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एसटीपी प्लांट्स को अपग्रेड करने का मामला अटका, प्रशासन करेगा प्रोजेक्ट को रिव्यू

एसटीपी प्लांट्स के अपग्रेड करने के लिए निकाले गए टेंडर का मामला अटक गया है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 05 Dec 2019 10:45 PM (IST)Updated: Thu, 05 Dec 2019 10:45 PM (IST)
एसटीपी प्लांट्स को अपग्रेड करने का मामला अटका, प्रशासन करेगा प्रोजेक्ट को रिव्यू
एसटीपी प्लांट्स को अपग्रेड करने का मामला अटका, प्रशासन करेगा प्रोजेक्ट को रिव्यू

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : शहर के एसटीपी प्लांट्स के अपग्रेड करने के लिए निकाले गए टेंडर का मामला अटक गया है। वीरवार को स्मार्ट सिटी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की इस मामले पर बैठक हुई। जिसमें नगर निगम सदन द्वारा लिए गए फैसलों से अवगत करवाया गया। जिसके बाद यह निर्णय लिया गया है कि अब इस प्रोजेक्ट को प्रशासन के स्तर पर रिव्यू किया जाएगा। ऐसे में अब एसटीपी मामले की गेंद प्रशासन के पाले में फेंक दी गई है। बैठक में सदस्यों ने यह भी विचार रखे कि नगर निगम प्लांट के रखरखाव और बिजली पर होने वाले खर्च की राशि देने से मना नहीं कर सकता है क्योंकि इस सर्विस को उपलब्ध करवाना नगर निगम की जिम्मेदारी है। मालूम हो कि नगर निगम की मंजूरी लिए बिना स्मार्ट सिटी ने एसटीपी प्लांट्स को अपग्रेड करने का टेंडर निकाला दिया था। लेकिन नगर निगम द्वारा मंजूरी न देने पर अब यह मामला अटक गया है। जबकि एनजीटी ने प्रशासन को शहर के सभी प्लांट्स अपग्रेड करने के लिए साल 2020 के दिसंबर माह तक डेडलाइन दी हुई है। एनजीटी ने टर्शरी वाटर का बीओडी लेवल 10 से कम करने के निर्देश दिए हैं। स्मार्ट सिटी इस मामले में चौथी बार टेंडर निकाला चुका है जिसके तहत पांच वर्तमान प्लांट़्स को अपग्रेड करने के अलावा किशनगढ़ में एक नया प्लांट बनाने का मामला शामिल है। बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की मीटिग में सलाहकार मनोज परिदा ने भी भाग लिया। 15 साल का खर्चा देने को तैयार नहीं एमसी

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एसटीपी प्लांट को रखरखाव और बिजली बिल का 15 साल का खर्चा देने के लिए नगर निगम तैयार नहीं है। यह राशि 528 करोड़ रुपये की बनती है। नगर निगम चाहता है कि स्मार्ट सिटी ने इस समय जो टेंडर निकाला है, उसे रिजेक्ट किया जाए और नए सिरे से टेंडर अलॉट किया जाए क्योंकि टेंडर निकालने से पहले नगर निगम की मंजूरी लेनी अनिवार्य थी। पार्षदों ने यह भी कहा था कि सिगल टेंडर के बजाय हर प्लांट का अलग-अलग टेंडर निकाला जाए इससे यह फायदा होगा कि एक तो प्रतियोगिता बढ़ेंगी और ज्यादा कंपनियां आने से खर्चा भी कम आएगा। पार्षदों का मानना है कि टेंडर की शर्ते इस तरह की बनाई गई हैं जिससे चुनिदा कंपनियां ही टेंडर के लिए आवेदन कर पा रही हैं। बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की बैठक में सेक्टर-17 में नए साल से चलने वाले ई-कार्ट रिक्शा चलाने के प्रोजेक्ट को मंजूरी दी दी है। बैठक में स्मार्ट सिटी के तहत अब तक हुए प्रोजेक्ट्स को भी रिव्यू किया गया।


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