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1447 गारबेज कोलेक्‌र्ट्स को एमसी आउटसोर्स पर देगा सीधे नौकरी

शहर को स्वच्छता में थ्री स्टार रेटिंग दिलाने के लिए नगर निगम सभी रजिस्टर्ड 1447 गारबेज कोलेक्टर्स को आउटसोर्स पर नौकरी मिलेगी। गारबेज कोलेक्शन का जो काम अभी प्राइवेट हाथों में ठेकेदारों के कब्जे में है, उसे नगर निगम खुद संभालेगा। इसी के लिए इस स्टाफ को रखा जा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 15 Sep 2018 01:32 PM (IST)Updated: Sat, 15 Sep 2018 01:32 PM (IST)
1447 गारबेज कोलेक्‌र्ट्स को एमसी आउटसोर्स पर देगा सीधे नौकरी
1447 गारबेज कोलेक्‌र्ट्स को एमसी आउटसोर्स पर देगा सीधे नौकरी

बलवान करिवाल, चंडीगढ़ : शहर को स्वच्छता में थ्री स्टार रेटिंग दिलाने के लिए नगर निगम सभी रजिस्टर्ड 1447 गारबेज कोलेक्टर्स को आउटसोर्स पर नौकरी मिलेगी। गारबेज कोलेक्शन का जो काम अभी प्राइवेट हाथों में ठेकेदारों के कब्जे में है, उसे नगर निगम खुद संभालेगा। इसी के लिए इस स्टाफ को रखा जा रहा है। इसमें किसी एनजीओ को साथ जोड़ा जाएगा। एमसी रोल पर उन्हें डीसी रेट से सेलरी मिलने के साथ मेडिकल और पीएफ कटने जैसी सभी सुविधाएं भी मिलेंगी। नगर निगम हाउस की मीटिंग में यह फैसला लिया गया।

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2 घंटे की लंबी बहस के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचा गया। वहीं सभी गारबेज कॉलेक्टर नए सिस्टम को अपनाने से उनका रोजगार छिनने के डर से चार दिनों से हड़ताल पर हैं। हाउस मीटिंग शुरू होने से खत्म होने तक भी यह सभी एमसी गेट पर नारेबाजी करते रहे। पिछले चार दिनों से शहर का कचरा नहीं उठ सका है। काउंसलर राजेश कालिया ने कहा कि इस नए मॉडल से गारबेज कोलेक्‌र्ट्स का रोजगार नहीं छिनना चाहिए। बार बार समझाने के बाद भी कालिया के इस बात पर अड़े रहने पर कांग्रेस काउंसलर दविंद्र सिंह बबला ने उन पर ठेकेदारों से मिले होने का आरोप लगाया। नॉमिनेटिड काउंसलर एमएस कांडल ने कहा कि ठेकेदारों का इस पूरे काम पर कब्जा है, वह गारबेज कोलेक्टर को 4 से 5 हजार रुपये देकर शोषण कर रहे हैं। खुद मोटी कमाई में लगे हैं।

नए सिस्टम से उनकी यह कमाई बंद होने वाली है इसी वजह से वह गारबेज कोलेक्टर्स को ढाल बनाकर हड़ताल करवा रहे हैं। राजेश कालिया हड़ताल कर रहे कर्मचारियों से बात करने के बाद स्वच्छता मॉडल अपनाने पर अड़े थे। लेकिन हाउस ने कहा कि जब वह सभी को नए सिस्टम में एडजस्ट कर रहे हैं तो फिर हड़ताल और बात किस लिए। रेहड़ियों की जगह लेंगे टिप्पर

गारबेज कोलेक्शन के लिए पहले से चलने वाली रेहड़ी की जगह अब ट्विन बिन हूपर टिप्पर ले लेंगे। इससे फायदा यह होगा शहर में जगह-जगह दिखने वाले हरे रंग के बड़े बिन हट जाएंगे। पूरा शहर बिन फ्री हो जाएगा। टिप्पर पर लगे ट्विन बिन से गीला और सूखा कचरा अलग किया जाएगा। जिसे मेटीरियल रिकवरी फेसिलिटेशन सेंटर (एफआरएफसी) पर भेजा जाएगा। सहज सफाई केंद्रों को ही एफआरएफसी में बदला जाएगा। इन सेंटरों पर 18 तरह के गारबेज को सेग्रीगेट किया जाएगा। यहां पर एमसी जिन कर्मचारियों को लगाएगा उनके बकायदा आइकार्ड बनेंगे। वह जो भी गारबेज सेग्रीगेट कर अलग करेंगे, उसमें से जो बिकने लायक होगा वह पैसा उसे ही मिलेगा। इस समय एमसी के पास 1 हजार रेहड़ी रजिस्टर्ड हैं। कांग्रेस काउंसलर रविंद्र कौर ने बताया कि उनके वार्ड में गारबेज कोलेक्टर ने बताया कि ठेकेदार ने रेहड़ी 1 लाख 35 हजार रुपये में बेची है। इस तरह से ठेकेदारों का गिरोह इस पूरे काम को चला रहा है और असली गारबेज कोलेक्टरों का शोषण हो रहा है। टिप्पर खरीदने पर 27 करोड़ होंगे खर्च, हर साल 20 करोड़ कमाई

चंडीगढ़ में कुल ढाई लाख घर हैं। 1 हजार घरों को एक ट्विन बिन हूपर टिप्पर कवर करेगा। ऐसे में पूरे शहर को कवर करने में 250 टिप्पर करीब 27.5 करोड़ रुपये में खरीदे जाएंगे। टिप्पर पर एक ड्राइवर और हेल्पर होंगे। ड्राइवर को 20 हजार और हेल्पर को 13 हजार रुपये सेलरी दी जाएगी। सेलरी पर सालाना 10 करोड़ रुपये खर्च होंगे। वहीं यूजर फीस से एमसी को सालाना 30 करोड़ रुपये मिलेंगे भी। यह यूजर चार्ज हर महीने पानी के बिल में जुड़कर आएगा। ऐसे में 20 करोड़ रुपये सालाना बचेंगे। सहज सफाई केंद्रों को एमआरएफसी में बदलने पर 6 करोड़ रुपये खर्च होंगे। गारबेज से ऐसे निपटेंगे

कमिश्नर केके यादव ने बताया कि अभी शहर से रोजाना 540 टन गारबेज निकलता है। इसमें 90 टन कंस्ट्रक्शन और डिमोलिशन वेस्ट होता है। इसके लिए अलग प्लांट लगाया जा रहा है। जिससे इस वेस्ट के पेवर ब्लॉक बनेंगे। 120 टन होर्टिकल्चर वेस्ट निकलता है। इस वेस्ट की कंपोस्टिंग के लिए 70 पार्क में गड्ढे बनाकर की जा रही है। 400 पार्क में और ऐसा करने की तैयारी है। 110 टन गीला वेस्ट निकलता है। इसे जेपी प्रोसेसिंग प्लांट से प्रोसेस कराया जाएगा। कमिश्नर ने कहा कि प्लांट की क्षमता 300 टन तक है वह इसे आसानी से प्रोसेस कर देगा। 150 टन ऐसा होगा जिसकी रिसाइक्लिंग हो सकेगी। इस तरह से शहर गारबेज फ्री बनेगा। 1 जनवरी से डड्डूमाजरा में नहीं गिरेगी कोई ट्राली

डड्डूमाजरा डंपिंग ग्राउंड पर कुल 5 लाख टन कचरा जमा है। इस पूरे कचरे को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत प्रोसेस कर डंपिंग यार्ड खत्म किया जा रहा है। इसकी प्रोसेसिंग के लिए कंपनियों से एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट मांगे गए थे। 8 कंपनियों ने इसके लिए आवेदन किया है। 2 से 3 महीने तक इनमें से किसी कंपनी को टेंडर अलॉट किया जाएगा। कमिश्नर ने दावा किया कि 1 जनवरी के बाद डंपिंग ग्राउंड पर कोई ट्राली कचरे की नहीं गिरेगी। पुराना गारबेज भी प्रोसेसिंग के बाद खत्म कर दिया जाएगा।


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