35 हजार रिश्वत लेने के मामले में चंडीगढ़ पुलिस के पूर्व एसआइ बलबीर को चार साल की कैद Chandigarh news
फैसला सुनाते जज ने कहा एक भ्रष्ट पुलिसकर्मी की वजह से पूरे पुलिस विभाग पर से लोगों का विश्वास उठ जाता है। पुलिस ऑफिसर दो तरह के होते हैं... एक मास खाने वाले और दूसरे घास खाने वाले।
चंडीगढ़, जेएनएन। करप्शन से समाज पर गहरा असर पड़ता है। एक भ्रष्ट पुलिसकर्मी की वजह से पूरे पुलिस विभाग पर से लोगों का विश्वास उठ जाता है। पुलिस ऑफिसर दो तरह के होते हैं... एक मास खाने वाले और दूसरे घास खाने वाले। यह टिप्पणी सीबीआइ की स्पेशल अदालत के जज डॉ. सुशील कुमार गर्ग ने 35 हजार रुपये रिश्वत मामले में दोषी चंडीगढ़ पुलिस के एक पूर्व एसआइ को सजा सुनाते हुए कही। अदालत ने दोषी बलबीर सिंह को चार साल कैद की सजा सुनाई। इसके साथ ही 40 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया।
फैसला सुनाते हुए जज ने कहा कि मीट ईटर्स यानी मांस खाने वाले वे पुलिस अफसर जो अपने व्यक्तिगत फायदे के लिए पावर का गलत इस्तेमाल करते हैं। वहीं दूसरे होते हैं ग्रास ईटर्स यानी घास खाने वाले। ये वे हैं जो अपने कामकाज में मिलने वाली रिश्वत को आसानी से स्वीकार कर लेते हैं। समाज में भ्रष्टाचार को कम करने के लिए पुलिस अफसरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।
यह था मामला
17 मार्च 2015 को सीबीआइ को दी अपनी शिकायत में सुशील कुमार ने बताया था कि मनीमाजरा थाने में तैनात सब इंस्पेक्टर बलबीर सिंह ने उसे फोन कर धमकी दी थी कि एक युवती ने उसके खिलाफ जबरन उसकी शादी किसी से करवाने की शिकायत दी है। इस केस में सुशील का नाम दर्ज न करने के लिए बलबीर ने सुशील से रिश्वत मांगी थी। वहीं सुशील ने बताया था कि एक लड़के से शिकायतकर्ता ने भागकर शादी की थी। बाद में युवती और उसके पति में अनबन हुई तो युवती वापस अपने मायके गई।
युवती ने पुलिस में शिकायत दी कि उसे नशीली चीज खिलाकर जबरन उसकी शादी करवाई गई। इसके बाद से बलबीर सुशील को झूठे केस में फंसाने की धमकी देकर पैसे ऐंठना चाहता था। इसके बाद जब उसने रिश्वत के 35 हजार रुपये लिए तभी वहां ट्रैप लगाकर मौजूद सीबीआइ ने उसे गिरफ्तार कर लिया था।