पंजाब सरकारसे कहा है कि क्यों न इस वृद्धि पर रोक लगा दी जाए। इससे राज्य के लाेगों के लिए राहत की उम्मीद जगी है। हाई कोर्ट ने इस बारे में पंजाब सरकार, पंजाब स्टेट इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन (पीएसईआरसी) और पंजाब स्टेट पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (पीएसपीसीएल) को नोटिस जारी किया है।
बता दें कि पंजाब सरकार ने 23 अक्टूबर को बिजली दरों में 9.33 फीसद की औसत वृद्धि की थी। यह वृद्धि अप्रैल से लागू की गई थी। इसके खिलाफ राज्य के कई उद्योगपतियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब सरकार सहित कर जवाब तलब किया है।
अक्टूबर में जारी की थी नई दरों की अधिसूचना, अप्रैल से बिजली के दाम में की थी 9.33 फीसद की वृद्धि
जस्टिस महेश ग्रोवर एवं जस्टिस राज शेखर अत्री की खंडपीठ ने यह नोटिस इस मामले को लेकर लुधियाना और मंडी गोबिंदगढ़ के 12 उद्योगपतियों की ओर से सीनियर एडवोकेट पुनीत जिंदल व एडवोकेट नेहा आनंद महाजन के जरिये दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए जारी किया है।
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हाईकोर्ट ने याचिका पर सरकार से पूछा है कि वो बताए कि क्यों न बिजली की दरें पिछली तारीख से बढ़ाए जाने के सरकार के फैसले पर रोक लगा दी जाए। दायर याचिका में हाईकोर्ट को बताया गया है कि दरें बढ़ाते समय इससे दरें बढ़ाए जाने की नोटिफिकेशन के दिन के बाद से लागू किया जाता है, लेकिन इस मामले में सरकार सहित पीएसईआरसी और पीएसपीसीएल ने इसे सात महीने पीछे 1 अप्रैल से ही लागू कर दिया और यह भी निर्देश दे दिए गए कि यह बढ़ी हुई दरें अक्टूबर 2017 से जून 2018 तक के उपभोक्ताओं के बिलों में किश्तों से वसूली जाएंगी।
पिछली तारीख से दरें लागू किया जाना पूरी तरह से गैरकानूनी
याचिका पर बहस के दौरान सीनियर एडवोकेट पुनीत जिंदल ने हाईकोर्ट को बताया कि पिछली तारीख से दरें लागू करना पूरी तरह से गैरकानूनी है। सरकार का कोई फैसला उस फैसले को लिए जाने के दिन के बाद से भविष्य के लिए लागू होता है। कभी भी फैसला लिए जाने की पिछली तारीखों से इसे लागू नहीं किया जा सकता। इस मामले में तो सरकार ने दरों में बढ़ोतरी कर इसे उस तारीख से कई महीने पीछे से ही लागू कर दिया। तय है कि अब अप्रैल से लेकर अब तक जो लोग बिजली का बिल अदा कर चुके थे, अब उन्हें अप्रैल से लागू नई दरें पर फिर से यह बिल अगले वर्ष जून तक किश्तों में भरना पड़ेगा। यह पूरी तरह से गलत है।
उद्योगों पर ज्यादा असर
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि सरकार के इस फैसले से उन लोगों को तो कोई परेशानी नहीं होगी, जिनका बिल कम आता है, लेकिन इस फैसले से उद्योग प्रभावित होंगे। क्योंकि उनका बिल भी अधिक होता है और उन्हें अब अप्रैल से बकाया भी भरना पड़ेगा।
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हाईकोर्ट को बताया गया कि सरकार ने बड़ी ही चालाकी से रेगुलेशन-52 (3) के प्रेफेरेबली शब्द से खिलवाड़ की है, जिसमे कहा गया है कि दरें पिछली तारीख से चाहे तो बढ़ाई जा सकती हैं, लिहाजा याचिकाकर्ताओं ने रेगुलेशन से इस प्रेफेरेबली शब्द को निकले जाने की भी हाईकोर्ट से मांग की है।