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पंजाब में हुक्का बार पर पूर्ण प्रतिबंध, मुख्यमंत्री-मंत्रियों के आयकर खुद भरने पर भी लगी मुहर

पंजाब में हुक्का बार पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसके अलावा मंत्रिमंडल ने सभी कैबिनेट मंत्रियों के लिए अपना आयकर खुद भरने पर भी मुहर लगा दी है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Tue, 20 Mar 2018 03:40 PM (IST)Updated: Thu, 22 Mar 2018 05:25 PM (IST)
पंजाब में हुक्का बार पर पूर्ण प्रतिबंध, मुख्यमंत्री-मंत्रियों के आयकर खुद भरने पर भी लगी मुहर
पंजाब में हुक्का बार पर पूर्ण प्रतिबंध, मुख्यमंत्री-मंत्रियों के आयकर खुद भरने पर भी लगी मुहर

जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब सरकार ने राज्य में हुक्का बारों पर पूर्ण रूप से पाबंदी लगाने का फैसला लिया है। इससे पहले हुक्का बारों पर पाबंदी संबंधी प्रत्येक दो माह के बाद आदेश जारी किए जाते थे। मंत्रिमंडल की बैठक के दौरान सिगरेट एंड अन्य तंबाकू प्रोडक्ट्स (प्रोहिबेशन ऑफ एडवरटाइज़मेंट एंड रेगुलेशन ऑफ ट्रेड एंड कामर्स, प्रोडक्शन, सप्लाई एंड डिस्ट्रीब्यूशन) एक्ट-2003 (कोटपा) में संशोधन करने संबंधी प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी गई है।

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मंत्रिमंडल के इस फैसले से सूबे में हुक्का बार चलाने पर पक्के तौर पर रोक लग जाएगी। इसका बिल सरकार आगामी विधानसभा सत्र में लेकर आएगी जिसको मंज़ूरी के उपरांत राष्ट्रपति के पास मंंजूरी के लिए भेजा जाएगा। वर्तमान समय में सीआरपीसी की धारा 144 के अंतर्गत जिला प्रशासन को प्रत्येक 2 माह पर हुक्का बार पर पाबंदी का आदेश जारी करता है।

हुक्का के एक घंटे के प्रयोग के दौरान सेवन करने वाला व्यक्ति 20 से 200 बार सांस खींचता है, जिससे 50 लीटर कार्सिनोजनिक केमिकल वाला खतरनाक धुआं पैदा होता है। इसके अलावा हुक्के की एक से ज़्यादा व्यक्तियों के प्रयोग करने से टीबी और अन्य बीमारियां होने का भी डर रहता है। हुक्के का सेवन करने वाले व्यक्तियों को आमतौर पर अन्य नशों की भी लत लग जाती है।

मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में मंत्रिमंडल ने सभी कैबिनेट मंत्रियों के लिए अपना आयकर खुद भरने पर मुहर लगा दी है। अब मुख्यमंत्री, मंत्रियों व नेता प्रतिपक्ष को खुद आयकर भरना होगा। कैबिनेट ने अभी विधायकों के मामले में कोई फैसला नहीं लिया है।

इस संबंध में दि ईस्ट पंजाब मिनिस्टर्स सैलरीज एक्ट-1947 व दि सैलरीज एंड अलाउंस आफ डिप्टी मिनिस्टर्स, पंजाब एक्ट-1956 में जरूरी संशोधनों वाले मसौदा बिलों को कल से शुरू हो रहे विधान सभा के बजट सत्र में पेश किया जाएगा। कैबिनेट मंत्री का रैंक होने के नेता विपक्ष भी इस नए कानून के घेरे में आएंगे। 

मंत्रिमंडल ने दि ईस्ट पंजाब मिनिस्टर्स सैलरीज एक्ट-1947 की धारा 2-सी व डी सैलरीज एंड अलाउंस आफ डिप्टी मिनिस्टर्स, पंजाब एक्ट-1956 की धारा-7-ए को खत्म कर देने का फैसला किया है, ताकि इन बिलों में बदलाव किया जा सके।

इस समय दि ईस्ट पंजाब मिनिस्टर्स सैलरीज एक्ट-1947 की धारा 2-सी के अंतर्गत मुख्यमंत्री, सभी कैबिनेट व राज्य मंत्रियों का आयकर सरकारी कोष से अदा किया जाता है। इसके अलावा दि सैलरीज एंड अलाउंस आफ डिप्टी मिनिस्टर्स पंजाब एक्ट-1956 की धारा-7-ए के अंतर्गत डिप्टी मंत्रियों के आयकर की अदायगी भी सरकारी कोष से की जाती है।

11 करोड़ अदा करती है सरकार

पंजाब सरकार की ओर से आयकर के रूप में 11.08 करोड़ रुपये अदा किए जा रहे हैं। 10.72 करोड़ रुपये की अदायगी विधायकों के आयकर की होती है, जबकि बाकी राशि मंत्रियों के लिए होती है।

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