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हाई कोर्ट की पंजाब सरकार को सलाह- कर्मचारियों के प्रति मानवीयता रखें, सिर्फ अपना फायदा न देखें

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने कर्मचारियों के प्रति व्‍यवहार को लेकर पंजाब सरकार को बड़ी सलाह दी है। हाई कोर्टने पंजाब सरकार से कहा कि वह अपने कर्मचारियों के प्रति मानवीयता का रवैया अपनाया। सरकार सिर्फ अपने फायदे की न सोचे।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Wed, 25 Nov 2020 10:22 AM (IST)Updated: Wed, 25 Nov 2020 10:22 AM (IST)
हाई कोर्ट की पंजाब सरकार को सलाह- कर्मचारियों के प्रति मानवीयता रखें, सिर्फ अपना फायदा न देखें
चंडीगढ़ स्थि‍त पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट। (फाइल फोटो)

चंडीगढ़, जेएनएन। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने पंजाब सरकार के अपने कर्मचारियों के प्रति रवैये पर सवाल खड़े किए हैं। हाई कोर्ट ने पंजाब सरकार को सलाह दी है कि वह अपने कर्मचारियों के प्रति मानवीयता रखते हुए सकारात्मक रवैया अपनाकर उचित व्यवहार करे। वह सिर्फ अपना फायदे की न सोचे। इससे कर्मचारी उत्साह के साथ काम करके उचित परिणाम देंगे।

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कहा, सरकार कोई निजी कंपनी नहीं कि अपने फायदे को देखते हुए ही निर्णय करे

हाई कोर्ट के जस्टिस सुधीर मित्तल ने यह टिप्पणी पंजाब स्टेट फारेस्ट डेवलपमेंट कारपोरेशन (पीएसएफडीसी) के बलजीत सिंह चावला व अन्य तीन उप प्रोजेक्ट निदेशकों की ओर से उन्हेंं पांचवें वेतन आयोग के लाभ और प्रमोशन की मांग की याचिका को स्वीकार करते हुए की।

पीएसएफडीसी के उप प्रोजेक्ट निदेशकों को पांचवे वेतन आयोग के अनुसार वेतन न देने का मामला

याचिका में कहा गया है कि कारपोरेशन के निदेशक मंडल ने वर्ष 2000 में पांच उप प्रोजेक्ट निदेशक नियुक्त किए जाने का निर्णय लिया था। याचिकाकर्ताओं को वन विभाग से डेपुटेशन पर कारपोरेशन में इन पदों पर साल 2001 में नियुक्त कर दिया गया। इस दौरान पंजाब सरकार ने पांचवें वेतन आयोग की सिफारिश लागू कर दी लेकिन उन्हेंं इसका लाभ नहीं दिया। इसे लेकर सरकार को मांग पत्र भी दिया गया लेकिन सरकार ने कोई निर्णय नहीं लिया। जिस कारण उन्हें अब हाई कोर्ट की शरण में आना पड़ा।

इस पर सरकार ने कोर्ट को बताया गया कि यह पद तय किए गए थे लेकिन इन्हें लेकर बाय-लाज में संशोधन नहीं किया गया था। अब  संशोधन करके संशोधित वेतनमान जारी करने पर गौर करके इसे वित्त विभाग को भेजा गया था जिसे वित्त विभाग ने वापस भेज दिया है। इसके बाद हाई कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि जब कारपोरेशन के निदेशक मंडल ने इन पदों को बनाये जाने का निर्णय ले लिया था तो वह निर्णय अपने आप में काफी है। सरकार बेवजह इस पूरे मामले को पेचीदा बनाने में लगी है।

हाई कोर्ट ने कहा कि सरकार कोई निजी कंपनी नहीं कि अपने फायदे को देखते हुए निर्णय करे, सरकार को एक बेहतर इम्प्लायर की तरह व्यवहार करते हुए अपने कर्मचारियों के साथ मानवीयता से पेश आना चाहिए ताकि वो पूरी लग्न से काम करें। कोर्ट ने याचिका का निपटारा करते हुए एक महीने में चारों अधिकारियों को 10 फीसद ब्याज के साथ पांचवें वेतन आयोग के लाभ देने का आदेश दिए हैैं।

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