एनजीटी में पराली निस्तारण पर किरकिरी, दस किसानों की लिस्ट भी नहीं सौंप सकी सरकार
एनजीटी को सरकार उन दस किसानों की सूची भी नहीं सौंप सकी जिनको सरकार की तरफ से सब्सिडी पर पराली निस्तारण के लिए मशीनरी दी गई है।
जेएनएन, चंडीगढ़। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में पराली के निस्तारण के मामले में पंजाब सरकार की बुधवार को किरकिरी हुई। ट्रिब्यूनल को सरकार उन दस किसानों की सूची भी नहीं सौंप सकी जिनको सरकार की तरफ से सब्सिडी पर पराली निस्तारण के लिए मशीनरी दी गई है। मामले की अगली सुनवाई अब 11 अक्टूबर को होगी।
धान की कटाई का सीजन शुरू होते ही पराली को लेकर सरकार और किसान आमने-सामने आ गए हैं। किसान यूनियन राजेवाल के अध्यक्ष बलबीर सिंह राजेवाल ने सरकार को खुली चुनौती देते हुए किसानों को पराली को आग लगाने की अपील की है। इस बीच बुधवार को नेशनल ग्र्रीन ट्रिब्यूनल में पराली से फैलने वाले प्रदूषण मामले को लेकर सुनवाई हुई।
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इस दौरान राजेवाल ने टिब्यूनल को बताया कि पंजाब सरकार किसानों को पराली को आग लगाने से कानूनी भय दिखाकर रोक रही है, जबकि ट्रिब्यूनल के फैसले को जमीनी स्तर पर लागू नहीं किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि पंजाब में 2 तिहाई किसान 2.5 एकड़ से कम की मलकियत रखने वाले हैं। पराली के निस्तारण के लिए 1 लाख रुपये का रोटावेटर है। इसको चलाने के लिए 10 लाख रुपये की कीमत का बड़ा ट्रैक्टर चाहिए। किसान इतना भार सहन नहीं कर सकता है।
किसानों की तरफ से पेश हुए वकील की दलील के बाद ट्रिब्यूनल ने पंजाब सरकार से दस ऐसे किसानों की सूची मांगी जिन्हें सब्सिडी पर मशीनरी मुहैया करवाई गई है, लेकिन पंजाब सरकार यह लिस्ट नहीं दे पाई। सरकार ने यह पक्ष रखा कि पटियाला जिले के गांव कल्लरमाजरी को पराली न जलाने को लेकर गोद लिया गया है। सरकार और किसानों की दलील सुनने के बाद ट्रिब्यूनल ने सरकारी वकील को निर्देश दिया कि वह व्यक्तिगत रूप से पंजाब जाएं और सरकारी फाइलों या आंकड़ों की बजाए यह सुनिश्चित करें कि सरकार किसानों के हितों के लिए क्या कर रही है।
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