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सरकारी तंत्र ने कलाकार को बनाया मजदूर

धनास स्थित सरकारी स्कूल जहां इन दिनों मरम्मत का कार्य चल रहा है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 10 Aug 2020 09:17 PM (IST)Updated: Tue, 11 Aug 2020 06:09 AM (IST)
सरकारी तंत्र ने कलाकार को बनाया मजदूर
सरकारी तंत्र ने कलाकार को बनाया मजदूर

शंकर सिंह, चंडीगढ़ : धनास स्थित सरकारी स्कूल, जहां इन दिनों मरम्मत का कार्य चल रहा है। यहां काम कर रहे मजदूरों के बीच एक चेहरा दिख जाता है, जो शहर के लिए जाना पहचाना है। ये चेहरा रंगमंच में उतरकर नाटकों में जान भरता था, अभिनय से लोगों का प्यार और उनकी तालियां पाता था। मगर इन दिनों ये कंस्ट्रक्शन साइट पर काम करने को मजबूर है। ये हैं शहर के वरिष्ठ रंगकर्मी अभिमन्यु इमरोज। जो पिछले 15 दिन से धनास में मजदूरी कर रहे हैं। लॉकडाउन से ही बंद रंगमंच की वजह से उन्हें मजदूरी करनी पड़ रही है। कई जगह मदद की अपील की, अकादमियों और कला से जुड़ी संस्थाओं से संपर्क किया, मगर नतीजा सिफर रहा। छह महीने की बच्ची के लिए रोजाना 450 रुपये की दिहाड़ी

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अभिमन्यु ने कहा कि उन्हें रोजाना 450 रुपये मजदूरी मिलती है। लॉकडाउन से पहले उनके घर बेटी ने जन्म लिया। इसकी बहुत खुशी थी, मगर लॉकडाउन ने कमर तोड़कर रख दी। सब शो कैंसिल हो गए। जो रुपया था, जरूरी चीजों पर खर्च हो गया। इस बीच अपने उन रंगकर्मी दोस्तों की मदद की, जिनके पास खाने को नहीं था। मगर खुद कुछ दिनों बाद मेरी भी हालत ऐसी ही हो गई। इस बीच हम चंडीगढ़ संगीत नाटक अकादमी के पास गए, जहां से हमें डीसी ऑफिस भेजा गया। वहां पता चला कि हमारी फंडिंग ही रुकी हुई है। नॉर्थ जोन कल्चरल सेंटर, पटियाला ने एक स्कीम चलाई, जिसके तहत आधे घंटे के शो का 1100 रुपये मिलना था। मैंने बहुत मेहनत करके वीडियो बनाया, भेजने के दौरान कई मशक्कत उठानी पड़ी। मगर जब पता चला कि हमें केवल 1100 रुपये ही मिलेंगे, तो मैंने इससे बेहतर मजदूरी करने की सोची। हमारी कला की कीमत इतनी कम कैसे हो सकती है। सीनियर कलाकारों ने भी साथ नहीं दिया

अभिमन्यु ने कहा कि वे शहर के प्रसिद्ध रंगकर्मी (नाम न बताने की शर्त पर) के साथ जुड़े रहे। उनके साथ करीब आठ वर्षो तक पूरे देश में नाटक किए। मगर लॉकडाउन के दौरान उन्होंने मदद के लिए भी नहीं पूछा। अंबाला से रंगकर्मी कमलेश्वर शर्मा ने मेरी जरूर मदद की। उन्होंने लॉकडाउन के बाद मुझे कुछ रुपये मदद के लिए दिए। लेकिन वो दो महीने में खत्म हो गए। इन दिनों सेक्टर-25 में रह रहा हूं, जहां मेरा बचपन का दोस्त एक ठेकेदार है। उसी से मैंने ये मजदूरी का काम मांगा। लोग हैरान हो रहे हैं, मगर मुझे हाथ फैलाकर मांगना पसंद नहीं, मैं मेहनत करने को तैयार हूं।


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