सुखना के पास वाले वीवीआइपी सेक्टरों में पानी नहीं हो रहा रिचार्ज
सुखना लेक के साथ लगते वीवीआइपी सेक्टरों को कुछ सालों बाद गंभीर जल संकट का सामना करना पड़ेगा।
बलवान करिवाल, चंडीगढ़
सुखना लेक के साथ लगते वीवीआइपी सेक्टरों को कुछ सालों बाद गंभीर जल संकट का सामना करना पड़ेगा। इन सेक्टरों का भूजल स्तर बेहद तेजी से नीचे खिसक रहा है। धरती के अंदर भूजल भंडार सूख रहे हैं। जितनी तेजी से पानी निकल रहा है उससे बेहद कम गति से रिचार्ज हो रहा है। हालत इतनी खराब हो गई है कि सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड ने चंडीगढ़ प्रशासन को चिट्ठी लिखकर इसकी चेतावनी दी है। इसे बैलेंस करने के लिए जरूरी कदम उठाने की सलाह दी है। नार्थ ईस्ट के इन सेक्टरों के मुकाबले साउथ सेक्टरों में भूजल की स्थिति काफी ठीक है। सुखना लेक के साथ लगते वीवीआईपी सेक्टर-3 में भूजल 53.64 मीटर बिलो ग्राउंड लेवल है। वहीं बुडैल में शैलो वाटर 2.75 मीटर बिलो ग्राउंड लेवल पर उपलब्ध है। एक छोर से शहर के दूसरे छोर में ही ग्राउंड वॉटर लेवल में 50 मीटर से अधिक का अंतर है। जो चिता बढ़ाने वाला है। यह अंतर साल दर साल बढ़ता ही जा रहा है। ढलान से तुरंत बह जाता है पानी
चंडीगढ़ शिवालिक की तलहटी में बसा शहर है। जिस वजह से इसकी भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि सुखना लेक के साथ लगते सेक्टरों की तरफ से ढलान साउथ के सेक्टरों की तरफ है। ढलान होने से बरसात का पानी इन सेक्टरों में ठहरता नहीं है। तुरंत बहकर यह साउथ की तरफ बह जाता है। यह बड़ी वजह इन सेक्टरों में पानी रिचार्ज नहीं होने की बताई जा रही है। साउथ सेक्टरों में भूजल स्तर इसी वजह से बेहतर स्थिति में है। चंडीगढ़ में स्टेज ऑफ ग्राउंड वॉटर डेवलपमेंट यानी पानी का दौहन केवल 89 फीसद है। रिचार्ज के लिए छोटी-छोटी वॉटर बॉडी बनाने के निर्देश
केंद्र सरकार ने भूजल स्तर को रिचार्ज करने के लिए कई कदम उठाने के निर्देश प्रशासन को दिए हैं। इसमें पार्क, ओपन एरिया, फॉरेस्ट एरिया और अन्य जगहों पर छोटी-छोटी वाटर बॉडी बनाने की सलाह दी गई है। जिससे इनमें पानी जमा हो सके और रिचार्ज होता रहे। इसके अलावा रेन हार्वेस्टिग सिस्टम को ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा देना होगा। भूजल के गिरते स्तर को देखते हुए चंडीगढ़ ने 500 वर्ग गज यानी एक कनाल से बड़े एरिया की बिल्डिग में रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम लगाना अनिवार्य कर रखा है। इसके बिना बिल्डिग के प्लान को अप्रूवल नहीं मिल रही। अब इस दायरे को और कम करने की तैयारी है। इसी तरह से चंडीगढ़ में ट्यूबवेल लगाने पर रोक है। केवल सरकारी ट्यूबवेल ही जरूरत पर लग सकता है।