कोठी विवाद में हाई कोर्ट के नोटिस के बाद बढ़ी पूर्व सीएम भट्ठल और सरकार की मुश्किलें
कोठी विवाद में हाई कोर्ट के नोटिस के बाद पूर्व मुख्यमंत्री राजिंदर कौल भट्ठल और वर्तमान कांग्रेस सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
जेएनएन, चंडीगढ़। सरकारी कोठी के किराये की 84 लाख रुपये की राशि माफ करने के मामले में पूर्व मुख्यमंत्री राजिंदर कौल भट्ठल और वर्तमान कांग्रेस सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने कोठी का किराया (पैनल रेंट) माफ करने के मामले में पंजाब सरकार व भट्ठल से जवाब तलब किया था। दोनों को 6 दिसंबर तक जवाब देना है। हाई कोर्ट ने अगर सख्ती दिखाई, तो भट्ठल को 84 लाख रुपये की राशि ब्याज समेत वापस करनी पड़ सकती है।
भले ही प्रदेश सरकार ने कोठी का किराया माफ करने का प्रस्ताव विधानसभा से पारित करवाया हो, लेकिन कानूनन सरकार के पास यह अधिकार नहीं है। हाई कोर्ट के नोटिस के बाद से सरकार अपने पक्ष को मजबूती से रखने के लिए तर्क ढूंढने में जुट गई है। जवाब दाखिल करने में अभी काफी वक्त है, लेकिन इस बात को लेकर चर्चा गर्म है कि सरकार कोर्ट में क्या पक्ष रखेगी। सरकार के उच्चाधिकारियों के अनुसार कैबिनेट के पास ऐसे मामलों में किराया माफ करने का अधिकार नहीं है, लिहाजा अब सरकार को बैकफुट पर आना पड़ सकता है।
कांग्रेस सरकार ने माफ किया किराया
पूर्व अकाली-भाजपा सरकार के समय में चंडीगढ़ के सेक्टर 2 में अलॉट हुई कोठी नंबर 46 में भट्ठल निर्धारित समय से भी ज्यादा देर तक रहीं। आवास को लेकर हाईकोर्ट में दूसरी बार दायर हुई याचिका में पटियाला के एक एडवोकेट परमजीत सिंह ने कहा है कि पंजाब सरकार ने भट्ठल पर सरकारी आवास में ओवर स्टे के लिए 84 लाख रुपये का पैनल इंटरेस्ट लगाया था। भट्ठल ने यह राशि जमा करवा दी थी, लेकिन कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आने के बाद यह राशि माफ कर लौटा दी।
2012 में खाली करना था आवास
याचिकाकर्ता ने कहा है कि भट्ठल को कानूनन 4 अप्रैल, 2012 को सरकारी आवास खाली करना चाहिए था, लेकिन वह 15 महीने से अधिक समय तक यहां बनी रहीं। 2013 में हाईकोर्ट के आदेशों के बाद पंजाब सरकार ने भट्ठल के खिलाफ मकान खाली करवाने की कार्रवाई की। उनसे 84.57 लाख रुपये की रिकवरी के आदेश जारी किए थे, जिसे कांग्रेस सरकार ने माफ कर दिया।
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