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सफेदा व पॉपुलर को और प्रमोट नहीं करेगी सरकार, फलदार और हर्बल पौधों पर रहेगा ज्यादा फोकस

सरकार द्वारा सफेदा और पॉपुलर को और प्रमोट नहीं किया जाएगा। इस साल फलदार और हर्बल पौधों पर ज्यादा फोकस रहेगा। एक करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Thu, 02 Jul 2020 09:30 AM (IST)Updated: Thu, 02 Jul 2020 09:30 AM (IST)
सफेदा व पॉपुलर को और प्रमोट नहीं करेगी सरकार, फलदार और हर्बल पौधों पर रहेगा ज्यादा फोकस
सफेदा व पॉपुलर को और प्रमोट नहीं करेगी सरकार, फलदार और हर्बल पौधों पर रहेगा ज्यादा फोकस

जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब में अब सरकारी तौर पर सफेदा और पॉपुलर को और प्रमोट नहीं किया जाएगा। ज्यादा पानी की खपत करने वाले इन पेड़ों की जगह पंजाब के पारंपरिक पौधों को लगाकर इनके जंगल खड़े किए जाएंगे। पंजाब के मालवा क्षेत्र में जंड, नीम, कीकर, शीशम आदि पेड़ों की अच्छी ग्रोथ देखने को मिलती है।

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चीफ फॉरेस्ट कंजरवेटर जितेंद्र शर्मा का कहना है कि इन पौधों को ही इस बार मानसून के सीजन के दौरान ज्यादा लगाया जाएगा। इसके अलावा कंडी के क्षेत्र जहां पॉपुलर बहुत ज्यादा तादाद लगाए जा रहे हैं। अब वहां हर्बल पौधों को लगाया जाएगा। आयुर्वेदिक दवाओं के लिए इनकी बहुत मांग है। इस साल हमारा लक्ष्य एक करोड़ पौधे लगाने का है, जिसमें से जंगली पौधे तो लगाए ही जाएंगे, साथ ही फलदार और हर्बल पौधों पर ज्यादा फोकस किया जाएगा।

बता दें, पिछले साल जब सरकार ने गुरु नानक देव जी का 550 साला प्रकाशोत्सव मनाया था तो हर गांव में 550 पौधे लगाने का लक्ष्य रखा था। चूंकि यह अभियान गुरु नानक साहिब के नाम पर जुड़ा था और सरकार ने भी इसे काफी प्रमोट किया इसलिए ऐसा पहली बार हुआ कि कुल लगाए गए पौधों में से 70 फीसद आज भी अच्छी हालत में हैं। जितेंद्र शर्मा ने बताया कि हम 30 फीसद पौधों को तो नए सिरे से रिप्लेस कर ही रहे हैं। साथ ही इस साल पिछले साल से भी बड़ा अभियान चलाया जाएगा।

पॉपुलर और सफेदा लेते हैं ज्यादा पानी

पॉपुलर और सफेदा ज्यादा पानी की खपत करने वाले पेड़ हैं, इसीलिए इनकी ग्रोथ काफी तेज होती है। कंडी का पूरा क्षेत्र पॉपुलर के पेड़ों से भरा हुआ है। ये पेड़ फर्नीचर के काम भी आ रहे हैं।

फूड फॉरेस्ट नया कांसेप्ट

फतेहगढ़ साहिब के डडियाणा में फूड फॉरेस्ट नाम से एक नए कांसेप्ट पर काम हो रहा है। यहां जमीन के बाहरी भाग में फर्नीचर और ईंधन के काम में आने वाली लकड़ी की एक से दो लाइन की बाउंड्री लगाई गई है। ये पेड़ विंड ब्रेकर के रूप में काम करते हैं, वहीं लीफ शेडर होने के कारण भारी मात्रा में पत्ते के रूप में खाद भी देते हैं। इनकी ऊंचाई सबसे ज्यादा होती है। इसकी अगली लाइन में आम, जामुन, आड़ू जैसे बड़े पेड़ लगाए गए हैं।

विंड ब्रेकर पेड़ों के होने के कारण जब तेज हवाएं चलती हैं तो इनका फल नहीं गिरता। तीसरी पंक्ति में अमरूद, अनार जैसे मध्यम दर्जे के कद के पेड़ लगाए गए हैं । चौथी पंक्ति में इनसे छोटे कद वाली पेड़ लगाए जा रहे हैं जिनमें नींबू प्रजाति के सभी पौधे शामिल हैं। पांचवीं पंक्ति झाड़ीदार पौधे लगाए जा रहे हैं जिनमें करौंदा व हर्बल पौधे शामिल हैं। छठी और सातवीं पंक्ति में सब्जियां लगाई जा रही हैं।

इस फार्म को डेवलप करनें में लगे हुए मोहनजीत धालीवाल ने बताया कि जंगल सात लेयर्स में काम करते हैं। हमारा यह कांसेप्ट जंगल पर ही आधारित है जिसमें हर तरह की वनस्पति होगी। पौधों की ग्रोथ के लिए रासायनिक दवाओं को छिड़कने के बजाय हम चार पांच पेड़ों के बीच एक नाइट्रोजन फिक्सर पेड़ लगा रहे हैं जिनमें अरहर की दाल, डेक आदि शामिल हैं। इस तरह के कांसेप्ट में पानी का खर्च भी बहुत कम आता है। इसमें खरपतवार को साथ रखा जाता है, जो इन पेड़ों की ग्रोथ पर भी काम करते हैं और पानी को रिचार्ज करने में भी सहायक होते हैं। यही नहीं, मिट्टी को उपजाऊ करने में भी इनकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है।


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