UNESCO के हस्तक्षेप के बाद U turn, विधानसभा भवन की Heritage Look में नहीं होगा बदलाव
यूनेस्को के हस्तक्षेप के बाद दो अगस्त से शुरू होने जा रहे मानसून सत्र में कई सालों बाद पंजाब विधानसभा कांप्लेक्स की हेरिटेज लुक वापस देखने को मिलेगी।
चंडीगढ़ [जय सिंह छिब्बर]। दो अगस्त से शुरू होने जा रहे मानसून सत्र में कई सालों बाद पंजाब विधानसभा कांप्लेक्स की हेरिटेज लुक वापस देखने को मिलेगी। यह लुक इसे चंडीगढ़ के निर्माता ली कार्बुजिए ने दिया था। विधानसभा के प्रवेश द्वार पर मेहमानों के स्वागत के लिए बिछाए गए रेड कारपेट, महंगी लकड़ी की सजावट, पार्टीशन करके बनाए गए कैबिन और महान हस्तियों की तस्वीरों को अब हटा दिया गया है। विधानसभा की इमारत के निर्माण के बाद की गई अतिरिक्त सजावट को हटा दिया गया है।
यह कदम यूनेस्को के दखल के बाद यूटी प्रशासन ने उठाया है। यूनेस्को ने कैपिटल कांप्लेक्स में विधानसभा परिसर, पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट, सिविल सचिवालय, ओपन हैंड की इमारत आती है। इन्हें वर्ल्ड हेरिटेज का दर्जा दिया गया है। इन इमारतों के मूल रूप में किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं की जा सकती। पिछले कुछ सालों में विधानसभा कांप्लेक्स के अंदर छेड़छाड़ की गई है।
क्या-क्या बदलाव हुए थे
सिविल सचिवालय की कई मंजिलों के अलग-अलग विभागों की शाखाओं की तरफ कैबिन बनाने साथ-साथ बड़ी संख्या में एसी लगाए गए हैं। सूत्रों के अनुसार विधानसभा की इमारत में ज्यादातर काम 2007 से 2012 के अकाली-भाजपा सरकार के दौरान स्पीकर रहे निर्मल सिंह काहलों की ने करवाया था। विधानसभा के अंदर अलग-अलग मंजिलों पर बड़े खंभों के आस आसपास महंगी लकड़ी से सजावट की गई।
इसी तरह सदस्यों के बैठने के लिए लकड़ी और शीशों के कैबिन बनाए गए थे। मुख्यमंत्री और सत्ता पक्ष के विधायकों के प्रवेश करने वाले दरवाजे के पास भी कैबिन बनाया गया था। इस तरह गैलरी (हॉल) में पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, महात्मा गांधी, संत हरचंद सिंह लोंगोवाल, शहीद भगत सिंह समेत कई हस्तियों की तस्वीरें लगाई गई थीं।
2016 में मिला था वर्ल्ड हेरिटेज का दर्जा
यूनेस्को ने साल 2016 में विधानसभा भवन, ओपन हैंड, हाईकोर्ट और सिविल सचिवालय की इमारत व कैपिटल कांप्लेक्स को वल्र्ड हेरिटेज का दर्जा दिया था। नियमों के अनुसार इसमें कोई बदलाव नहीं हो सकता। किसी दीवार पर कील तक नहीं लगाई जा सकती, लेकिन विधानसभा के अंदर कई स्थानों पर सजावट करने के लिए न सिर्फ कीलें लगाई गईं, बल्कि महंगी लकड़ी और शीशे का इस्तेमाल कर सजावट की गई।
मूल इमारत की मूल दिखावट को कायम रखने के लिए बनावटी सजावट को उतार दिया गया है। जहां कील के निशान थे, उन्हें सीमेंट से भरा जा रहा है। चंडीगढ़ में चुनिंदा इमारतों को ही हेरिटेज का दर्जा दिया गया है। इसमें विधानसभा भवन भी है। पूर्व स्पीकर निर्मल सिंह काहलों ने इस मामले में कुछ भी कहने से मना कर दिया।
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