पुलिस को टीम वर्क से मिली गौंडर-भादू के एनकाउंटर में सफलता
दोनों आपरेशस को डीएसपी विक्रम बराड़ ने लीड किया।
जागरण संवाददाता, मोहाली : गैंगस्टर विक्की गौंडर व अंकित भादू दोनों आपरेशस को डीएसपी विक्रम बराड़ ने लीड किया। नाभा जेल ब्रेक के बाद से आर्गेनाइज्ड क्राइम कंट्रोल यूनिट (ओकू) के डीएसपी बराड़ व उनकी टीम विक्की गौंडर को पकड़ने के लिए लगातार काम कर रही थी। जिन्हें एक साल बाद सफलता मिली। इसी तरह अंकित भादू के पीछे भी काफी नेटवर्क तैयार करना पड़ा था। भादू को लेकर पुलिस ने राजस्थान, फाजिल्का, फिरोजपुर, मुक्तसर, बठिंडा व तरनतारन में भी जाल बिछा रखा था। इस दौरान 6 बार भादू और उसके साथियों से पुलिस की सीधी मुठभेड़ होते-होते बची और भादू बच निकला। लेकिन वीरवार को पुलिस ने उसे और उसके साथियों को जीरकपुर के पीर मुछल्ला के महालक्ष्मी अपार्टमेंट में घेर लिया था। गौंडर ने फैलाई थी विदेश जाने की झूठी खबर
डीएसपी विक्रम बराड़ की अगुआई में काम कर रही पुलिस जानती थी कि गौंडर विदेश नहीं भागा है और उसने अपने विदेश भागने की झूठी खबर वायरल करवाई है। असल में पुलिस को एक ऐसा वॉयस सैंपल मिला था, जिसमें दो लोगों की बातचीत के दौरान एक तीसरे व्यक्ति की भी बातचीत थी। वह गौंडर की निकली थी। इन तीनों लोगों की बातचीत इंडिया में ही हो रही थी। इस पर पुलिस को यकीन था। पुलिस ने गौंडर के बारे में जानकारियां लेनी जारी रखी। उसके साथी और वह कहा-कहा जा रहा है, इस पर लगातार नजर रखी। एक महीने पहले पुलिस को लगने लगा था कि अब वह गौंडर के काफी नजदीक पहुंच चुकी है और वह कभी भी पुलिस के हत्थे चढ़ सकता है। इसे लेकर उस समय के डीजीपी सुरेश अरोड़ा, इंटेलिजेंस चीफ दिनकर गुप्ता और डीजीपी लॉ एंड ऑर्डर ने पुख्ता प्लानिंग कर इसके लिए पुलिस की सात कंपनिया तैनात की थीं। इनमें से तीन मालवा के लिए, दो दोआबा के लिए और दो माझा के लिए थी। पुलिस की दस कंपनियां रखी गई थी रिजर्व
इसके अलावा पुलिस की 10 कंपनिया रिजर्व रखी गई थी, जिन्हें जरूरत पड़ने पर कहीं भी भेजा जा सकता था। इन सवा महीनों के दौरान पुलिस को जहा-जहा भी गौंडर और उसके साथियों के होने की सूचना मिली, वहा पुलिस पहुंची, लेकिन वह बचता रहा। लेकिन एक साल बाद पुलिस ने उसे और उसके साथियों को गाव पक्का टिब्बी की ढाणी में घेर लिया था। 26 जनवरी 2018 को दो साथियों समेत उसे ढेर कर दिया गया था। लड़की से मिलने कत्ल करके आया था भादू
इसी तरह गैंगस्टर अंकित भादू भी एक लड़की के संपर्क में था, जोकि चंडीगढ़ के सेक्टर-34 में काम करती थी। अंकित इस लड़की से मिलने के लिए चंडीगढ़ आया था और महालक्ष्मी अपार्टमेंट पिछले 4 महीने से किराये पर रह रहे अपने दोस्तों के पास रुका था। अंकित भी इस युवती को फोन करता था, हालाकि वह इसके लिए वाट्सएप नंबर से कॉल करता था, परंतु ऑपरेशन को लीड कर रहे विक्रम बराड़ के हाथ युवती का वॉयस सैंपल लगा, बस उसी सैंपल के आधार पर पुलिस ने उसकी लोकेशन ट्रेस की। पुलिस ने इस लड़की के नंबर को ट्रैप पर लगाया, जिससे उन्हें अंकित के ट्राईसिटी में होने की सूचना मिली। उसके बाद ऑपरेशन में काम कर रही पाच टीमों ने ट्रैप लगाकर उसकी लोकेशन जाची। हालाकि एक दिन पहले ही अंकित बहादुरगढ़ में विरोधी गैंग के गैंगस्टर अजय उर्फ डंका का कत्ल करके आया था। इस बात की भनक भी ओकू पुलिस को लग चुकी थी परंतु जब पुलिस की एक पार्टी मौका-ए-वारदात पर पहुंची, तो उससे पहले ही अंकित भादू वहा से फरार हो गया। एक दिन बाद उसे जीरकपुर में होने की पुष्टि होते ही ओकू टीम ने उसका एनकाउंटर कर दिया। अंकित एक साल से अपने घर से बाहर था, परंतु वह कभी भी अपने घर से संपर्क नहीं करता था।