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सरकार पीपीएससी सदस्यों की नियुक्तियों में कर रही धांधली : खैहरा

आम आदमी पार्टी के विधायक सुखपाल सिंह खैहरा ने कहा है कि कैप्‍टन सरकार पंजाब पब्लिक सर्विस कमीशन के सदस्यों की व दो आरटीआई कमिश्नरों की नियुक्तियों में धांधली कर रही है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Fri, 19 Jan 2018 02:02 PM (IST)Updated: Fri, 19 Jan 2018 05:48 PM (IST)
सरकार पीपीएससी सदस्यों की नियुक्तियों में कर रही धांधली : खैहरा
सरकार पीपीएससी सदस्यों की नियुक्तियों में कर रही धांधली : खैहरा

जेएनएन, चंडीगढ़। आम आदमी पार्टी के विधायक व नेता प्रतिपक्ष सुखपाल सिंह खैहरा ने कहा है कि सरकार   पंजाब पब्लिक सर्विस कमीशन (पीपीएससी) के सदस्यों व दो आरटीआई कमिश्नरों की नियुक्तियों में धांधली करने की कोशिश कर रही है। इन नियुक्तियों में सरकार की तरफ से नियमानुसार सरकारी प्रक्रिया को अपनाए बिना नियुक्तियां करने की कवायद की जा रही है। इसे किसी भी कीमत पर बतौर नेता प्रतिपक्ष वह स्वीकार नहीं करेंगे।

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उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की तरफ से उन्हें संबंधित नियुक्तियों को लेकर फाइल भेजी गई है और कहा गया है कि मुख्यमंत्री व बाकियों ने नियुक्तियों को क्लीन चिट दे दी है, वह भी अपने हस्ताक्षर कर दें। उन्होंने आरोप लगाया कि जब फाइल उनके पास पहुंची तो पता चला कि पंजाब पब्लिक सर्विस कमीशन (पीपीएससी) में छह सदस्यों व दो आरटीआई कमिश्नरों की नियुक्तियों को लेकर उम्मीदवारों का चयन सरकार ने कर लिया है। इन नियुक्तियों को लेकर सरकार की तरफ से किसी तरह भी नियमों का पालन नहीं किया गया है।

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खैहरा ने कहा कि वह फाइल पर तब तक हस्ताक्षर नहीं करेंगे जब तक सभी उम्मीदवारों की जांच के बाद तसल्ली नहीं कर लेते कि सभी सही हैं। इसके लिए पहले गठित कमेटी की बैठक होनी चाहिए। अभी तक एक भी बैठक नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में उनकी तरफ से मुख्य सचिव को पत्र लिखकर कहा गया कि नियुक्तियों को लेकर संबंधित प्रक्रिया क्यों नहीं अपनाई गई।

अपने ही जवाब में फंस गए खैहरा

मीडिया से बातचीत पहले खैहरा आरोप लगा रहे थे कि उन्हें नहीं पता कि किस प्रकार से सरकार ने नियुक्तियों को लेकर उम्मीदवारों का चयन फाइनल किया है, थोड़ी देर बाद खुद ही बता बैठे कि आरटीआई कमिश्नर को लेकर तय किए गए एक नाम के बारे में वह जानते हैं कि वह उक्त पद के लिए सही उम्मीदवार हैं।

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खैहरा भूल गए थे कि पहले उन्होंने आरोप लगाया था कि उन्हें भरोसे में नहीं लिया गया। हालांकि बाद में खैहरा ने अपने बयानों को पलट कर कहा कि उनके कहने का मतलब केवल इतना था कि उक्त नाम के उम्मीदवार को वह जानते हैं।

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