Punjab News: गुरमीत राम रहीम पंजाब में बेअदबी मामलों का मुख्य साजिशकर्ता, एसआइटी की जांच रिपोर्ट में हुए कई अहम खुलासे
विशेष जांच टीम (एसआइटी) द्वारा बरगाड़ी बेअदबी मामले की जांच रिपोर्ट सीएम भगवंत मान को सौंप दी गई है। बताया जा रहा है कि रिपोर्ट में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को बेअदबी मामले का मुख्य साजिशकर्ता बताया गया है।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। फरीदकोट जिले के बुर्ज जवाहर सिंह वाला और बरगाड़ी गांवों में बेअदबी के तीन मामलों की जांच कर रही स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम (एसआइटी) ने अपनी रिपोर्ट में सभी घटनाओं के लिए सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा के मुखी गुरमीत राम रहीम को मुख्य साजिशकर्ता बताया है।
हालांकि बेअदबी की इस घटना को लेकर राजनीति होती रही है और कांग्रेस व आम आदमी पार्टी बादल परिवार को निशाने पर लेती रही हैं, परंतु जांच में किसी राजनीतिक साजिश की बात सामने नहीं आई है। जिसे लेकर शिरोमणि अकाली दल (बादल) ने कांग्रेस और आप नेताओं को माफी मांगने के लिए कहा है।
शनिवार को मुख्यमंत्री भगवंत मान ने एसआइटी की रिपोर्ट सार्वजनिक की। रिपोर्ट में डेरा मुखी और डेरे के फरार तीन अनुयायियों सहित कुल 12 लोगों के नाम शामिल हैं। मान ने रिपोर्ट की प्रति इस मामले को लेकर संघर्ष कर रहे पंथक संगठनों के प्रतिनिधियों को सौंपी।
यह पहली बार है जब इस तरह से कोई रिपोर्ट सार्वजनिक की गई है। 467 पन्नों की रिपोर्ट में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) की जांच में किए गए कई दावों का खंडन किया गया है।
सीबीआइ ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि इस मामले में डेरा मुखी के शामिल होने का कोई सबूत नहीं मिला था। जिसके बाद सीबीआइ ने कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की थी।
सूत्रों के अनुसार इस मामले में बनी तीसरी एसआइटी द्वारा यह रिपोर्ट इसी साल 21 अप्रैल को डीजीपी वीके भवरा और डीजीपी इंटेलिजेंस प्रबोध कुमार को मंजूरी के लिए सौंपी थी। एसआइटी का गठन पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के निर्देश पर आइजी बार्डर रेंज एसपीएस परमार के नेतृत्व में चार अप्रैल, 2021 को किया गया था। उल्लेखनीय है कि 2015 में अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार के समय हुई बेअदबी की घटना की जांच के लिए इससे पहले भी दो आयोग और दो एसआइटी का गठन हुआ था।
एमएसजी-2 रिलीज न करने के कारण रची गई साजिश
एसआइटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि डेरा मुखी की फिल्म 'एमएसजी -2' को रिलीज न करने के कारण बदला लेने की साजिश रची गई थी। पहला मामला एक, जून 2015 को बुर्ज जवाहर सिंह वाला गुरुद्वारा साहिब से श्री गुरु ग्रंथ साहिब के पावन स्वरूप की चोरी का है। फिर 25 सितंबर को गुरुद्वारा साहिब के बाहर आपत्तिजनक टिप्पणी वाले दो पोस्टर लगाए गए और इसकी बाद 12 अक्टूबर को पावन स्वरूप की बेअदबी की गई।
रिपोर्ट के अनुसार सुखजिंदर सिंह उर्फ सनी, शक्ति सिंह, बलजीत सिंह, रणदीप सिंह, रणजीत सिंह, निशान सिंह, नरिंदर शर्मा और डेरा मुखी पवित्र स्वरूपों की चोरी और बेअदबी के लिए जिम्मेदार हैं, जबकि पोस्टर चिपकाने की घटना के लिए सुखजिंदर सिंह, शक्ति सिंह, बलजीत सिंह, रणजीत सिंह और डेरा मुखी जिम्मेदार हैं।
हर्ष धुरी, प्रदीप कलेर और संदीप बरेटा भी इस साजिश में शामिल थे। वह फरार हैं और उन्हें भगोड़ा घोषित किया गया है। डेरा मुखी का आरोपितों के साथ सीधा संबंध था। एक मुख्य आरोपित मो¨हदर पाल (जिसे नाभा जेल में कैदियों ने मार दिया) और उसके साथी फिल्म 'एमएसजी -2' रिलीज न होने से परेशान थे और बदला लेने की साजिश रची गई।
आरोपित निशान सिंह और बलजीत सिंह ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब के पावन स्वरूप को चुरा लिया। पवित्र स्वरूप चुराने व बेअदबी करने और आपत्तिजनक पोस्टर चिपकाने के लिए दो कारों व एक बाइक का इस्तेमाल किया।
यह था मामला
बेअदबी के बाद यह मामला उस समय तूल पकड़ गया जब 14 अक्तूबर, 2015 को बरगाड़ी के साथ सटे गांव बहिबल कलां में शांतिपूर्ण धरना दे रही सिख संगत को जबरन उठाने के लिए पुलिस ने सीधी फायरिंग कर दी। इसमें दो सिख युवकों गांव नियामीवाला के किशन भगवान सिंह और गांव सरावां के गुरजीत सिंह की मौत हो गई। इससे पहले इसी दिन कोटकपूरा में चल रहे धरने को भी पुलिस ने बल प्रयोग कर उठवाया था और लाठीचार्ज व फायरिंग में करीब 100 लोग घायल हुए थे।