मरने से चार दिन पहले क्रेन ऑपरेटर ने ज्वाइन की थी नौकरी, तीन बेटियों के सिर से उठा साया
मृतक के भतीजे सतविंदर सिंह ने बताया कि हरविंदर की तीन बेटियां व एक बेटा है। सबसे बड़ी बेटी 12वीं में पढ़ती है। हरविंदर के सिर पर उसके बूढ़े मां-बाप पत्नी व बच्चों की जिम्मेदारी थी।
मोहाली, जेएनएन। खरड़-लांडरां रोड पर अंबिका इंफ्रा वेंचर्स (एआइवी ग्रुप) सेक्टर-115 में शनिवार को धराशायी हुई जिस तीन मंजिला बिल्डिंग के मलबे के नीचे आकर क्रेन ऑपरेटर हरविंदर सिंह उर्फ बब्बू निवासी गांव बडवाली (मोरिंडा) की मौत हुई है, उसने चार दिन पहले ही खरड़-बड़ाला निवासी रणजीत सिंह ठेकेदार की एलएनटी कंपनी की जेसीबी मशीन पर नौकरी ज्वाइन की थी।
नहीं मालूम था कि घर चलाने के लिए जिस काम की शुरुआत करने वाला है, उस कंपनी से पहली तनख्वाह भी घर तक नहीं ले जा सकेगा। मृतक हरविंदर सिंह के शव का रविवार को सिविल अस्पताल खरड़ में पोस्टमार्टम हुआ। हरविंदर सिंह की छाती पर मलबे की बड़ी स्लैब गिरने से मौत हुई। स्लैब गिरने से उसकी छाती के दो हिस्से हो गए थे और बाजू व टांग पर मल्टीपल फ्रेक्चर थे। जिस जेसीबी मशीन पर हरविंदर सिंह काम कर रहा था, वह मशीन अभी भी मलबे में धंसी हुई है। जेसीबी मशीन व लेंटर का कुछ हिस्सा काटकर हरविंदर सिंह को रेस्क्यू टीम ने बाहर निकाला था। हरविंदर की लाश लेने के लिए उनका बड़ा भाई व भतीजा मोरिंडा से आया था।
तीन बेटियों का पिता था हरविंदर सिंह
मृतक के भतीजे सतविंदर सिंह ने बताया कि हरविंदर की तीन बेटियां व एक बेटा है। सबसे बड़ी बेटी 12वीं में पढ़ती है। हरविंदर के सिर पर उसके बूढ़े मां-बाप, पत्नी व बच्चों की जिम्मेदारी थी। पहले हरविंदर सिंह चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी में चल रहे काम के दौरान ठेकेदार पर जेसीबी ऑपरेटर था। लेकिन रात 12 बजे तक छुट्टी न होने के चलते उसने तंग आकर वह नौकरी छोड़ दी थी और चार दिन पहले रणजीत सिंह ठेकेदार के पास काम करने लगा था, ताकि समय पर घर जा सके।
दो साल दुबई में किया काम
हरविंदर ने दो साल दुबई में जेसीबी ऑपरेटर का काम किया है। बूढ़े मां-बाप के कहने पर ही वह दुबई से लौटकर परिवार में आया था। सतविंदर सिंह ने बताया कि शनिवार सुबह आठ बजे वह उससे मिलकर गया था और उसने बताया था कि आजकल उसका काम खरड़ में अंबिका ग्रुप के पास चल रहा है। सतविंदर सिंह ने बताया कि शाम जब चार बजे उन्होंने टीवी में न्यूज देखी तो क्रेन आॅपरेटर के मलबे में दबे होने की बात सुनकर उन्हें पता चला कि हरविंदर ही मलबे के नीचे दबा हुआ है। शाम पांच बजे पूरा परिवार मोरिंडा से खरड़ पहुंच गया था।
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