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जज बनने पर एक करोड़ देने का हुआ था सौदा, जानें क्या है पूरा मामला...

हरियाणा सिविल सर्विसेज (ज्यूडिशियल) प्रारंभिक परीक्षा पेपर लीक मामले में पूछताछ के दौरान आरोपित ने बताया कि जज बनने के लिए एक करोड़ की मांग की गई थी।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Mon, 01 Oct 2018 08:13 PM (IST)Updated: Tue, 02 Oct 2018 08:56 PM (IST)
जज बनने पर एक करोड़ देने का हुआ था सौदा, जानें क्या है पूरा मामला...
जज बनने पर एक करोड़ देने का हुआ था सौदा, जानें क्या है पूरा मामला...

जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा सिविल सर्विसेज (ज्यूडिशियल) प्रारंभिक परीक्षा पेपर लीक मामले में गिरफ्तार सेकेंड टॉपर तेजिंदर बिश्नोई को विशेष जांच दल (एसआइटी) ने कोर्ट में पेश किया। कोर्ट ने आरोपित को दो दिन की रिमांड पर सौंपा है। मामले में आरोपित ने बताया कि उसने सात लाख रुपये एडवांस दिए थे और काम पूरा होने पर यानी जज बनने पर एक करोड़ और देने का समझौता था।

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एसआइटी आरोपित तेजिंदर बिश्नोई को दो दिन पहले गिरफ्तार आयुषी के पिता सुभाष गोदारा और मामा सुशील भादू के साथ तीन अक्टूबर को जिला अदालत में पेश कर दोबारा से रिमांड मांग सकती है। आयुषी गोदारा के मामा और पिता को बीते शुक्रवार देर रात एसआइटी ने गिरफ्तार किया था। कोर्ट ने दोनों आरोपितों को चार दिन की रिमांड पर भेद दिया था। उन्हीं की निशानदेही पर सेकेंड टॉपर की भी गिरफ्तारी की गई थी।

इनकी हो चुकी है गिरफ्तारी

अभी तक इस मामले में हाई कोर्ट के पूर्व रजिस्ट्रार डॉ. बलविंदर शर्मा, मुख्य आरोपित टॉपर सुनीता, कांग्रेस नेता टीटू, सुनीता की सहेली आयुषी गोदारा, आयुषी का भाई कुलदीप, पिता सुभाष गोदारा और मामा सुशील भादू की गिरफ्तारी हो चुकी है।

19 सितंबर 2017 को दर्ज हुआ था केस

पिंजौर निवासी सुमन ने याचिका दायर कर कहा था कि हरियाणा ने एचसीएस ज्यूडिशियल के 109 पदों के लिए आवेदन मांगे थे। जिसके बाद पेपर की तैयारी के लिए कोचिंग जाना शुरू कर दिया। इस बीच उसकी दोस्ती सुशीला से हो गई। जिसके बाद गलती से उसने एक ऐसी ऑडियो रिकॉर्डिंग भेज दी, जिसमें वह अन्य लड़की से डेढ़ करोड़ में नियुक्ति की बात कर रही थी।

पूछने पर पेपर लीक होने के मामले का पर्दाफाश हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट के आदेश पर पुलिस ने 19 सितंबर को भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा 8, 9, 13 (1) डी, 13 (2) और आइपीसी 409, 420, 120बी धारा के तहत सेक्टर-3 थाने में एफआइआर दर्ज की गई थी। जिसके बाद हाई कोर्ट के आदेश पर ही इसकी जांच के लिए एसआइटी का गठन किया गया था।

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