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Ganesh Chaturthi 2020: जानें कब है गणपति की स्थापना का शुभ मुहूर्त व इसका महत्व

Ganesh Chaturthi 2020 गणेश चतुर्थी 22 अगस्त को है। भक्त गणपति की स्थापना रिद्धि-सिद्धि के लिए करते हैं और दस दिन तक पूजन कर इसे विसर्जित करते हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Fri, 21 Aug 2020 02:20 PM (IST)Updated: Fri, 21 Aug 2020 02:24 PM (IST)
Ganesh Chaturthi 2020: जानें कब है गणपति की स्थापना का शुभ मुहूर्त व इसका महत्व
Ganesh Chaturthi 2020: जानें कब है गणपति की स्थापना का शुभ मुहूर्त व इसका महत्व

चंडीगढ़ [सुमेश ठाकुर]। Ganesh Chaturthi 2020: गणेश चतुर्थी शनिवार यानी 22 अगस्त को है। इस दिन दोपहर 2 से 4 बजे तक भगवान गणपति की प्रतिमा स्थापित की जा सकती है। भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी के तौर पर मनाया जाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इस दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था। इसके साथ यह भी माना जाता है कि इस दिन भगवान गणेश ने सतयुग में ग्रंथ लिखना शुरू किया था, जिसके कारण चतुर्थी का विशेष महत्व है।

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मंदिरों में श्रद्धालुओं के लिए नहीं हाेगी गणपति की स्थापना

गणेश चतुर्थी पर भगवान गणपति की प्रतिमा की स्थापना घर में करने के बजाय मंदिरों में भी की जाती थी, इसके अलावा शहर की मार्केटों में भी इसकी स्थापना धूमधाम से की जाती थी, जिसमें सैकड़ों लोग इकट्ठे होते थे और पूजा-पाठ के साथ गीत-संगीत होता था, लेकिन इस बार कोरोना के चलते मंदिरों और मार्केट कमेटी ने ऐसा करने से इन्कार कर दिया है। मंदिर में होने वाली गणपति की स्थापना के दर्शन भक्त नहीं कर सकेंगे। इसके अलावा विसर्जन के समय भी किसी तरह की भीड़ इकट्ठी नहीं होने दी जाएगी। विसर्जन पांच लोगों के समूह द्वारा किया जाएगा।

क्याें मनाई जाती है गणेश चतुर्थी

भगवान गणेश के जन्म और सृष्टि के ग्रंथों को लिखने की शुरूआत के तौर पर इस दिन की शुरूआत मानी जाती है। उसके बाद दस दिनों तक भगवान गणपति का पूजा-पाठ किया जाता है। इस दौरान प्याज और लहुसन खाना वर्जित होता है। दसवें दिन बहते पानी में गणपति की प्रतिमा को विसर्जित कर दिया जाता है।

शिव मंदिर सेक्टर-21 के पुजारी विमलेश शास्त्री ने बताया कि मान्यताओं में माना जाता है कि भगवान ने जब ग्रंथ लिखने शुरू किए ताे उनका शरीर बहुत ज्यादा गर्म हो गया था। उसे ठंडा करने के लिए पहले मिट्टी का लेप

किया गया और जब लेप सूख गया तो उस मिट्टी को उतारने के लिए पानी में डाला जाता है। विसर्जन का अर्थ गणपति को बहाना नहीं, बल्कि शरीर पर लगी मिट्टी को बहाना होता है।

गणपति स्थापना के बाद न करें चद्रंमा के दर्शन

गणेश चतुर्थी के लिए चंद्रमा को देखना शुभ नहीं माना जाता, इसलिए शनिवार रात को इसे देखने से बचें। काली माता मंदिर पंचशील एन्क्लेव के पुजारी कृष्ण गोपाल तिवारी ने बताया कि गणपति की स्थापना रिद्धि-सिद्धि के साथ होती है। इनकी स्थापना करने से घर में सुख और धन की कोई कमी नहीं रहती है। गणपति की स्थापना के बाद ओम गं गणपतये नमः मंत्र का जाप करना चाहिए।


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