चंडीगढ़ एयरपोर्ट पर ड्रेनेज सिस्टम की नामौजूदगी पर पंजाब सरकार को हाईकोर्ट से कड़ी फटकार
हाईकोर्ट ने कहा है कि अगर पंजाब सरकार की तरफ से अदालत को निश्चित जवाब नहीं मिला तो अदालत को मजबूरन मुख्य सचिव को अदालत में बुला कर उनसे सवालों के जवाब लेने होंगे।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। चंडीगढ़ इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर बरसाती पानी की निकासी की व्यवस्था करने में पंजाब सरकार की विभिन्न एजेंसियों द्वारा की जा रही बहानेबाजी पर सख्त रवैया अख्तियार करते हुए पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा है कि अगर अगली सुनवाई पर पंजाब सरकार की तरफ से अदालत को निश्चित जवाब नहीं मिला तो अदालत को मजबूरन मुख्य सचिव को अदालत में बुला कर उनसे सवालों के जवाब लेने होंगे।
एडवोकेट जनरल को निश्चित जवाब के साथ अदालत में हाजिर होने के आदेश
चंडीगढ़ इंटरनेशनल एयरपोर्ट की अपग्रेडेशन के संबंध में चीफ जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस अरुण पल्ली की अदालत की सख्त टिप्पणियां तब आई जब एयरपोर्ट पर डेनेज सिस्टम विकसित करने के सवाल पर पंजाब डेनेज विभाग और जीरकपुर नगर परिषद (एमसी) अदालत में जिम्मेदारी एक-दूसरे पर डालने का प्रयास करते नजर आए। मानसून के आने से सिर्फ डेढ़ महीना पहले एयरपोर्ट पर डेनेज सिस्टम की स्थापना का काम आरंभ भी ना हो पाने पर पंजाब सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए हाईकोर्ट ने 21 मई को इस संबंध में एडवोकेट जनरल को निश्चित जवाब के साथ अदालत में उपस्थित होने को कहा है। हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई पर एयरपोर्ट से संबंधित अन्य मुद्दों पर अदालत की सहायता के लिए केंद्रीय उड्डयन सचिव को भी अदालत में तलब किया है।
डेनेज सिस्टम के डिजाइन के लेकर डेनेज विभाग और जीरकपुर नगर परिषद आमने-सामने
गौरतलब है कि लगभग दो महीने पहले हाईकोर्ट को एयरपोर्ट पर ड्रेनेज सिस्टम को तीन महीने में दुरुस्त करने का आश्वासन देने के बावजूद सोमवार को अदालत को बताया गया कि डेनेज सिस्टम के डिजाइन पर डेनेज विभाग और जीरकपुर नगर परिषद एकमत नहीं है। ऐसे में पंजाब सरकार की ही दो एजेंसियों में मतभेद होने पर सख्त टिप्पणी करते हुए चीफ जस्टिस कृष्ण मुरारी ने कहा कि पंजाब सरकार की कौन सी एजेंसी क्या काम करेगी इससे अदालत का कोई लेना देना नहीं है। हाईकोर्ट ने पंजाब के एडवोकेट जनरल को पंजाब सरकार की ओर से डेनेज प्रणाली, एयरपोर्ट को जाने वाली अप्रोच सड़क और अतिक्रमणों को हटाने पर निश्चित जवाब दायर करने का अंतिम अवसर देते हुए कहा कि अगर अगली सुनवाई पर अदालत को निश्चित जवाब नहीं मिला तो इसकी गाज किसी संबंधित अधिकारी पर गिरेगी।
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