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हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा, क्यों न हाईवे किनारे शराब परोसने रोक लगाई जाए

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में आबकारी संशोधन बिल-2017 को चुनौती दी गई है। इस पर हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार से पूछा है कि क्यों न वो पंजाब आबकारी (संशोधन) बिल पर रोक लगा दे।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Wed, 28 Jun 2017 07:09 PM (IST)Updated: Wed, 28 Jun 2017 07:09 PM (IST)
हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा, क्यों न हाईवे किनारे शराब परोसने रोक लगाई जाए
हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा, क्यों न हाईवे किनारे शराब परोसने रोक लगाई जाए

जेएनएन, चंडीगढ़। हाईवे किनारे होटलों, क्लबों व रेस्टोरेंट्स में शराब परोसने संबंधी पंजाब आबकारी (संशोधन) बिल- 2017 को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। पंजाब सरकार की ओर से 22 जून को पास बिल को रद करने की मांग पर सुनवाई करते हुए बुधवार को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार से पूछा है कि क्यों न वो पंजाब आबकारी (संशोधन) बिल पर रोक लगा दे।

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हाईकोर्ट ने यह आदेश चंडीगढ़ के एक गैर सरकारी संगठन 'अराइव सेफ' सोसाइटी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए जारी किया। याचिका में संगठन ने कोर्ट को बताया कि पंजाब आबकारी (संशोधन) बिल-2017 सरकार ने केवल शराब माफिया को लाभ देने के लिए पास किया है। यह बिल सीधे तौर पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिसंबर में जारी किए गए आदेश की अवेहलना है। पंजाब सरकार जानबूझ कर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का गलत मतलब निकालकर हाईवे किनारे होटलों में शराब परोसने पर आमादा है। इस बिल के संशोधन से राज्य में हाईवे पर  होटलों, रेस्टोरेंट और क्लबों में शराब परोसने पर लगी रोक हट गई है।

बिल रद करने की मांग

याचिकाकर्ता ने इस बिल को रद करने की मांग करते हुए कोर्ट से आग्रह किया कि जब तक मामला कोर्ट में विचाराधीन है, इस बिल के लागू होने पर रोक लगाई जाए। गौरतलब है कि पंजाब आबकारी (संशोधन) बिल- 2017 के रूप में राज्य सरकार ने पंजाब एक्साइज एक्ट, 1914 में संशोधन करके पंजाब में स्टेट हाईवे और नेशनल हाईवे से 500 मीटर के दायरे में शराब की बिक्री पर लगे प्रतिबंध में फेरबदल किया है।

सरकार का तर्क, शराब बिक्री रोकने से पर्यटन उद्योग पर बुरा असर पड़ा

सरकार का मानना है कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला ड्रंकन ड्राइविंग की रोकथाम से संबंधित है, लेकिन राज्य में स्टेट और नेशनल हाईवे के किनारे भारी संख्या में होटल, रेस्टोरेंट, क्लब व अन्य नोटिफाई स्थान हैं, जहां शराब बेचने व पीने की आज्ञा है। यह सारे स्थल राज्य के आतिथ्य एवं पर्यटन उद्योग का हिस्सा हैं, जो राज्य में रोजगार के साधन भी उपलब्ध कराता है।

इन स्थलों पर शराब की बिक्री रोके जाने से इन पर बुरा असर हुआ है। यहां तक कि कई स्थल बंद हो गए हैं। नए कानून के मुताबिक राजमार्गों के 500 मीटर के भीतर शराब बेचने की कोई फुटकर दुकान नहीं होगी, लेकिन होटलों, रेस्टोरेंट्स और क्लबों को इस शर्त से बाहर रखा गया है। कानून की धारा 26 में संशोधन की वजह से अब हाईवे पर स्थित होटल, रेस्टोरेंट्स और क्लबों में शराब बिक्री पर लगा प्रतिबंध खत्म हो गया है।

सुप्रीम कोर्ट का क्या था आदेश

देश में सड़क पर बढ़ रही दुर्घटनाओं को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल देश के सभी हाईवे से 500 मीटर की दूरी में शराब बेचने या परोसने पर रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद सभी राज्यों ने हाईवे पर शराब बेचने पर रोक लगा दी थी।

कोर्ट में टिक नहीं पाएगा बिल

पूर्व एडीशनल सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया मोहन जैन का कहना है कि  पंजाब आबकारी (संशोधन) बिल, 2017 साफ तौर पर सुप्रीम कोर्ट की आदेश की अवेहलना है। सुप्रीम कोर्ट सीधे शब्दों में कह चुका है कि हाईवे पर शराब नहीं बेचनी है, लेकिन इस बिल के माध्यम से सरकार शब्दों के माध्यम से बिल को  जायज करार दे रही है, जो सही नही है। हाईवे पर शराब बेचने पर रोक से हादसों में कमी आई है। ऐसे में पंजाब आबकारी (संशोधन) कोर्ट में टिक नहीं पाएगा।

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