यादें शेष: अपनी तर्कपूर्ण बातों के लिए जाने जाते थे जत्थेदार तोता सिंह, दिग्गजों के पास भी नहीं होते थे जवाब
पंजाब के पूर्व मंत्री व अकाली नेता जत्थेदार तोता सिंह का शनिवार को निधन हो गया। तोता सिंह अपनी तर्कपूर्ण बातों के लिए जाने जाते थे। उनके तर्कों का तोड़ दिग्गज नेताओं के पास भी नहीं होता था।
इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़। अकाली दल के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री तोता सिंह का शनिवार को निधन हो गया। तोता सिंह विधानसभा में ऐसी दलीलें रखते थे, जिनका जवाब बड़े-बड़े दिग्गजों के पास नहीं होते थे।
यह बात साल 2004 के उस विधानसभा सेशन की है जिसमें पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने नदी जल समझौतों को रद करने संबंधी विशेष बिल पेश किया। इस बिल में कहा गया था कि पंजाब ने अपनी नदियों को लेकर जिन राज्यों को पानी देने के समझौते किए हुए हैं वे सभी रद किए जाते हैं। यह बिल अचानक पेश किया गया।
शिरोमणि अकाली दल के दिग्गजों समेत किसी को कानों कान खबर भी नहीं होने दी गई कि सरकार यह कानून ला रही है। अकाली दल की हालत यह थी कि उनसे न तो इस बिल का विरोध हो रहा था और न ही वह खुलकर इसका पक्ष लेने की स्थिति में थे।
स्पीकर डा. केवल कृष्ण ने जब बिल पर बहस के लिए विपक्ष को आमंत्रित किया तो अकाली दल की ओर से जत्थेदार तोता सिंह ने कमान संभाली और बिल की धारा 5 की ओर पूरे सदन का ध्यान दिलाया। इस धारा में सरकार ने कहा था कि अब तक जितना पानी जिस राज्य को जा रहा है वह जाता रहेगा।
तोता सिंह ने कहा कि इस धारा को शामिल करके सरकार ने पंजाब की उस दलील को नकार दिया है जिसमें हम कह रहे हैं कि पंजाब एक राइपेरियन स्टेट है और गैर राइपेरियन स्टेट को पानी नहीं दिया जा सकता।
तत्कालीन सदन के नेता मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह यह दलील सुनकर हैरान रह गए, लेकिन उन्होंने पूरे विपक्ष से इस पर सहमति बनाने को कहा, ताकि एसवाईएल को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू करने से पहले यह बिल लागू हो सके।
बाद में अकाली दल ने अपनी तमाम चुनावी सभाओं में कहा कि वह धारा पांच को खत्म करेगी, लेकिन अकाली दल ने ऐसा कभी नहीं किया। यही नहीं, एक बार सड़क दुर्घटनाओं को लेकर पंजाब विधानसभा में नान आफिशियल प्रस्ताव पर बहस चल रही थी और सभी आवारा पशुओं को इसके लिए जिम्मेदार ठहरा रहे थे।
दलील दे रहे थे कि पंजाब में हर रोज दस युवा सड़क दुर्घटनाओं में मारे जा रहे हैं लेकिन सरकार कुछ नहीं कर रही है। जब तोता सिंह की बारी आई तो उन्होंने कहा कि लावारिस पशुओं के लिए किसानों को जिम्मेवार ठहराया जा रहा है। जब इन दूध न देने वाली गायों को बूचड़खानों में भेजा जाता है तो कुछ संगठन गाय को माता बताते हुए इसे मारने का विरोध करते हैं।
तोता सिंह ने कहा, मुझे समझ में नहीं आता जब यही गाएं सड़कों पर भूखी प्यासी घूमती हैं तो गाय को मां बताने वाले कहां चले जाते हैं। तोता सिंह ने सभी विधायकों को चुनौती दी कि हर विधायक कम से कम एक गाय को अपने यहां पालने की जिम्मेदारी उठाए, मैं दो से ज्यादा रखूंगा।
जत्थेदार की चुनौती सुनकर मानों सभी को सांप सूंघ गया। किसी भी विधायक ने हामी नहीं भरी। विधानसभा में अक्सर जब भी अनुसूचित जाति से संबंधित कोई मुद्दा आता तो सभी अनुसूचित के विधायक उस पर एकजुट हो जाते। यह एकजुटता पार्टी से ऊपर उठकर अपने समाज के लिए खड़े होने की दिखाई पड़ती, लेकिन तोता सिंह को इस बात पर नाराजगी थी कि जनरल केटेगरी की आवाज कोई नहीं उठाता। वह अक्सर विधानसभा में उनकी बात रखते लेकिन कोई उनका साथ नहीं देता था।
स्पीकर ने जत्थेदार तोता सिंह के निधन पर जताया शोक
पंजाब विधान सभा के स्पीकर कुलतार सिंह संधवां ने पूर्व मंत्री जत्थेदार तोता सिंह के निधन पर शोक प्रकट किया है। स्पीकर ने शोक संदेश में कहा कि जत्थेदार तोता सिंह जो अपने श्वासों की पूंजी भोग गुरू चरणों में जा बिराजे हैं। मैं उनकी आत्मिक शांति के लिए अरदास करता हुआ इस दुख की घड़ी में परिवार के साथ हमदर्दी का प्रगटावा करता हूं।
उन्होंने कहा कि जत्थेदार तोता सिंह जमीन से जुड़े हुए एक जन नेता थे। उनकी तरफ से धार्मिक क्षेत्र और समाज सेवा के लिए किये कामों को हमेशा याद किया जाता रहेगा। स्पीकर ने कहा कि परमात्मा पारिवारिक सदस्यों, रिश्तेदारों और समर्थकों को इस दुख को सहन करने का हौंसला बख्शे।
जत्थेदार तोता सिंह पंथक और पंजाबियों के हितों के लिए एक अथक योद्धा थे: बादल
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़पूर्व मुख्यमंत्री और अकाली दल के संरक्षक सरदार प्रकाश सिंह बादल ने अपने लंबे समय के सहयोगी जत्थेदार तोता सिंह के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। बादल ने कहा कि जत्थेदार तोता सिंह के निधन से सामान्य रूप से पंजाबियों और विशेष रूप से खालसा पंथ ने एक मजबूत पंथक आवाज खो दी है। जो महान गुरु साहिबान द्वारा निर्धारित सिद्धांतों और आदर्शों के प्रति प्रतिबद्धता पर हमेशा कायम रहे।
शिअद हमेशा उनकी उस अदम्य भावना से प्रेरित और निर्देशित रहेगा। जिसके साथ जत्थेदार तोता सिंह खालसा पंथ और पंजाब के लोगों के लिए अत्याचारी और भेदभावपूर्ण पंथ विरोधी ताकतों द्वारा दी गई कठिन चुनौतियों का सामना किया।
बादल ने दिवंगत अकाली दिग्गज के साथ अपने लगभग आधी सदी के लंबे जुड़ाव को याद किया। उन्हाेंने कहा कि जत्थेदार साहिब एक अथक योद्धा थे और हमेशा सिखों , पंजाब और पंजाबियों के हितों की रक्षा के लिए बलिदान देने की पेशकश करने वाले पहल करने वाले लोगों में से एक थे।
उनकी प्रतिबद्धता पंजाबी की एकता , शांति और सांप्रदायिक सद्भाव के आदर्शों को मजबूत करना था। बादल ने याद किया कि कैसे जत्थेदार साहिब ने 1984 की घटनाओं से समुदाय बुरी तरह प्रभावित होने के बाद खालसा पंथ की शान को बरकरार रखने के अथक प्रयासों में प्रमुख भूमिका निभाई।
शिअद अध्यक्ष सरदार सुखबीर सिंह बादल ने भी जत्थेदार तोता सिंह के निधन पर शोक व्यक्त किया। उन्हाेंने कहा कि उन्हें वरिष्ठ अकाली नेता जत्थेदार तोता सिंह के निधन की खबर जानकर गहरा दुख हुआ है। जत्थेदार साहब उनके पिता तुल्य थे और हम सभी के लिए प्रेरणास्रोत थे। उनकी अमूल्य और विद्वता भरी सलाह के लिए हमेशा याद किया जाएगा। मैं इस दुख की घड़ी में बराड़ परिवार के साथ खड़ा हूं। अकाली दल अध्यक्ष ने परिवार के साथ मिलकर उनका दुख साझा किया ।