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शहर के गुरजीत सिंह ने व‌र्ल्ड मास्टर्स वेटलिफ्टिंग में जीता सिल्वर मेडल Chandigarh News

यह प्रतियोगिता तीन से छह अक्टूबर के बीच संपन्न हुई। गुरजीत इससे पहले भी कई प्रतियोगिताओं में मेडल जीतकर शहर का मान बढ़ा चुके हैं।

By Edited By: Published: Sun, 06 Oct 2019 07:58 PM (IST)Updated: Mon, 07 Oct 2019 11:03 AM (IST)
शहर के गुरजीत सिंह ने व‌र्ल्ड मास्टर्स वेटलिफ्टिंग में जीता सिल्वर मेडल Chandigarh News
शहर के गुरजीत सिंह ने व‌र्ल्ड मास्टर्स वेटलिफ्टिंग में जीता सिल्वर मेडल Chandigarh News

जेएनएन, चंडीगढ़। असिस्टेंट इंजीनियर से वेटलिफ्टर बने गुरजीत सिंह ने अमेरिका के कैलिफोर्निया में आयोजित व‌र्ल्ड मास्टर्स वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीता है। इस प्रतियोगिता के लिए गुरजीत सिंह ने काफी मेहनत की थी। गुरजीत ने 109 किलोग्राम भार वर्ग में हिस्सा लिया था। यह प्रतियोगिता तीन से छह अक्टूबर के बीच संपन्न हुई। गुरजीत इससे पहले भी कई प्रतियोगिताओं में मेडल जीतकर शहर का मान बढ़ा चुके हैं। गुरजीत सिंह ने इससे पहले ऑस्ट्रेलिया के गोल्डकोस्ट में आयोजित कॉमनवेल्थ मास्टर्स चैंपियनशिप पेसिफिक रिम टूर्नामेंट में सिल्वर मेडल जीता था। इससे पहले गुरजीत सिंह ने पिछले साल नेशनल मास्टर्स गेम्स में ब्रांज और मलेशिया में आयोजित एशिया पेसिफिक गेम्स में सिल्वर मेडल जीता था।

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वेटलिफ्टिंग से जुड़ने का इनका किस्सा रोचक है 

इंजीनियर गुरजीत सिंह का वेटलिफ्टिंग से जुड़ने का किस्सा भी रोचक है। दरअसल गुरजीत सिंह ने अपने एक मित्र की सलाह पर बेटे गुरकरण सिंह और परमवीर सिंह को स्पो‌र्ट्स कांप्लेक्स-42 में वेटलिफ्टिंग की कोचिंग दिलाना शुरू किया था। बच्चों को छोड़ने और वापस लाने के झंझट से बचने के लिए वे भी प्रेक्टिस देखने के लिए एक-दो घंटे वहीं रुकने लगे। खेल में बच्चों का जोश देखकर खुद वेटलिफ्टिंग शुरू कर दी। अब बेटों के साथ ही वहीं प्रेक्टिस करते हैं और तीनों में एक-दूसरे से ज्यादा मेडल जीतने की होड़ लगी रहती है। इसी साल फरवरी में आयोजित चंडीगढ़ स्टेट वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में गुरजीत के बड़े बेटे गुरकरण सिंह ने 55 किलो भार वर्ग में गोल्ड मेडल जीता। वहीं, छोटे बेटे परमवीर सिंह ने 81 किलोग्राम भार वर्ग में हिस्सा लेते हुए ब्रांज मेडल जीता था।

कुछ साल पहले शुगर और ब्लड प्रेशर की दवाई खाते थे गुरजीत

गुरजीत सिंह ने बताया कि खेल से जुड़ने के बाद मेरे जीवन में इतना बदलाव आया कि मैं बयां नहीं कर सकता। पहले मुझे शुगर और हाई ब्लड प्रेशर रहता था जिस वजह मुझे रोजाना सुबह शाम दवाई लेनी पड़ती थी लेकिन अभी मैं पूरी तरह से फिट हूं। मेरी दवाइयां पूरी तरह से बंद हो गई हैं। खेल से जुड़ने से दूसरा बदलाव यह आया कि बेटे मेरे अब बहुत अच्छे दोस्त बन गए हैं। हमारा सोने-उठने का टाइम एक हो गया। अब हम एकसाथ प्रेक्टिस करते हैं। मेरे जोश का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अभी मैं 45 प्लस हूं लेकिन अभी भी मेडल जीतने का जुनून है।

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