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बेअदबी व बहिबलकलां गोलीकांड: पुलिस अफसरों के खिलाफ एसआइटी जांच को हाईकोर्ट की मंजूरी

वर्ष 2015 में श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी और इसके बाद हुए बहिबलकलां गोलीकांड मामले में हाई कोर्ट ने आरोपित पुलिस अफसरों के खिलाफ एसआइटी जांच की मंजूरी दे दी है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sat, 26 Jan 2019 12:19 PM (IST)Updated: Sat, 26 Jan 2019 07:02 PM (IST)
बेअदबी व बहिबलकलां गोलीकांड: पुलिस अफसरों के खिलाफ एसआइटी जांच को हाईकोर्ट की मंजूरी
बेअदबी व बहिबलकलां गोलीकांड: पुलिस अफसरों के खिलाफ एसआइटी जांच को हाईकोर्ट की मंजूरी

चंडीगढ़ [कमल जोशी]। वर्ष 2015 में श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी और इसके बाद हुए बहिबलकलां गोलीकांड मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने आरोपित पुलिस अफसरों के खिलाफ एसआइटी जांच की मंजूरी दे दी है। पंजाब विधानसभा ने इन मामलों की जांच सीबीआइ से वापस लेकर एसआइटी को सौंपने का प्रस्ताव पारित किया था। इससे सहमति दिखाते हुए हाई कोर्ट ने जांच वापस लेने के खिलाफ दायर पुलिस अफसरों की याचिकाओं को खारिज कर दिया।

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इन मामलों की जांच के लिए कैप्टन सरकार ने 30 जून, 2018 को रिटायर्ड जस्टिस रंजीत सिंह के नेतृत्व में आयोग का गठन किया था। कोर्ट ने आयोग की रिपोर्ट को भी सही ठहराया है। इससे पहले 29 जून, 2016 को शिअद-भाजपा सरकार में गठित जस्टिस जोरा सिंह आयोग का भी गठन किया गया था।

इन दोनों आयोगों की रिपोर्ट के खिलाफ पुलिस अफसरों ने याचिका दायर की थी। रिपोर्ट में की गई सिफारिशों को सिर्फ सरकार को दिए गए निर्देश मानते हुए जस्टिस राजन गुप्ता ने कहा कि अगर निष्पक्ष जांच की जाती है तो आयोग की सिफारिशों के आधार पर किसी से पक्षपात होने की संभावना नहीं है।

बिना दबाव निष्पक्ष जांच करे एसआइटी

जस्टिस गुप्ता ने कहा कि एसआइटी बिना किसी अंदरूनी या बाहरी दबाव के अपनी जांच को आगे बढ़ाए। एसआइटी को आयोगों की रिपोर्टों के प्रभाव से हटकर जांच करने के आदेश दिए हैं। जस्टिस गुप्ता ने जांच पर अदालत की निगरानी की पंजाब सरकार की पेशकश को भी अस्वीकार कर दिया।

पहले सही जांच होती तो आयोग न बनाना पड़ता

एसआइटी के गठन से पहले की जांच पर हाई कोर्ट ने सवाल उठाया। जस्टिस राजन गुप्ता ने कहा कि अगर जांच सही दिशा में की गई होती तो जांच आयोग की जरूरत नहीं पड़ती। यह पेशेवर एजेंसी से जांच के मामले थे।

यह है मामला

12 अक्टूबर, 2015 को फरीदकोट जिले के बरगाड़ी गांव में श्री गुरुग्रंथ साहिब के अंग फाड़कर गलियों में फेंक दिए गए। इसके विरोध में सिखों ने प्रदर्शन किया। 14 अक्टूबर, 2015 को कोटकपूरा के बहिबलकलां में पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे लोगों पर गोली चला दी, जिसमें दो युवकों की मौत हो गई। इसके बाद बादल सरकार ने जस्टिस जोरा सिंह आयोग का गठन किया, लेकिन इसकी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई। इसके बाद कैप्टन ने आयोग जस्टिस रंजीत सिंह आयोग बनाया और रिपोर्ट विधानसभा में पेश की।

आयोग ने पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की सिफारिश की थी। पंजाब सरकार ने जांच सीबीआइ से वापस लेकर एसआइटी से कराने का प्रस्ताव पास किया था। मोगा के रिटायर्ड एसएसपी चरणजीत शर्मा, रिटायर्ड एसएसपी मानसा रघुबीर सिंह, बाजाखाना के तत्कालीन एसएचओ अमरजीत सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर पंजाब सरकार के इस फैसले को चुनौती दी थी।

फैसला बड़ी जीत : कैप्टन

मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा है कि कोर्ट का फैसला बरगाड़ी कांड में मारे गए निर्दोष लोगों के परिजनों के लिए बड़ी जीत है। पूर्व सरकार में जांच पूरी नहीं की गई थी। पंजाब सरकार की ओर से इस केस में सीनियर एडवोकेट पी. चिदंबरम और एडवोकेट जनरल अतुल नंदा ने पैरवी की है।

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