बहादुरी पुरस्कार विजेता जवानों को एक रैंक की तरक्की देने पर विचार कर रही सरकार
पंजाब सरकार बहादुरी पुरस्कार विजेता जवानों को एक रैंक की तरक्की देने पर विचार कर रही है। कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार इस बारे में जल्द ही निर्णय कर सकती है।
चंडीगढ़, जेएनएन। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा है कि उनकी सरकार युद्ध या शांति के समय बहादुरी पुरस्कार जीतने वाले पंजाब के पुलिस जवानों व अधिकारियों के लिए एक रैंक तरक्की संबंधी नीति लाने पर विचार कर रही है। कारगिल युद्ध के नायक सतपाल सिंह की वर्दी पर सहायक सब इंस्पेक्टर (एएसआइ) के स्टार लगाने के अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि सेना को ऐसा कोई भी अधिकारी या जवान पंजाब पुलिस में शामिल होने की इच्छा रखता है, तो उसकी सेवाओं और बहादुरी को पूरा सम्मान दिया जाएगा।
दिलचस्प बात यह है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह की किताब 'ए रिज टू फार-वॉर इन द करगिल हाइट्ज' में भी सतपाल सिंह का जिक्र है। कैप्टन ने शुक्रवार को वीर चक्र अवॉर्डी सतपाल सिंह को सीनियर कांस्टेबल के पद से तरक्की दी थी। सीनियर कांस्टेबल के तौर पर वह 26 जुलाई तक संगरूर जिले में ट्रैफिक कंट्रोल करने की ड्यूटी निभा रहे थे। उन्हें तरक्की के स्टार लगाते समय डीजीपी दिनकर गुप्ता भी उपस्थित थे।
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कैप्टन ने कहा कि उन्होंने पिछली अकाली-भाजपा सरकार की ओर से सतपाल की भर्ती के अवसर पर की गई भूल को ही सुधारा है, क्योंकि अकाली-भाजपा सरकार ने इस सैनिक के महान योगदान को दरकिनार किया, जिसका यह हकदार था। उसका सत्कार करने में पिछली सरकार नाकाम रही है। उन्होंने कहा कि सतपाल को मिला हक उसकी वर्ष 2010 में हुई भर्ती के मौके ही मिल जाना चाहिए था।
कैप्टन ने स्पष्ट किया कि इस नीति में रक्षा सेनाओं के जवानों के अलावा जेसीओ और एनसीओ समेत पुलिस बहादुरी अवॉर्ड विजेता शामिल किए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि सतपाल की सीनियर ट्रैफिक कांस्टेबल के तौर पर नौकरी की सूचना से उनको दुख पहुंचा और वह चाहते हैं कि बहादुर सैनिक को उसका सत्कार मिले।
पाक सेना के कैप्टन समेत चार को मारा था सतपाल ने
मुख्यमंत्री ने सतपाल सिंह को पंजाब पुलिस में एएसआइ भर्ती करने के लिए उसकी उम्र (जन्म 7.11.1973) में अपेक्षित ढील देने के लिए भी डीजीपी को अधिकृत किया था। ऑपरेशन विजय के दौरान सतपाल द्रास सेक्टर में तैनात था। टाइगर हिल पर कब्जा करने वाली भारतीय सेना की मदद करने वाली टीम के मेंबर के तौर पर सतपाल ने नॉर्दर्न लाइट इन्फैंट्री के कैप्टन कर्नल शेर खान और तीन अन्य को मौत के घाट उतार दिया था। इसके बाद शेर खान को पाकिस्तान का सबसे बड़ा बहादुरी पुरस्कार निशान-ए-हैदर से सम्मानित किया गया और यह पुरस्कार भारतीय ब्रिगेड कमांडर की सिफारिश पर दिया गया था, जिसने बर्फीली चोटियों पर उसकी बहादुरी की पुष्टि की थी।
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