सरकार लाएगी नई एक्साइज पॉलिसी, शराब होगी सस्ती
पंजाब सरकार नई एक्साइज पॉलिसी लाने जा रही है जिसके तहत शराब सस्ती करने की तैयारी है। ऐसा करके सरकार एक तीर से दो निशाना साधेगी।
चंडीगढ़ [कैलाश नाथ]। पंजाब सरकार नई एक्साइज पॉलिसी लाने जा रही है जिसके तहत शराब सस्ती करने की तैयारी है। ऐसा करके सरकार एक तीर से दो निशाना साधेगी। लोकसभा चुनाव को देखते हुए सरकार शराब पीने वाले शौकीनों को सस्ती शराब के राह खोलेगी। इसके अलावा पंजाब में शराब सस्ती होने से पड़ोसी राज्यों से होने वाली तस्करी पर भी रोक लगेगी।
बजट से पूर्व 16 फरवरी को होने वाली कैबिनेट बैठक में पंजाब सरकार इस पॉलिसी पर अपनी मोहर लगा देगी। बजट 18 फरवरी को पेश होना है। पंजाब में लंबे समय से शराब सस्ती करने की मांग उठ रही थी। पिछले बजट के दौरान भी सरकार ने इस बात के संकेत दे दिए थे कि अगले वित्तीय वर्ष में सरकार नई पॉलिसी लाकर शराब को सस्ता कर सकती है।
आबकारी एवं कराधान विभाग की लंबे समय से शिकायत रही है कि पंजाब में महंगी शराब के कारण दूसरे राज्यों से इसकी तस्करी होती है। इससे सरकार को न सिर्फ राजस्व का नुकसान होता है, बल्कि कानून व्यवस्था पर भी इसका असर पड़ता है। पंजाब की सीमाएं कई राज्यों से लगती हैैं। ऐसे में तस्करी को पूर्ण रूप से रोकना काफी चुनौती भरा काम है। तस्करों को राजनीतिक शह मिलने के कारण यह समस्या और बढ़ जाती है।
चालू वित्तीय वर्ष में पंजाब सरकार ने एक्साइज से 6000 करोड़ रुपये के राजस्व का अनुमान लगाया था। आबकारी विभाग का आंकलन है कि इसमें 600 से 700 करोड़ रुपये की कमी आएगी। विभाग का अनुमान है कि काफी मशक्कत के बाद भी विभाग 5400 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व नहीं जुटा पाएगा। इसका मुख्य कारण राजस्व में लीकेज होने को माना जा रहा है जोकि महंगी शराब की वजह से है।
यही कारण है कि एक्साइज विभाग नई पॉलिसी तैयार कर रहा है। इसमें वह शराब की कीमतों में 12 से 15 फीसद की कटौती कर सकता है। नई पॉलिसी से हरियाणा, राजस्थान व हिमाचल प्रदेश के मुकाबले पंजाब की शराब तुलनात्मक रूप से कीमत के मामले में करीब-करीब पहुंच जाएगी। इससे तस्करी में कमी आ सकती है।
आम चुनाव का भी ध्यान
सरकार यह मान रही है कि आम चुनाव की घोषणा मार्च के पहले या दूसरे सप्ताह में कभी भी हो सकती है, इसीलिए सरकार नई पॉलिसी को कैबिनेट से मंजूरी दिलवा सकती है जिससे फरवरी के अंत में नए ठेके देने की प्रक्रिया शुरू हो जाए। सरकार की कोशिश है कि आम चुनाव की घोषणा होने पर भी ठेकों की अलॉटमेंट में किसी प्रकार का कानूनी व्यवधान न आए।